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अयोध्या विवाद पर श्री श्री की फिरंगी महली से मुलाकात, जानें कितनी बनी बात

श्री श्री रविशंकर ने मीडिया से बातचीत में कहा- हम दोनों ही इस बात पर सहमत हैं कि दोनों समुदायों के बीच पुल बनाया जाए।

By Rajesh KumarEdited By: Published: Fri, 17 Nov 2017 03:16 PM (IST)Updated: Fri, 17 Nov 2017 10:36 PM (IST)
अयोध्या विवाद पर श्री श्री की फिरंगी महली से मुलाकात, जानें कितनी बनी बात

नई दिल्ली, [स्पेशल डेस्क]। अयोध्या विवाद के शांतिपूर्ण समाधान की तलाश में निकले आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री से मिलने और गुरुवार को अयोध्या में श्री रामजन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपालदास से मुलाकात के बाद शुक्रवार को इस दिशा में अपना एक कदम और आगे बढ़ाया। श्री श्री लखनऊ ईदगाह के इमाम मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली से मिले और विवाद के शांतिपूर्ण समाधान के विकल्पों पर चर्चा की।

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दोनों समुदायों के बीच बने पुल

समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, श्री श्री रविशंकर ने मीडिया से बातचीत में कहा- हम दोनों ही इस बात पर सहमत हैं कि दोनों समुदायों के बीच पुल बनाया जाए। हमें दोस्ताना और भाईचारे का माहौल बनाना होगा, ताकि देश के सभी मुद्दों का समाधान कर सकें। उन्होंने आगे कहा कि हिन्दू और मुसलमानों के बीच कोई विवाद नहीं रहा, क्योंकि वे सदियों से साथ रहते आए हैं।

कानून दिलों को नहीं जोड़ता है

आध्यात्मिक गुरू ने आगे कहा कि हमें बातचीत के जरिए भाईचारे की विचारधारा को आगे बढ़ाना होगा। हम सभी कानून का सम्मान करते हैं, लेकिन कानून लोगों के दिलों को नहीं जोड़ सकता है। कानून हमेशा कानून रहेगा और लोगों को इसका पालन करना होगा। लेकिन, सबसे खास बात ये है कि सौहार्द और भाईचारा अंदर से आते हैं और यही हमेशा आगे भी रहेगा। श्री श्री ने कहा कि एक चीज जो मैं इस चर्चा के बाद देखता हूं वह है राष्ट्र का हित। लेकिन, इसके लिए हम सभी को धैर्य बनाकर रखना होगा, क्योंकि इसमें समय लग सकता है।


श्री श्री रविशंकर से मुलाकात के बाद ईदगाह के इमाम खालिद रशीद ने कहा कि दोनों नेताओं ने इस बात पर चर्चा की कि किस तरह से दोनों समुदायों को और करीब लाया जा सके और पूरे देश में सौहार्द का वातावरण बनाया जा सके।

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फिरंगी ने कहा कि लोगों को अनुशासन के साथ जीने के लिए श्री श्री रविशंकर की तरफ से दिए जा रहे ज्ञान के लिए उनका शुक्रगुजार हूं। लेकिन, सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि राष्ट्र को शांति और विकास के पथ पर आगे ले जाने के लिए दोनों समुदायों के अंदर से वैमनस्य की भावना को खत्म करना है। उन्होंने कहा, मैं ऐसा मानता हूं कि अगर दोनों समुदाय के नेता नियमित रूप से आपस में बैठक करते रहें तो सभी मुद्दों का अपने आप समाधान हो जाएगा।

क्या है विवाद

दरअसल, 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में हिन्दू कारसेवकों ने विवादित ढांचे को ढहा दिया था। जिसके बाद देशभर में हुए दंगे में करीब 2000 से भी ज्यादा लोग मारे गए थे। हिन्दूओं का दावा है कि ये राम जन्मभूमि है जहां पर मीर बाकी ने 1528-29 सीई (935एएच) के मस्जिद बनवायी थी। हालांकि, ये मस्जिद मुगल सम्राट के आदेश पर बनवाई गई थी, इसलिए इसका नाम पर उन्हीं के नाम पर रखा गया था।

5 दिसंबर से सुप्रीम कोर्ट में रोजाना सुनवाई

यहां पर गौर करनेवाली बात ये है कि 15वीं शताब्दी में बने इस विवादित ढांचे की सुनवाई उसके ढहाने की 25वीं वर्षगांठ की पूर्व संध्या पर सुप्रीम कोर्ट में दायर मालिकाना हक की 13 अपील पर सुनवाई होने जा रही है। 5 दिसंबर से शीर्ष अदालत में इस मुद्दे पर नियमित रूप से सुनवाई होगी।

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