Move to Jagran APP

बाइडन के सामने कोरोना और रंगभेद समेत कई चुनौतियां, अमेरिका की छवि सुधारने पर होगा जोर

अमेरिका के 46वें राष्ट्रपति जो बाइडन को पुन पूरी दुनिया के सामने अमेरिकी लोकतंत्र को सही स्वरूप पेश करना होगा। उनके सामने कोरोना वायरस से निपटने अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और रंगभेद से बिगड़े माहौल को ठीक करना शामिल है।

By Manish PandeyEdited By: Published: Tue, 26 Jan 2021 11:30 AM (IST)Updated: Tue, 26 Jan 2021 11:30 AM (IST)
बाइडन के सामने कोरोना और रंगभेद समेत कई चुनौतियां, अमेरिका की छवि सुधारने पर होगा जोर
सबसे पहले जो बाइडन को कोरोना वायरस से निपटने के लिए कुछ बड़े कदम उठाने होंगे।

नई दिल्ली, रंजना मिश्र। जो बाइडन अब अमेरिका के 46वें राष्ट्रपति बन चुके हैं। अमेरिका के लोगों को उनसे बहुत उम्मीदें हैं, जिनको उन्हें पूरा करना है। पहली चुनौती को स्वीकार करते हुए जो बाइडन को कोरोना वायरस से निपटने के लिए अब कुछ बड़े और कड़े कदम उठाने होंगे, क्योंकि अमेरिका अभी तक कोरोना वायरस जैसी महामारी से निपटने में असफल रहा है। उनके सामने दूसरी बड़ी चुनौती अमेरिका की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की और उसे पटरी पर लाने की है। अर्थव्यवस्था कमजोर हो जाने के कारण अमेरिका का मध्यमवर्गीय समाज प्रभावित हुआ है। इस कारण समाज में बंटवारे और आय की असमानता को दूर करना उनके लिए तीसरी बड़ी चुनौती है। अमेरिका की चौथी बड़ी समस्या रंगभेद का मुद्दा है, जिसने अमेरिकी समाज को दो वर्गो में बांट दिया है। इससे वहां सामाजिक सौहार्द बिगड़ चुका है। इस समस्या को दूर करना और अमेरिका में सामाजिक सौहार्द स्थापित करना उनके लिए चौथी बड़ी चुनौती है। हाल में अमेरिकी संसद में हुई हिंसा के कारण दुनिया के अन्य देशों में अमेरिका की छवि धूमिल हुई है। अमेरिका की छवि को सुधारने के लिए उन्हें पुन: पूरी दुनिया के सामने अमेरिकी लोकतंत्र का सही स्वरूप पेश करना होगा।

loksabha election banner

अमेरिका और चीन के रिश्तों में पिछले कुछ वर्षो में कड़वाहट आई है। जो बाइडन अमेरिका की विदेश नीति को एक नई दिशा देते हुए एक ऐसी रणनीति बना सकते हैं, जिसमें एशिया और यूरोप के सहयोगी देशों के साथ मिलकर चीन से निपटा जा सके। संभव है वह चीन को लेकर शायद ट्रंप की तरह आक्रामक न हों, पर इसका अर्थ यह भी नहीं कि उनका रवैया चीन को लेकर नरम होगा। ऐसी परिस्थितियों में संभव है कि अमेरिका के लिए भारत ज्यादा महत्वपूर्ण हो और चीन की विस्तारवादी रणनीति के खिलाफ अमेरिका का झुकाव भारत की ओर बना रहे। अमेरिका के उपराष्ट्रपति और सीनेटर की भूमिका में जो बाइडन का पाकिस्तान जैसे देशों से गहरा जुड़ाव रहा है। वर्ष 2008 में उन्हें पाकिस्तान के दूसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान ‘हिलाले पाकिस्तान’ से नवाजा गया था।

बहरहाल अमेरिका दुनिया का सबसे शक्तिशाली देश माना जाता है। कोई इसे उम्मीदों को सच करने वाला देश मानता है तो कोई विनाश का दूसरा नाम। कोई इसे एक मजबूत और सबसे पुराना लोकतंत्र मानता है तो कोई सैनिक तानाशाह मानता है, जो दूसरे देशों में घुसकर सैनिक कार्रवाई कर सकता है। कोई अमेरिका को बहुत महत्व देता है तो कोई उस पर अपने संसाधनों को लूटने का आरोप लगाता है।

कुल मिलाकर पूरी दुनिया में अमेरिका की सुपर पावर की छवि आज भी मौजूद है। वहां के राष्ट्रपति को दुनिया का सबसे ताकतवर व्यक्ति माना जाता है। ऐसे में पूरी दुनिया की नजरें जो बाइडन और उनके फैसलों पर टिकी हैं।

(लेखिका स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं)


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.