15 से 31 जनवरी तक मदुरै में आयोजित होगा जल्लीकट्टू, 21 वर्ष से कम आयु के युवकों को अनुमति नहीं
तमिलनाडु में पोंगल त्योहार के दौरान खेला जाने वाला खेल जल्लीकट्टू का आयोजन मदुरै जिले में 15 से 31 जनवरी तक होगा।
मदुरै, एएनआइ। तमिलनाडु में पोंगल त्योहार के दौरान खेला जाने वाला खेल जल्लीकट्टू का आयोजन मदुरै जिले में 15 से 31 जनवरी तक होगा। मदुरै के जिला कलेक्टर ने गुरुवार को कहा कि 21 वर्ष से कम आयु के युवकों को पालमेडु और अलंगनल्लूर में आयोजित जल्लीकट्टू में भाग लेने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
पोंगल के त्योहार में अब कुछ ही दिन शेष हैं। ऐसे में सांड के मालिकों ने उन्हें तमिलनाडु में बेहद लोकप्रिय खेल जल्लीकट्टू के लिए प्रशिक्षित करना शुरू कर दिया है। इन सांड़ों का सालभर विशेष ध्यान रखा जाता है और उन्हें ट्रेनिंग दी जाती है। त्योहार के करीब होने के मद्देनजर सांडों का अतिरिक्त ध्यान रखा जा रहा है।
फिटनेस टेस्ट के बाद चयन
पिछले साल, आयु सीमा 20 से 40 वर्ष के बीच थी। कलेक्टर ने कहा कि प्रतिभागियों का वजन 45 किलो ग्राम से कम नहीं होना चाहिए। डॉक्टरों द्वारा जांच के बाद ही प्रतिभागियों को फिटनेस सर्टिफिकेट दिया जाएगा। इसी के आधार पर उनका सलेक्शन होगा।
तमिलनाडु का प्राचीन खेल है जल्लीकट्टू
पोंगल त्योहार के दौरान पूरे तमिलनाडु में विभिन्न जल्लीकट्टू कार्यक्रमों में लगभग 2,000 सांड़ों के भाग लेने की संभावना है। जल्लीकट्टू, तमिलनाडु का प्राचीन खेल है। इसका आयोजन फसलों की कटाई के दौरान पोंगल पर होता है। सुप्रीम कोर्ट ने साल 2014 में इसे एक याचिका पर प्रतिबंधित कर दिया था। लेकिन सरकार ने एक अध्यादेश पास करके इसके आयोजन के लिए रास्ता साफ कर दिया था।
खेल का पशुप्रेमी काफी समय से करते रहे हैं विरोध
इस खेल का पशुप्रेमी काफी समय से विरोध करते रहे हैं। जल्लीकट्टू में जल्ली का अर्थ सिक्का और कट्टू का अर्थ बांधा हुआ है। इस खेल के दौरान सांडों की सींगों में सिक्के या नोट फंसाकर उन्हें भीड़ में छोड़ दिया जाता है। लोगों के सांडों पर उनकी सींगों को पकड़कर काबू पाना होता है। सींग पर कपड़ा भी बंधा होता है। इसे इनामी राशि पाने के लिए निकालना होता है।