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देश में 117 साल पहले जमशेदजी टाटा ने ही बनवाया था पहला बिजली वाला पांच सितारा होटल

मुंबई में गेटवे इंडिया के सामने ताजमहल जैसा शानदार होटल खड़ा कर दिया। इस होटल का सपना देखने वाले जमशेदजी टाटा ही थे

By Vinay TiwariEdited By: Published: Mon, 18 May 2020 11:00 PM (IST)Updated: Tue, 19 May 2020 07:22 AM (IST)
देश में 117 साल पहले जमशेदजी टाटा ने ही बनवाया था पहला बिजली वाला पांच सितारा होटल
देश में 117 साल पहले जमशेदजी टाटा ने ही बनवाया था पहला बिजली वाला पांच सितारा होटल

नई दिल्ली। देश को एक अलग पहचान दिलाने में देश के ही कुछ उद्योगपतियों ने अपना अहम योगदान दिया है, इसमें एक बड़ा नाम टाटा कंपनी का भी है। ये टाटा कंपनी ही है जिसने मुंबई में गेटवे इंडिया के सामने ताजमहल जैसा शानदार होटल खड़ा कर दिया। इस होटल का सपना देखने वाले जमशेदजी टाटा ही थे, आज उनकी मृत्यु की वर्षगांठ के मौके पर हम उनके कुछ ऐसे ही विरले कारनामों के बारे में आपको बताएंगे।

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मुंबई के ताज होटल के जमशेदजी के एक दो और ऐसे ही सपने थे जिसे उनके बाद उनके परिवार के सदस्यों ने पूरा किया। उन दिनों होटल ताज महल दिसंबर 1903 में 4 करोड़ 21 लाख रुपये के भारी खर्च से तैयार हुआ था, उन दिनों यह भारत का एकमात्र होटल था जहां बिजली की व्यवस्था थी।

टाटा ग्रुप ने कारोबार के हर क्षेत्र में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। एक समय ऐसा आया कि टाटा ग्रुप का एक आदमी के जीवन में हर तरह से दखल हो गया। वो अपने पूरे जीवन में टाटा कंपनी की न जानें कितनी चीजें इस्तेमाल करता है। शायद ही कोई ऐसा क्षेत्र हो जिसमें टाटा कंपनी का किसी न किसी तरह से भूमिका न हो। टाटा कंपनी नमक से लेकर देश दुनिया में प्रसिद्ध व्यवसायिक वाहन और शानदार होटलों की चेन बनाने के लिए जानी जा रही है।

14 साल की आयु में व्यापार में रखा कदम

जमशेदजी का जन्म 3 मार्च 1839 में दक्षिणी गुजरात के नवसारी में एक पारसी परिवार में हुआ था। 19 मई 1904 को 65 साल की आयु में उनकी मृत्यु हो गई थी। उनका पूरा नाम जमशेदजी नुसीरवानजी टाटा था। उनके पिता का नाम नुसीरवानजी तथा माता का नाम जीवनबाई टाटा था। उनके पिता अपने खानदान में अपना व्यवसाय करने वाले पहले व्यक्ति थे।

मात्र 14 साल की आयु में ही जमशेदजी अपने पिता के साथ मुंबई आ गए और व्यवसाय में कदम रखा था। उसी उम्र में उन्होंने अपने पिता का साथ देना शुरू कर दिया था। जब वे 17 साल के थे तब उन्होंने मुंबई के एलफिंसटन कॉलेज में प्रवेश लिया और दो साल के बाद सन 1858 में ग्रीन स्कॉलर (स्नातक स्तर की डिग्री) के रूप में पास हुए और पिता के व्यवसाय में पूरी तरह लग गए। इसके पश्चात इनका विवाह हीरा बाई दबू के साथ करा दिया गया था।

मुंबई का ताज महल होटल उनकी देन

जमशेद जी के जीवन के बड़े लक्ष्यों एक स्टील कंपनी खोलना, एक विश्व प्रसिद्ध अध्ययन केंद्र स्थापित करना, एक अनूठा होटल खोलना और एक जलविद्युत परियोजना लगाना शामिल था। हालांकि उनके जीवन काल में इनमें से सिर्फ एक ही सपना पूरा हो सका होटल ताज महल का सपना। बाकी की परियोजनाओं को उनकी आने वाली पीढ़ी ने पूरा किया। 

मात्र 21 हजार रूपये लगाकर स्थापित किया था प्रतिष्ठान

29 साल की उम्र में उन्होंने अपने पिता की कंपनी में काम किया फिर उसके बाद सन 1868 में मात्र 21 हजार की पूँजी लगाकर एक व्यापारिक प्रतिष्ठान स्थापित किया। सन 1869 में उन्होंने एक दिवालिया तेल मिल खरीदी और उसे एक कॉटन मिल में तब्दील कर उसका नाम एलेक्जेंडर मिल रख दिया था।

लगभग दो साल बाद जमशेदजी ने इस मिल को ठीक-ठाक मुनाफे के साथ बेच दिया और इन्हीं रुपयों से उन्होंने सन 1874 में नागपुर में एक कॉटन मिल स्थापित की। उन्होंने इस मिल का नाम बाद में इम्प्रेस्स मिल कर दिया जब महारानी विक्टोरिया को भारत की रानी का खिताब दिया गया। साल 2015-16 में कंपनी को 103.51 अरब डॉलर का राजस्व मिलता था। ये कंपनी देश की जीडीपी में भी काफी योगदान देती है। 

