Article 370 से आजादी के 30 दिन बाद यूं आकार ले रहा नया कश्मीर, आप भी जानें
Article 370. अलगाववाद और ब्लैकमेल की सियासत के अंत के बाद जम्मू और लद्दाख विकास की राह को सरपट दौड़ने को तत्पर है।
जम्मू, जागरण न्यूज नेटवर्क। जम्मू-कश्मीर राज्य के पुनर्गठन को मंजूरी और अनुच्छेद 370 हटाए जाने पर मुहर के बाद जम्मू-कश्मीर और लद्दाख की उम्मीदें आसमान पर हैं। अलगाववाद और ब्लैकमेल की सियासत के अंत के बाद जम्मू और लद्दाख विकास की राह को सरपट दौड़ने को तत्पर है। सबसे बड़ी बाधा हटने के बाद नया कश्मीर आकार ले रहा है। प्रधानमंत्री कार्यालय सीधे जम्मू-कश्मीर की विकास परियोजनाओं की मॉनीटरिंग कर रहा है। जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश बनाने के बाद वहां आधारभूत ढांचे को मजबूत करने और रोजगार के लिहाज से निवेश आकर्षित करने पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। केंद्र ने सभी मंत्रालयों से जम्मू-कश्मीर में लंबित परियोजनाओं का ब्योरा मांगा गया है और इन आधा दर्जन से अधिक मंत्रालयों की टीमें राज्य का दौरा कर विकास योजनाओं का खाका खींच चुकी हैं।
1. 30 सालों में सबसे शांत 30 दिन
सबसे पहली चुनौती कश्मीर में हालात सामान्य बनाने की थी। अलगाववादी तत्व और सीमापार बैठे उनके आकाओं ने हालात को बिागड़ने की साजिशें रची भी लेकिन कश्मीर की अमनपसंद जनता ने उनकाे विफल कर दिया। ऐसा पहली बार हुआ कि अलगाववादियों के बंद और मार्च के आह्वान को लोगों ने अनसुना कर दिया। घाटी में अभी तक ज्यादतर हिस्से में हालात सामान्य की ओर बढ़ रहे हैं। 90 फीसद से अधिक क्षेत्रों में दिन के समय कोई प्रतिबंध नहीं हैं। ज्यादातर लैंडलाइन सेवाएं शुरू हो चुकी हैं। मोबाइल सेवा को भी जल्द सुचारू कर दिया जाएगा। सुरक्षा बलों के अनुसार बीते 30 दिन कश्मीर में तीस सालों में सबसे शांत रहे हैं।
2. औद्योगिक विकास की नींव
अनुच्छेद 370 को राज्य के विकास में सबसे बड़ी बाधा माना जा रहा था। इस कारण राज्य में निवेश को बड़े समूह तैयार नहीं थे। अब हालात सामान्य देख राज्य में कई बड़ी कंपनियों ने निवेश का एलान किया है। करीब 15 हजार करोड़ का निवेश पाइपलाइन में है। अगले एक वित्तीय वर्ष के दौरान निवेश को एक लाख करोड़ तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है। यह निवेश वादी में हर दूसरे व्यक्ति को प्रत्यक्ष-परोक्ष रोजगार देगा। निवेशकों में रिलांयस समूह से लेकर पेपर बोट डिजायन स्टूडियो तक शामिल हैं। प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि वादी में निवेश के लिए 44 बड़ी कंपनियों ने औपचारिकताओं को पूरा करना शुरू कर दिया है। इन्होंने एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट जमा कर दिया है। जमीनी स्तर पर निवेश की प्रक्रिया नवंबर 2019 में प्रस्तावित निवेशक सम्मेलन के बाद ही शुरू होगी।
