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Jammu Kashmir: डीडीसी का चुनाव कई मायनों में अहम, अगले साल अक्टूबर-नवंबर तक हो सकते हैं विधानसभा चुनाव

माना जा रहा है कि सीटों के परिसीमन के बाद अगले साल अक्टूबर या नवंबर में वहां विधानसभा चुनाव कराए जा सकते हैं। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा है कि मोदी सरकार जम्मू-कश्मीर में लोकतांत्रिक संस्थाओं को मजबूत करने के लिए हरसंभव प्रयास करेगी।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Wed, 23 Dec 2020 08:09 PM (IST)Updated: Wed, 23 Dec 2020 08:09 PM (IST)
Jammu Kashmir: डीडीसी का चुनाव कई मायनों में अहम, अगले साल अक्टूबर-नवंबर तक हो सकते हैं विधानसभा चुनाव
जम्मू-कश्मीर में डीडीसी चुनाव में लोगों ने उत्साह के साथ हुए शामिल (फाइल फोटो)

नीलू रंजन, नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर में पहली बार हुए जिला विकास परिषद (डीडीसी) चुनावों की सफलता ने विधानसभा चुनाव के लिए रास्ता आसान कर दिया है। माना जा रहा है कि सीटों के परिसीमन के बाद अगले साल अक्टूबर या नवंबर में वहां विधानसभा चुनाव कराए जा सकते हैं। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा है कि मोदी सरकार जम्मू-कश्मीर में लोकतांत्रिक संस्थाओं को मजबूत करने के लिए हरसंभव प्रयास करेगी। वहीं चुनावी नतीजों से उत्साहित भाजपा ने इसे आशा और विकास की जीत करार दिया है। पार्टी के वरिष्ठ नेता व कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने नतीजों को राज्य की जनता का अलगाववादियों के मुंह पर करारा तमाचा बताया है।

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डीडीसी का चुनाव कई मायनों में अहम 

जम्मू-कश्मीर प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार डीडीसी का चुनाव कई मायनों में अहम है। पिछले तीन दशक में यह पहला ऐसा चुनाव है, जिसका किसी भी संगठन ने बायकॉट नहीं किया। यही नहीं, चुनाव परिणाम आने के बाद भी किसी भी दल ने चुनाव प्रक्रिया में गड़बड़ी की शिकायत नहीं की। अभी तक के चुनावों की तुलना में जनता की बढ़ी भागीदारी से भी साफ है कि विकास और बेहतर भविष्य के लिए लोगों ने आतंकवाद और अलगाववाद की जगह लोकतंत्र को प्राथमिकता दी। अमित शाह के अनुसार इससे लोकतंत्र के प्रति लोगों की आस्था और मनोबल को और बढ़ावा मिलेगा। जाहिर है पिछले साल अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद पहली बार हुए चुनाव में जनता की भागीदारी से सरकार के हौसले बुलंद हैं और वह विधानसभा चुनाव में भी ऐसी ही जनभागीदारी की उम्मीद कर रही है।

विधानसभा चुनाव में भी हिस्सा ले सकती है एनसी और पीडीपी

उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार जिस तरह से शुरुआती नानुकूर के बाद पीडीपी और एनसी समेत सात दलों ने गठबंधन बनाकर डीडीसी चुनाव में हिस्सा लिया, वैसे ही विधानसभा चुनाव में भी वे शामिल होंगे। हालांकि, एनसी और पीडीपी दोनों के शीर्ष नेता अनुच्छेद 370 की बहाली तक चुनाव नहीं लड़ने का एलान कर चुके हैं। परंतु, डीडीसी चुनाव में बढ़ी जनभागीदारी उन्हें अपने फैसले पर पुनर्विचार करने को मजबूर कर सकता है। डीडीसी चुनाव ने जिला स्तर पर इन दलों के नेताओं व कार्यकर्ताओं के रोजमर्रा की राजनीतिक गतिविधियों में शामिल होने का रास्ता भी खोल दिया है, जो विधानसभा चुनाव में जनता की भागीदारी और अधिक बढ़ाने का काम करेगा।

विपक्ष के खिलाफ भाजपा का हमला

वहीं, अनुच्छेद 370 के निरस्त होने और बड़ी संख्या में नेताओं के नजरबंद किए जाने को लेकर आलोचना झेल रही भाजपा को डीडीसी चुनावों ने विपक्ष के खिलाफ हमलावर होने का मौका दे दिया है। भाजपा इसे जम्मू-कश्मीर को लेकर मोदी सरकार द्वारा लिए गए फैसलों पर जनता की मुहर बता रही है। रविशंकर प्रसाद ने कहा, 'पीडीपी और कांग्रेस इन तीनों का वोट मिला दीजिए तो भाजपा का वोट इनसे ज्यादा है।' यही नहीं, सीटों के मामले में भी भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। जम्मू क्षेत्र में तो भाजपा का परचम लहराया ही, कश्मीर घाटी में भी वह खाता खोलने में सफल रही है।


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