निष्पक्ष हो जम्मू-कश्मीर के कांस्टेबल की मौत की जांच: सुप्रीम कोर्ट
कांस्टेबल समीर भाट की हत्या के मामले में पुलिस ने झूठी कहानी पेश की है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 21 अगस्त को राज्य सरकार को आदेश दिया था कि पुलिस चार सप्ताह में जांच पूरी करे।
नई दिल्ली, प्रेट्र: सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर पुलिस को हिदायत दी है कि कांस्टेबल की मौत की जांच निष्पक्ष तरीके से की जानी चाहिए। चीफ जस्टिस दीपक मिश्र की बेंच ने कहा कि मामले में चार्ज सीट पेश की जा चुकी है। पुलिस ने समय-समय पर अतिरिक्त चार्जशीट भी दाखिल की हैं, इसलिए यह जरूरी है कि जांच पूरी तरह से भेदभाव से रहित हो।
हालांकि बेंच ने याचिका दाखिल करने वाले एमके पंडिता की उस दलील को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने कहा था कि कांस्टेबल समीर भाट की हत्या के मामले में पुलिस ने झूठी कहानी पेश की है। राज्य सरकार की तरफ से वकील शोएब आलम ने पैरवी की। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 21 अगस्त को राज्य सरकार को आदेश दिया था कि पुलिस चार सप्ताह में जांच पूरी करे। पुलिस की एक रिपोर्ट पर अदालत ने कहा था कि इसमें आरोपी के इकबालिया बयान के अतिरिक्त और कुछ भी नहीं है। कांस्टेबल उस समय भेद भरे हालात में लापता हो गया था, जब वह कुपवाड़ा से श्रीनगर जाने के लिए निकला था।
आरोप है कि विशेष पुलिस अधिकारी एजाज अहमद ने उसकी हत्या कर दी थी। पंडिता ने इस मामले में संदेह जताते हुए कहा था कि भाट का शव सात जून को बरामद किया गया था। 21 दिनों बाद पुलिस ने शव बरामद करके एक मनगढ़ंत कहानी तैयार कर ली, जिससे मुख्य आरोपी को बचाया जा सके। आठ जून को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र के साथ जम्मू-कश्मीर पुलिस को नोटिस जारी कर स्टेटस रिपोर्ट तलब की थी।