राजस्थान में जीका वायरस पीड़ितों की संख्या बढ़ी, जेपी नड्डा बोले- घबराने की जरूरत नहीं
राजस्थान में जीका वायरस के जो 29 मामले सामने आए हैं, उनमें संक्रमित लोगों में से एक शख्स बिहार के सीवान में अपने घर से हाल ही में लौटा है।
नई दिल्ली, पीटीआइ। राजस्थान में जीका वायरस पीड़ितों की संख्या बढ़ गई है। अब तक 29 लोग इस संक्रमण की गिरफ्त में आ चुके हैं। प्रदेश की अडिशनल चीफ सेक्रटरी (हेल्थ) वीनू गुप्ता ने बताया कि अबतक 29 लोगों के सैंपल पॉजिटिव पाए गए हैं।
राजस्थान में जीका वायरस संक्रमण के मामलों को लेकर पीएमओ ने स्वास्थ्य मंत्रालय से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। जीका वायरस दिन में एडीज मच्छरों के काटने से फैलता है। इस बीमारी में बुखार के साथ जोड़ों में दर्द और सिरदर्द जैसे लक्षण दिखाई देते हैं. इसका कोई टीका नहीं है, न ही कोई ख़ास उपचार है।
जीका वायरस के मामलों पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने कहा, 'हमारा सर्विलांस सिस्टम मजबूत है, इसलिए ऐसे सभी केस पकड़े में आ जाते हैं। हम स्टैंडर्ड प्रोटोकॉल का इस्तेमाल कर रहे हैं। आईसीएमआर, एनसीडीसी और डीजीएचएस की इनपर नजर है। मैं लोगों से कहना चाहता हूं कि यहां सबकुछ काबू में है, घबराने की कोई जरूरत नहीं है।' इससे पहले मंत्रालय ने एक बयान में सोमवार को कहा कि आज की तारीख तक कुल 22 मामलों की पुष्टि हुई है। जयपुर के निर्धारित इलाके में सभी संदिग्ध मामलों को और इस इलाके के मच्छरों के नमूनों की जांच की जा रही है।
राजस्थान में जीका वायरस के जो 29 मामले सामने आए हैं, उनमें संक्रमित लोगों में से एक शख्स बिहार के सीवान में अपने घर से हाल ही में लौटा है। बिहार ने अपने सभी 38 जिलों को परामर्श जारी कर उन लोगों पर करीबी नजर रखने का निर्देश दिया है, जिनमें जीका विषाणु के संक्रमण जैसे लक्षण दिखाई दे रहे हों. सीवान निवासी जयपुर में पढ़ाई करता है। वह 28 अगस्त और 12 सितंबर के बीच एक परीक्षा में शामिल होने के लिए घर गया था। उसके परिवार के लोगों को निगरानी के तहत रखा गया है।
स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पीएमओ ने जयपुर में जीका विषाणु के प्रसार पर एक व्यापक रिपोर्ट मांगी है। नियंत्रण उपायों में राजस्थान सरकार की मदद के लिए सात सदस्यीय एक उच्च स्तरीय टीम जयपुर में है। साथ ही राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) में एक नियंत्रण कक्ष सक्रिय किया गया है ताकि हालात की नियमित निगरानी की जा सके. स्वास्थ्य मंत्रालय के स्तर पर हालात की समीक्षा की जा रही है।