अधिकारी ने बताया कि कंपनियां आठ बड़े क्षेत्रों सूचना प्रौद्योगिकी, मौलिक अवसंरचना, नवीकरण ऊर्जा, उत्पादन, होटल एंड रेस्तरां व मनोरंजन, कौशल विकास, प्रतिरक्षा, और पर्यटन क्षेत्र में निवेश करने जा रही हैं। इस निवेश को अगले एक माह में 35 करोड़ तक पहुंचाया जा रहा है। नवंबर में निवेशक सम्मेलन के बाद निवेश को एक साल के दौरान एक लाख करोड़ पहुंचाने का लक्ष्य रखा है।
3. रोजगार की बहार
निजी कंपनियों के आने से रोजगार बढ़ेगा, उसके साथ प्रशासन ने भी बड़े पैमाने पर रोजगार की तैयारी शुरू कर दी है। जम्मू-कश्मीर के युवाओं को रोजगार देने के लिए रिक्त पड़े पचास हजार पदों को भरने की घोषणा कर दी है। इसके लिए जल्दी ही अधिसूचना भी जारी होने जा रही है। यह वह पद थे जो या तो बैकडोर से सियासी घरानों ने अपने लोगों को दिए गए थे या खाली पड़े थे। राज्य में सेना ने भी ढाई हजार से अधिक पदों को भरने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसके साथ ही एसपीओ के पदों की भर्ती हर जिले में शुरू की गई है, ताकि राज्य में बेहतर प्रशासन देने में मदद मिल सके।
4. पंचायतों को उनका हक
जम्मू-कश्मीर में 370 हटने का सबसे बड़ा असर ग्रामीण क्षेत्रों को सशक्त बनाने में होगा। पंचायती राज को मजबूत बनाने के लिए संविधान के 73वें संशोधन को प्रभावी बनाने का मार्ग प्रशस्त हो गया है। जम्मू-कश्मीर में पहली बार ब्लॉक डेवलपमेंट काउंसिल (बीडीसी) के चुनाव की तैयारी शुरू हो चुकी है। अक्टूबर में चुनाव करवा लिए जाएंगे। अभी तक सत्ता में बैठे लोगों ने पंचायतों को उनके अधिकार नहीं दिए और स्वयं फंड की बंदरबांट करते रहते थे। अब 45 हजार से अधिक पंचायत प्रतिनिधियों को सशक्त बनाया गया है और विकास की कमान सीधे पंचायतों को मिलेगी। फंड सीधे पंचायतों के खाते में जाएगा और वह अपनी मर्जी से विकास करवा सकेंगी। पंचायतों को पहले चरण में सात सौ करोड़ रुपये दिए गए थे। जल्द ही करीब तीन हजार करोड़ रुपये और दिए जाएंगे।
5. पंचायत प्रतिनिधियों को सुरक्षा और बीमा
निर्वाचित पंचायत प्रतिनिधि बेखौफ हो अपने गांव में बेहतर कार्य कर सकें, इसके लिए सरकार उनको सुरक्षा भी देगी और प्रत्येक पंचायत प्रतिनिधि को दो लाख का बीमा भी देगी। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने प्रदेश के पंचायत प्रतिनिधियों से मुलाकात के दौरान यह आश्वासन दिया। लक्ष्य है कि आतंकियों की धमकियों और खौफ का मुकाबला कर सकें। गृहमंत्री ने घोषणा की हर गांव में पांच लोगों को रोजगार मिलेगा। इसके लिए सरकार प्रयासरत है। इससे निश्चित तौर पर रोजगार के क्षेत्र में सुधार होगा और विकास से अछूते दूरदराज के गांवों में लोग बेहतर जीवन जी पाएंगे।
6. अब शान से लहरा रहा तिरंगा
अब जम्मू-कश्मीर में भी तिरंगा शान से फहरा रहा है। 370 के खात्मे के साथ एक निशान, एक विधान पर मुहर लग गई। उसके बाद 25 अगस्त को राज्य सचिवालय से राज्य का ध्वज हटा लिया गया। अब वहां केवल तिरंगा शान से लहरा रहा है। उससे पूर्व जम्मू-कश्मीर का अपना अलग ध्वज होता था और राज्य के सभी वाहनों और भवनों पर दोनों ध्वज फहराए जाते थे। अब एक नवंबर से राज्य में देश के तमाम कानून भी लागू हो जाएंगे।
7. लद्दाख की 70 साल की लड़ाई को मिला अंजाम