देश के औद्योगिक विकास में योगदान

देश के औद्योगिक विकास में जमशेदजी का असाधारण योगदान है। इन्होंने भारत में औद्योगिक विकास की नींव उस समय रखी थी जब देश गुलामी की जंजीरों में जकड़ा था और उद्योग-धंधे स्थापित करने में अंग्रेज ही कुशल समझे जाते थे। भारत के औद्योगीकरण के लिए उन्होंने इस्पात कारखानों की स्थापना की महत्वपूर्ण योजना बनाई। उनकी अन्य बड़ी योजनाओं में पश्चिमी घाटों के तीव्र धाराप्रपातों से बिजली उत्पन्न करने की योजना (जिसकी नींव 8 फरवरी 1911 को रखी गई) भी शामिल है।

दिग्गज कारोबारी ही नहीं महान राष्ट्रवादी और परोपकारी भी

जमशेद जी दिग्गज उद्योगपति के साथ ही बड़े राष्ट्रवादी और परोपकारी थे. आज भले ही परोपकार या फिलेंथ्रॉपी की कारोबारी दुनिया में गूंज हो लेकिन जमशेद जी के बेटे दोराब टाटा ने 1907 में देश की पहली स्टील कंपनी टाटा स्टील एंड आयरन कंपनी, टिस्को खोली थी तो यह कर्मचारियों को पेंशन, आवास, चिकित्सा सुविधा और दूसरी कई सहूलियतें देने वाली शायद एक मात्र कंपनी थी।

विज्ञान के लिए 18 बिल्डिंगें कर दी थी दान

कल्याणकारी कामों और देश को एक बड़ी ताकत बनाने के विजन में वह काफी आगे थे। बेंगलुरू में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस की स्थापना के लिए उन्होंने अपनी आधी से अधिक संपत्ति जिनमें 14 बिल्डिंगें और मुंबई की चार संपत्तियां थीं, दान दे दीं।

व्यापार के लिए की विदेश की यात्राएं

व्यापार के संबंध में जमशेदजी ने इंग्लैंड, अमेरिका, यूरोप और अन्य देशों की यात्राएं की। जिससे उनको व्यापार करने के लिए तमाम तरह के आइडिया मिले, इससे उनके व्यापारिक ज्ञान में भी बढ़ोतरी हुई। इन यात्राओं के बाद एक बात ये भी सामने आई कि उन्होंने सोचा कि ब्रिटिश आधिपत्य वाले कपड़ा उद्योग में भारतीय कंपनियां भी सफल हो सकती हैं।

खड़ा किया साम्राज्य

जमशेदजी टाटा भारत के प्रसिद्ध उद्योगपति तथा औद्योगिक घराने टाटा समूह के संस्थापक थे। भारतीय औद्योगिक क्षेत्र में जमशेदजी ने जो योगदान दिया वह असाधारण और बहुत ही महत्त्वपूर्ण है। जब सिर्फ अंग्रेज ही उद्योग स्थापित करने में कुशल समझे जाते थे, जमशेदजी ने भारत में औद्योगिक विकास का मार्ग प्रशस्त किया था। टाटा साम्राज्य के संस्थापक जमशेदजी द्वारा किए गये कार्य आज भी लोगों प्रोत्साहित करते हैं। उनके अन्दर भविष्य को देखने की अद्भुत क्षमता थी जिसके बल पर उन्होंने एक औद्योगिक भारत का सपना देखा था। उद्योगों के साथ-साथ उन्होंने विज्ञान एवं तकनीकी शिक्षा के लिए बेहतरीन सुविधाएँ उपलब्ध कराई।

व्यवसायिक वाहन बनाने वाली सबसे बड़ी कंपनी

टाटा मोटर्स भारत में व्यावसायिक वाहन बनाने वाली सबसे बड़ी कंपनी है। इसका पुराना नाम टेल्को (टाटा इंजिनीयरिंग ऐंड लोकोमोटिव कंपनी लिमिटेड) था। यह टाटा समूह की प्रमुख कंपनियों में से एक है। इसकी उत्पादन इकाइयाँ भारत में जमशेदपुर (झारखंड), पुणे (महाराष्ट्र) और लखनऊ (यूपी) सहित अन्य कई देशों में हैं। टाटा घराने द्वा्रा इस कारखाने की शुरुआत अभियांत्रिकी और रेल इंजन के लिए की गई थी। किन्तु अब यह कंपनी मुख्य रूप से भारी एवं हल्के वाहनों का निर्माण करती है। इसने ब्रिटेन के प्रसिद्ध ब्रांडों जगुआर और लैंड रोवर को भी खरीद लिया है।

जमशेदपुर है उनके विजन का जीता-जागता नमूना

सिर्फ फैक्ट्रियां लगाना और उससे कमाई करना ही उनका लक्ष्य नहीं था बल्कि वो एक ऐसा शहर भी बसाना चाहते थे जो एक उदाहरण बनकर रह जाए। उनका विजन क्लीयर था। अगर जमशेद जी का विजन देखना हो तो एक बार झारखंड में जमशेदपुर जरूर देखना चाहिए। टाटानगर के नाम से मशहूर इस शहर को जिस नियोजित तरीके से बसाया गया और कर्मचारियों के कल्याण और सुविधाओं का जिस तरह से यहां ख्याल रखा गया है, वह उस दौर में कल्पना से बाहर की बात थी।  


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