बिन लालू प्रसाद यादव राजद की परीक्षा, रोचक होगा राज्यसभा चुनाव
लालू प्रसाद यादव की गैरमौजूदगी में राज्यसभा के लिए चुनाव होने जा रहे हैं। ऐसे में ये राष्ट्रीय जनता दल के लिए अग्निपरीक्षा से कम नहीं है।
नई दिल्ली [स्पेशल डेस्क] । संसद के उच्च सदन में मौजूदा केंद्र सरकार अल्पमत में है। जहां एक तरफ केंद्र सरकार को लोकसभा में मुश्किलों का सामना नहीं करना पड़ता है,वहीं राज्यसभा में सरकार की राह में तमाम तरह के रोड़े आते हैं। लेकिन अप्रैल 2018 से राज्यसभा की तस्वीर बदली नजर आ सकती है। बिहार कोटे से होने वाला राज्यसभा की सात सीटों के लिए चुनाव जहां एक तरफ सत्ता पक्ष के लिए अहम है वहीं ये चुनाव लालू प्रसाद यादव की पार्टी के लिए भी महत्वपूर्ण है। लालू यादव दहाड़ने के अंदाज में सड़क पर अपनी बात कहा करते थे। संसद का हिस्सा न होने के बावजूद वो सरकार को घेरने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ते थे।
लेकिन चारा घोटाले में सजा के बाद उनकी आवाज पर जेल की दीवारें पहरे का काम कर रही हैं। उनकी गैरमौजूदगी में राज्यसभा की इम्तिहान उनकी पार्टी को देना है। पार्टी को जीत का स्वाद चखाने की जिम्मेदारी अब उनके बेटों के कंधों पर है। ये देखना दिलचस्प होगा कि क्या तेजस्वी और तेजप्रताप लालू की कमी को पूरी कर पाएंगे या उनकी आवाज सिर्फ बिहार की सड़कों और पटना की गलियों तक सीमित रह जाएगी। लेकिन उससे पहले बिहार विधानसभा की मौजूदा तस्वीर और जीत की गणित को समझना जरूरी है।
बिहार विधानसभा में राजद-कांग्रेस की गणित
विधायक मुंद्रिका यादव के निधन के बाद राजद की सीट अब 79 हो गई है। कांग्रेस के 27 विधायक हैं। इस तरह से दोनों दलों के पास 106 विधायक हैं।243 सदस्यीय विधानसभा में एक राज्यसभा सीट के लिए 35 विधायकों की जरूरत होती है। अगर अंकगणित को देखा जाए तो राजद-कांग्रेस गठबंधन के खाते में तीन सीटें जा सकती हैं।मौजूदा समय में सत्तारुढ़ जेडीयू-भाजपा गठबंधन के सदस्यों के रिटायर होने की वजह से सीटें खाली हो रही हैं। खाली हो रहे राज्यसभा की सात सीटों के लिए सात फरवरी को मतदान हो सकता है।
एनडीए का संख्या बल
भाजपा विधायक आनंदभूषण पांडेय के निधन के बाद अब बिहार विधानसभा में विधायकों की संख्या 52 हो गई है। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के पाले में इस समय 128 विधायक है। अगर एक सीट के लिए 35 विधायकों के आंकड़े को देखें तो एनडीए को भीतीन सीटें मिलनी तय हैं। मौजूदा समय में भाजपा के पांच और जेडीयू के 2 राज्यसभा सदस्य हैं जिनका कार्यकाल 2 अप्रैल को खत्म हो रहा है।
शरद यादव वाली सीट पर असली लड़ाई
असली जंग शरद यादव की सीट को लेकर है। इस सीट के लिए चुनाव होगा। अगर राजद-कांग्रेस गठबंधन में कुछ विधायक पाला बदलते हैं तो राजद को मुश्किलों का सामना करना होगा। दरअसल लालू प्रसाद यादव के जेल में होने की वजह से उनके दोनों बेटे तेजस्वी और तेजप्रताप अपने विधायकों को कितना सहेज पाने में कामयाब हो सकेंगे ये देखने वाली बात होगी। गौरतलब है कि राज्यसभा चुनाव में कोई भी दल अपने विधायकों के लिए ह्विप नहीं जारी कर सकता है। ऐसे में बिन लालू राज्यसभा चुनावों की इस परीक्षा में राजद के लिए संकट ज्यादा है। दरअसल ये महज कुछ सीटों की लड़ाई नहीं है। राज्यसभा में सीटों की संख्या में कमी की वजह से उच्च सदन में विपक्ष की एका में कमी आएगी और सत्ता पक्ष को मजबूती मिलेगी। इसके साथ ही राजद की तरफ से उच्च सदन में पार्टी के समर्थन में आवाज बुलंद करने में कमी आएगी।
जानकार की राय
दैनिक जागरण से खास बातचीत में भारतीय राजनीति पर गहरी समझ रखने वाले शिवाजी सरकार ने कहा कि चुनाव में जीत और हार अभिन्न हिस्सा हैं। लेकिन इस दफा राज्यसभा के लिए होने वाला चुनाव दिलचस्प होगा। सरकार से बाहर होने के बाद तेजस्वी यादव, नीतीश कुमार सरकार पर जोरदार ढंग से हमला कर रहे थे। लेकिन चारा घोटाले में सजा के ऐलान के बाद न केवल उनके पिता जेल में हैं बल्कि उनका पूरा परिवार अलग अलग कानूनी लड़ाई का सामना कर रहा है। तमाम आरोपों के बाद भी जब लालू यादव जेल की चारदिवारी में कैद नहीं थे तो वो अपने कैडर, विधायकों पर नजर रखने के साथ साथ उनको अपने आभामंडल के जरिए बांध कर रखते थे। लेकिन अब जेल में होने की वजह से स्वभाविक तौर पर विधायकों पर उतनी पकड़ आसान नहीं होगा। ऐसे में सत्ता या तो अंतरात्मा की आवाज पर या किसी और रास्ते से राजद के विधायकों को अपने पाले में कर सकता है। ऐसे में राज्यसभा का चुनाव दिलचस्प होगा।
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