जम्मू-कश्मीर विधानसभा में पर्याप्त प्रतिनिधित्व न होने से विकास योजनाओं और फंड के संबंध में उनके साथ भेदभाव होता था। अब केंद्र से सीधा फंड मिलेगा और उम्मीद है कि विकास योजनाएं गति पकड़ेंगी। 70 साल में लद्दाख में एक विश्वविद्यालय भी नहीं बन पाया था। इस व्यवस्था से आजादी से वह लोग लगातार संघर्ष कर रहे थे। तो एक ख़ुशी स्वतंत्र सांस्कृतिक अस्तित्व की बहाली की है और दूसरी ख़ुशी विकास और रोज़गार की नई उम्मीदों से जुड़ी है।
8. भारत का पर्यटन का चेहरा बनेगा लद्दाख
दुनिया भर के लोग चंद्रलोक की इस दुनिया में सैर का सपना देखते हैं। कश्मीरी सियासी घरानों की भेदभावपूर्ण नीति के कारण वहां पर्यटन के विकास की संभावनाओं पर काम नहीं हो पाया। यहां तक साल के बड़े समय तक यह पूरी दुनिया से कटा रहता था। जोजिला टनल पूरी होने से अब इसे आल वेदर रोड से जोड़ने का काम पूरा हो जाएगा। कुछ वर्षों से यह काम लटका हुआ था। इससे अलावा सालभर चलने वाले सड़क मार्ग का कार्य भी प्रस्तावित है। इसके बाद लद्दाख भारत का पर्यटन मानचित्र का प्रमुख चेहरा बन जाएगा। इससे लोगों को रोजगार मिलेगा, क्षेत्र का विकास भी तेजी से होगा।
9. 15 नई चोटियों को पर्यटकों के लिए खोला
केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर व लद्दाख की 15 नई चोटियों को पर्यटकों के लिए खोल दिया है। इससे पर्यटन की वहां संभावनाओं में इजाफा होगा। अभी तक वहां सुरक्षा कारणों से पर्यटन की अनुमति नहीं थी। इन क्षेत्रों में आधारभूत ढांचे का तेजी से विकास होगा।
10. लद्दाख का जड़ी बूटियों और हैंडिक्राफ्ट को नया बाजार
लद्दाख में कुदरत की अनमोल जड़ी-बूटियों का खजाना है। प्रधानमंत्री ने मन की बात में इसकी अनमोल बूटी सोलो का जिक्र किया था जो दुर्गम क्षेत्रों में काम कर जवानों के लिए वरदान है। ऐसी न जाने कितने अनमोल खजाने वहां छिपे हैं। इसके अलावा वहां के हैंडिक्राफ्ट की दुनिया में मांग बढ़ेगी।
11. दूर होगा जम्मू से सौतेला व्यवहार
इस दौरान सियासी दलों ने जम्मू से केवल सौतेला व्यवहार ही किया। ऐसी दर्जनों परियोजनाएं हैं जो दशकाें से अधर में लटकी हैं या फिर फंड के अभाव के कारण बंद कर दी गई। नेता व अफसर मिलकर फंड की बंदरबांट कर देते थे और विकास परियोजनाएं लटकी रहती थीं। जम्मू के बड़े हिस्से में भी पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं पर सियासी दलों के सौतेले व्यवहार ने वहां आधारभूत सुविधाओं का विकास नहीं होने दिया। इस कारण वहां पर्यटक नहीं पहुंच रहे हैं। यह माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में वहां पर्यटन की संभावनाएं बलवती होंगी।
जानें, अब आगे क्या होगा
एक लाख आवास बनेंगे : पंचायतों व ब्लॉक स्तर पर नए लाभार्थियों की सूची तैयार करके जम्मू-कश्मीर में एक लाख नए आवास बनाए जाएंगे। इसके पहले 38 हजार से ज्यादा आवास का लक्ष्य लाभार्थियों की सूची के आधार पर तैयार किया गया था। अधिकारियों के अनुसार स्थिति सामान्य होते ही फर्क नजर आएगा। पंचायतों को ज्यादा ताकत देकर सीधे उनके जरिए काम कराए जाएंगे।
