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अयोध्या पर फैसला सुनाने वाले जस्टिस नजीर को खतरा, मिली 'जेड' श्रेणी की सुरक्षा

गृह मंत्रालय ने केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) और स्थानीय पुलिस को जस्टिस नाजीर और उनके परिवार को सुरक्षा प्रदान करेने का निर्देश दिया है।

By Manish PandeyEdited By: Published: Sun, 17 Nov 2019 06:56 PM (IST)Updated: Sun, 17 Nov 2019 09:45 PM (IST)
अयोध्या पर फैसला सुनाने वाले जस्टिस नजीर को खतरा, मिली 'जेड' श्रेणी की सुरक्षा

नई दिल्ली, एएनआइ। केंद्र सरकार ने जस्टिस एस अब्दुल नजीर को 'जेड' श्रेणी सुरक्षा कवच प्रदान करने का फैसला किया है। जस्टिस नजीर अयोध्या पर फैसला सुनाने वाले सुप्रीम कोर्ट की बेंच का हिस्सा थे। पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) से खतरे के मद्देनजर उनके परिवार के सदस्यों को सुरक्षा देना का फैसला लिया गया है।

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गृह मंत्रालय ने केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) और स्थानीय पुलिस को जस्टिस नजीर और उनके परिवार को सुरक्षा प्रदान करेने का निर्देश दिया है। सुरक्षा एजेंसियों द्वारा खतरे को लकेर दी गई चेतावनी के बाद ये फैसला लिया गया है।

एएनआई को प्राप्त जानकारी के अनुसार पीएफआई और अन्य संगठनों से खतरे को लकेर सरकार कोई ढिलाई बरतने के मूड में नहीं है। सुरक्षा बलों और स्थानीय पुलिस को आदेश दिया गया है कि कर्नाटक और देश के अन्य हिस्सों में रह रहे जस्टिस नजीर के परिवार को तुरंत जेड श्रेणी की सुरक्षा प्रदान की जाए।

जस्टिस नजीर के बेंगलुरु, मंगलुरु और राज्य के किसी भी हिस्से में जाने पर उनको कर्नाटक के कोटा के तहत 'जेड' श्रेणी की सुरक्षा उपलब्ध कराई जाएगी। इसी तरह, उनके परिवार के सदस्यों को भी सुरक्षा दी जाएगी। बता दें कि 'जेड' श्रेणी की सुरक्षा कवच के तहत व्यक्ति को अर्धसैनिक बल और पुलिस के 22 जवानों द्वारा सुरक्षा प्रदान की जाती है।

गौरतलब है कि 9 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में 2.77 एकड़ भूमि पर राम मंदिर के निर्माण का आदेश दिया था। इसके साथ ही अयोध्या में मस्जिद निर्माण के लिए सरकार को 5 एकड़ भूमि प्रदान करने का निर्देश दिया था।

राम जन्म भूमि पर फैसले के अवाला जस्टिस नजीर सुप्रीम कोर्ट की उस पांच सदस्यीय पीठ का भी हिस्सा थे, जिसने 2017 में तत्काल ट्रिपल तालक को असंवैधानिक घोषित किया था।

जानकारी के अनुसार 61 वर्षीय जस्टिस नज़ीर को पहली बार 1983 में कर्नाटक उच्च न्यायालय में वकील के रूप में नामांकित किया गया था। बाद में उन्हें 2003 में उच्च न्यायालय में अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त किया गया। न्यायमूर्ति नाजीर को 17 जुलाई, 2017 को सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया।


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