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कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की राह पर ‘दीदी’, सॉफ्ट हिंदुत्व की तरफ झुकाव

अल्पसंख्यक राग अलापने वाली पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी का नया चेहरा सामने आया है। अब वो राहुल गांधी की तरह नरम हिंदुत्व पर जोर दे रही हैं।

By Lalit RaiEdited By: Published: Tue, 09 Jan 2018 06:55 PM (IST)Updated: Tue, 09 Jan 2018 07:11 PM (IST)
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की राह पर ‘दीदी’, सॉफ्ट हिंदुत्व की तरफ झुकाव
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की राह पर ‘दीदी’, सॉफ्ट हिंदुत्व की तरफ झुकाव

नई दिल्ली [स्पेशल डेस्क]। मां, माटी और मानुष ये तीन शब्द पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी की पहचान हैं। इन शब्दों के जरिए उन्होंने पश्चिम बंगाल की सड़कों पर लाल झंडे यानि सीपीएम की अगुवाई वाली सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला। जनता ने उनके नारे पर भरोसा कर राज्य की कमान उनके हाथों में सौंप दी और पश्चिम बंगाल में वाम दलों को पृष्ठभूमि में ढकेल दिया। विधानसभा का चुनाव हो, ग्राम पंचायत का चुनाव हो, नगरीय निकाय के चुनाव हों या आम चुनाव तृणमूल कांग्रेस का जलवा बरकरार रहा। ये बात अलग है कि ममता बनर्जी पर तुष्टीकरण के आरोप लगने लगे। हालांकि ममता बनर्जी विपक्ष के आरोपों से बेपरवाह रहीं।

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आखिर ममता के दिल में क्या है
पश्चिम बंगाल में पांव जमाने की कोशिश कर रही भाजपा लगातार ममता पर आरोप लगा रही है कि ममता के शब्दकोष में मां, माटी, मानुष के साथ साथ अब मुस्लिम भी शामिल हो गए हैं। तुष्टीकरण के चक्कर में वो बहुसंख्यकों की भावना से खिलवाड़ कर रही हैं। विपक्ष के आरोपों को कुंद करने के लिए वो एक तरफ जहां ब्राह्मणभोज और गीता बांट रही हैं। सवाल ये है कि क्या ममता बनर्जी का हृदय परिवर्तन हो रहा है। या वो ये सब सिर्फ दिखावे के लिए कर रही हैं। या उन्हें लगता है कि कांग्रेस ने जो गलती की वो गलती वो ना करें। गौरतलब है कि 2014 के आम चुनाव में करारी शिकस्त के बाद कांग्रेस के अंदर आवाज उठने लगी थी कि देश की बहुसंख्यक आबादी को ये लगने लगा था कि पार्टी उनकी उपेक्षा कर रही है। लिहाजा कांग्रेस ने अपनी रणनीति में बदलाव किया और गुजरात चुनाव के दौरान राहुल गांधी मंदिरों के चक्कर लगाने लगे। 


ब्राह्मणों को रिझाने के लिए अभियान
तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी के करीबी कहे जाने वाले अनुब्रत मंडल ने पार्टी की ओर से आयोजित ब्राह्मण सम्मेलन में आठ हजार पुरोहितों को गीता और उपहार भेंट कर सम्मानित किया।इस कार्यक्रम में अनुब्रत मंडल ने हिंदुत्व को लेकर बीजेपी पर जमकर हमला बोला। मंडल ने कहा कि वह साम्प्रदायिक सौहार्द को बढ़ावा देने के लिए सभी धर्मों का सम्मेलन करते आ रहे हैं। तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के निर्देश पर ही अनुब्रत ने पुरोहितों का सम्मेलन का आयोजन किया था।

इसके साथ ही पंचायत चुनाव से पहले ब्राह्मण सम्मेलन के आयोजन के सहारे उनकी पार्टी हिंदुओं को एकजुट करने की कोशिश करती दिखी। 17 जनवरी को मुस्लिम सम्मेलन और 24 जनवरी को आदिवासी सम्मेलन का भी आयोजन किया जाएगा। इससे पहले ममता बनर्जी के गाय बांटने को लेकर भी विवाद हुआ था।

भाजपा का पलटवार
बीरभूम में बाह्नमणों को गीता बांटने पर पश्चिम बंगाल भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा कि ममता बनर्जी के बारे में जनता सब कुछ जानती है। वो दिखावे के लिए ये सब कुछ कर रही हैं, हकीकत में उनका झुकाव किस तरफ है ये सबको पता है। ममता नरम हिंदुत्व अपनाने के मामले में राहुल से सीख ले रही हैं। उन्होंने कहा कि तथाकथित धर्मनिरपेक्ष नेता हिंदुत्व इसलिए अपना रहे हैं, क्योंकि वे अच्छी तरह जानते हैं कि हिंदू भाजपा के तहत एकजुट हो रहे हैं

दैनिक जागरण के एसोसिएट एडिटर राजीव सचान ने बताया कि इसमें शक नहीं कि ममता बनर्जी के खिलाफ पश्चिम बंगाल के बहुसंख्यक समाज में नाराजगी है। उन्हें लगता है कि 2019 का आम चुनाव उनके लिए बेहद महत्वपूर्ण है लिहाजा वो ये संदेश देने की कोशिश कर रही हैं कि वो बहुसंख्यक समाज के खिलाफ नहीं है।लिहाजा कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की तरह ही सॉफ्ट हिंदुत्व कॉर्ड खेल रही हैं। 

पिछले वर्ष मोहर्रम और दुर्गा पूजा विसर्जन के संबंध में राज्य सरकार ने विवादास्पद आदेश दिया था। आदेश के मुताबिक मोहर्रम वाले दिन दुर्गा की  मूर्तियों का  विसर्जन नहीं किया जा सकता था। ये बात अलग है कि कड़े विरोध और अदालत के आदेश के बाद राज्य सरकार को अपने आदेश को वापस लेना पड़ा था।लेकिन पश्चिम बंगाल की एक बड़ी आबादी का ये लगने लगा कि राज्य सरकार तुष्टीकरण में इतनी अंधी हो चुकी है कि वो बहुसंख्यकों की भावना के साथ खिलवाड़ कर रही है। 
 
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