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जितेंद्र सिंह ने कहा- जम्मू-कश्मीर का भारत में देरी से विलय के लिए पूर्व पीएम पंडित नेहरू जिम्मेदार

जवाहर लाल नेहरू पर निशाना साधते हुए केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के विलय में देरी के लिए नेहरू ही जिम्मेदार थे। इसके साथ ही उन्होंने जम्मू-कश्मीर के भारत में विलय को अंतिम और पूर्ण बताया।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Sun, 25 Oct 2020 11:02 PM (IST)Updated: Sun, 25 Oct 2020 11:02 PM (IST)
जितेंद्र सिंह ने कहा- जम्मू-कश्मीर का भारत में देरी से विलय के लिए पूर्व पीएम पंडित नेहरू जिम्मेदार
जितेंद्र सिंह ने कहा कि जम्मू-कश्मीर का भारत में विलय अंतिम और पूर्ण।

नई दिल्ली, प्रेट्र। पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू पर निशाना साधते हुए केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के विलय में देरी के लिए नेहरू ही जिम्मेदार थे। इसके साथ ही उन्होंने जम्मू-कश्मीर के भारत में विलय को अंतिम और पूर्ण बताया।

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केंद्रीय मंत्री ने कहा- राज्य के विलय में देरी के लिए पंडित नेहरू जिम्मेदार

रविवार को कार्मिक राज्य मंत्री सिंह ने कहा, यदि दो माह से अधिक समय का विलंब हुआ था तो वह महाराजा हरि सिंह के कारण नहीं, बल्कि नेहरू के कारण हुआ था। उनकी सोच स्पष्ट नहीं थी और वह शेख अब्दुल्ला के हिसाब से चल रहे थे।

मंत्री ने कहा- यदि पटेल को जिम्मेदारी दी गई होती तो गुलाम कश्मीर भारत का हिस्सा होता

देश के प्रथम गृह मंत्री सरदार पटेल की तारीफ करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यदि पटेल को स्वतंत्रता प्रदान की गई होती तो न केवल भारतीय उप महाद्वीप का इतिहास अलग होता, बल्कि राज्य का विलय भी काफी पहले हो गया होता और गुलाम कश्मीर भी भारत का हिस्सा होता।

जितेंद्र सिंह ने कहा- सरदार पटेल के हस्तक्षेप के बाद राज्य के अन्य हिस्से पाक में जाने से बच गए

उन्होंने कहा कि इतिहास ने महाराजा हरि सिंह के साथ न्याय नहीं किया। आज के बदले हालात में भविष्य की पीढ़ियों के लिए अब सारी भ्रांतियां दूर हो जाएंगी। जम्मू-कश्मीर की उधमपुर सीट से लोकसभा सदस्य सिंह ने कहा, सच्चाई यह है कि सरदार पटेल के हस्तक्षेप के बाद ही श्रीनगर में भारतीय सैनिक पहुंचे और राज्य के अन्य हिस्सों को भी पाकिस्तान के कब्जे में जाने से बचाया।

केंद्रीय मंत्री ने कहा- नेहरू ने हरि सिंह के बजाय अब्दुल्ला का पिछले दरवाजे से दिया साथ

उन्होंने कहा कि नेहरू ने महाराजा हरि सिंह के साथ स्वतंत्र और खुली चर्चा के बजाय अब्दुल्ला के साथ पिछले दरवाजे से बातचीत का रास्ता अपनाया। उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370 और 35 ए बाद में लाए गए।


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