मेट्रो योजना को भी गति : राज्य में श्रीनगर व जम्मू में मेट्रो परियोजना का काम बरसों से कागजों से बाहर नहीं आ पाया। इस कारण दोनों शहरों को ट्रैफिक की परेशानियों से दो-चार होना पड़ता है। पूर्व सरकारों ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। अब उम्मीद है कि केंद्र सरकार राज्य के पुनर्गठन की कार्रवाई पूरी होते ही इन परियोजनाओं पर मुहर लगाएगी और फंड भी मिल जाएगा। उसके बाद इन योजनाओं पर तेजी से काम होगा।
निवेशक सम्मेलन पर नजर : नवंबर में राज्य में निवेशक सम्मेलन होने जा रहा है। इसमें भारत ही नहीं दुनियाभर से लोग जम्मू कश्मीर में निवेश की घोषणा करेगी। केंद्र सरकार राज्य के लिए इतना बड़ा निवेश लाना चाहती है कि दुनिया भी इस बदलाव को देख सके। करीब एक लाख करोड़ के निवेश का लक्ष्य रखा गया है।
बिजली उत्पादन: जम्मू-कश्मीर में वैकल्पिक ऊर्जा की अपार संभावनाएं हैं। हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट की गति मंद है। चेनाब बेसिन, झेलम बेसिन, रावी बेसिन की कुल क्षमता का महज 20 फीसदी पर ही काम हो रहा है। इसे भी देखा जाएगा। लद्दाख में सौर ऊर्जा की अपार संभावनाएं हैं। सबसे बड़ा सौर ऊर्जा प्रोजेक्ट लाने की तैयारी है।
पीएमओ की मॉनीटरिंग
जो परियोजनाएं चल रही हैं उन पर तेजी से काम होगा। क्योंकि इसकी सीधी मॉनीटरिंग पीएमओ कर रहा है। मौजूदा 272 किलोमीटर के ऊधमपुर, श्रीनगर, बारामुला रेल लिंक में से 111 किमी कटरा बनिहाल रेलवे लिंक पर काम अब और तेज हाेने की उम्मीद है। इस लिंक का रणनीतिक महत्व है। रेल मार्ग के बनने से कश्मीर में आवश्यक वस्तुओं की आमद सुचारू हो सकेगी। कश्मीर के किसान सेब, ड्राई फ्रूट देश के किसी भी हिस्से में भेज सकेंगे।
लंबित योजनाओं में तेजी
साढ़े छह किलोमीटर की जेड-मोड़ टनल के अलावा 14.3 किलोमीटर की जोजिला टनल पर काम चल रहा है। जोजिला टनल श्रीनगर और लद्दाख को जोड़ेगी। एनएचएआइ इस समय 189 किलोमीटर की पांच सड़क परियोजनाओं पर काम कर रहा है। इसकी लागत करीब 10 हजार 676 करोड़ रुपए है। इन परियोजनाओं में और तेजी आने की उम्मीद हैं।
सियासी बदलाव : जम्मू-कश्मीर तथा लद्दाख को अलग केंद्र शासित राज्य बनाने के बाद सियासी समीकरण भी बदल गए हैं। यहां उप राज्यपाल बनाए जाएंगे। विधानसभा की सीटें 114 हो जाएंगी। इसमें 90 सीटों के अलावा गुलाम कश्मीर के प्रतिनिधियों के लिए 24 सीटें निर्धारित होंगी। पहले जम्मू-कश्मीर में 87 सदस्यों की विधानसभा हुआ करती थी। इसमें लद्दाख की भी 4 सीटें शामिल हैं। जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित राज्य में मंत्रियों की संख्या कम होगी। पहले के मुकाबले आधे मंत्री रह जाएंगे। जम्मू-कश्मीर में विधान परिषद का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा। 15 सितंबर के आसपास एहतियातन हिरासत में लिए गए नेताओं की रिहाई का कार्यक्रम शुरू होगा। उसके बाद राज्य में सियासी गतिविधियां भी तेज होंगी। राज्य के पुनर्गठन के साथ परिसीमन का कार्य शुरू होगा।