लेवी के दम पर मजबूत हो रहा लाल गलियारा
केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश नक्सलियों की हिट लिस्ट में ऐसे ही नहीं आए। दरअसल, लाल आतंक का मन-मिजाज और अर्थ-तंत्र वखूबी समझने वाले जयराम ने दलील दी है कि देश में लौह अयस्क के सबसे बड़े भंडार सारंडा (पश्चिम सिंहभूम-ओडिशा) में कम से कम 10 साल के लिए खनन बंद कर दिया जाए। उनका तर्क है कि नक्सलवाद खुद-ब-खुद दम तोड़ देगा। खनिज संसाधन से भरपूर इलाकों में नक्सलियों का प्रभुत्व है। इन इलाकों में निवेश के लिए आने वाली कंपनियां जहां नक्सलियों को बतौर लेवी बड़ी धनराशि मुहैया कराती हैं, वहीं रोजगार की तलाश में आने वाले बेरोजगार बंदूक थाम लेते हैं।
जागरण ब्यूरो, रांची। केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश नक्सलियों की हिट लिस्ट में ऐसे ही नहीं आए। दरअसल, लाल आतंक का मन-मिजाज और अर्थ-तंत्र वखूबी समझने वाले जयराम ने दलील दी है कि देश में लौह अयस्क के सबसे बड़े भंडार सारंडा (पश्चिम सिंहभूम-ओडिशा) में कम से कम 10 साल के लिए खनन बंद कर दिया जाए। उनका तर्क है कि नक्सलवाद खुद-ब-खुद दम तोड़ देगा। खनिज संसाधन से भरपूर इलाकों में नक्सलियों का प्रभुत्व है। इन इलाकों में निवेश के लिए आने वाली कंपनियां जहां नक्सलियों को बतौर लेवी बड़ी धनराशि मुहैया कराती हैं, वहीं रोजगार की तलाश में आने वाले बेरोजगार बंदूक थाम लेते हैं।
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तेंदु पत्ता बड़ा जरिया:
झारखंड, ओडिशा, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल और आंध्र प्रदेश के जंगलों में तेंदु पत्ता भरपूर मात्र में पाया जाता है। जंगलों में बंदूक के बल पर धमक बनाए भाकपा (माओवादी) ने पहले मजदूरी बढ़ाने के नाम पर मजदूरों को एकजुट किया। इससे जहां उन्हें सुदूर इलाकों में पनाह मिली, वहीं तेंदु पत्ता के ठेकेदारों से उन्हें मोटी रकम भी मिली।
सरकार के निशाने पर हैं नक्सलियों के बड़े नेता
खनन क्षेत्रों में भी दबदबा:
नक्सलियों के दबदबे वाले सारे इलाके खनिज संसाधनों से भरपूर हैं। इसका वे सीधा फायदा उठाते हैं। झारखंड में हाल के दिनों में जिन कंपनियों ने नक्सलियों को लेवी देने में आनाकानी की, उनके बड़े अधिकारियों को निशाना बनाया गया है। सुदूर इलाकों में काम करा रहे ठेकेदारों के उपकरण आदि नक्सलियों ने फूंक डाले।
चतरा में अफीम की खेती:
नक्सल प्रभावित इलाकों में सुरक्षा बलों की गैरमौजूदगी अवैध कारोबार का जरिया बन रही है। इससे जहां नक्सली दूरदराज के इलाकों में अपनी मौजूदगी मजबूत कर रहे हैं, वहीं मादक पदार्थ का कारोबार उन्हें काली कमाई भी करा रहा है। झारखंड के चतरा में नक्सलियों की देखरेख में गांजा-अफीम पैदा करने की पुष्टि सुरक्षा एजेंसियों ने भी की है।
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