2017: एलियंस को संदेश भेजने से लेकर इसरो के इतिहास रचने तक, वैज्ञानिकों ने गाड़े कामयाबी के झंडे
साल 2017 में वैज्ञानिकों ने कामयाबी के झंडे गाड़े हैं। तो आइए जानते हैं साल 2017 में वैज्ञानिकों ने क्या क्या खोज निकाला है।
नई दिल्ली, [नेशनल डेस्क]। अनंत रहस्यों को खुद में समाए अंतरिक्ष न जाने कब से खगोलविदों और आमजन की निगाहें अपनी ओर खींचे हुए है। कभी एलियंस की चर्चा होती है तो कभी मंगल पर मानव बस्तियां बसाने का सपना। बीत रहा साल 2017 कुछ इन्हीं खबरों के साथ अंतरिक्ष की उड़ान के लिहाज से चर्चाओं में रहा। एक नजर उन खोज, चर्चाओं और प्रयासों पर जिसने मानव को अंतरिक्ष की ओर एक कदम और करीब ला दिया।
आठ ग्रहों वाला एक और सोलर सिस्टम खोजा
नासा के केपलर स्पेस टेलिस्कोप ने हमारे जितना बड़ा ही एक और सोलर सिस्टम ढूंढ़ निकाला है। यह स्टार सिस्टम तो पहले ही खोज लिया गया था, लेकिन अब आठवें ग्रह की भी पहचान कर ली गई है। ऐसे में सूर्य या उस जैसे किसी स्टार की परिक्रमा करने के मामले में केपलर-90 सिस्टम की तुलना हमारे सौरमंडल से की जा सकती है।
अल्फा सेंटोरी पर धरती जैसे छोटे ग्रहों की संभावना
अमेरिका की येल यूनिवर्सिटी के खगोलविदों ने दावा किया कि हमारे ग्रह के सबसे करीबी तारा निकाय-अल्फा सेंटोरी पर धरती जैसे छोटी सी दुनिया बसी हो सकती है। नए अध्ययन में वैज्ञानिकों ने वहां निवास करने योग्य ग्रहों की खोज को विस्तृत करने के नए तरीकों का पता लगाया।
एलियंस को भेजा संदेश
सोनार ऑर्गनाइजेशन के वैज्ञानिकों ने एलियंस से संपर्क स्थापित करने की उम्मीद में पृथ्वी के एक करीबी ग्रह पर एक विस्तृत संदेश भेजा है। वैज्ञानिकों का मानना है कि अगर वास्तव में एलियंस का अस्तित्व है तो इन संदेशों का जवाब मिलने में कम से कम 25 साल लगेंगे। इस प्रोजेक्ट को नाम दिया गया जीजे273बी।
1.38 लाख भारतीयों ने बुक किया मंगल ग्रह का टिकट
इनसाइट नाम के मिशन के लिए तकरीबन एक लाख 38 हजार 899 भारतीयों ने मंगल पर जाने के लिए अपना नाम नासा को भेजा। जिन लोगों ने अपना नाम दिया है उन्हें ऑनलाइन बोर्डिंग पास दिया जाएगा। वास्तव में ये लोग नहीं, बल्कि इनके नाम चिप के जरिये मंगल पर भेजे जाएंगे।
23 आंखों वाला नासा का रोवर
नासा ने 2020 के मंगल मिशन के लिए अपने रोवर में ढेर सारी आंखें लगाने की बात कही। इस वजह से वह अपने चारों ओर देख सकेगा, अवरोधों का पता लगा सकेगा और लाल ग्रह के पर्यावरण का अध्ययन कर सकेगा। नासा ने अपने नए रोवर में अब तक के रोवर की तुलना में सर्वाधिक कुल 23 कैमरे लगाने की योजना बनाई।
सबसे पहला सूर्यग्रहण
वैज्ञानिकों ने सबसे पुराने दर्ज सूर्य ग्रहण की तारीख का पता लगाया। यह सूर्य ग्रहण ईसा से 1207 साल पहले 30 अक्टूबर को लगा था। यह घटनाक्रम ईसाइयों के धर्मग्रंथ बाइबल में भी दर्ज है। बाइबल की इबारत तथा प्राचीन मिस्र के विषय को एक साथ लेकर शोधकर्ताओं ने मिस्र के फिरऔन, खास तौर से रामेसेस द ग्रेट के शासनकाल का पता लगाया।
चांद पर मिली 50 किमी. लंबी गुफा
जापान के वैज्ञानिकों ने चांद पर एक बहुत बड़ी गुफा का पता लगाया। वैज्ञानिकों ने कहा, इस गुफा में चंद्रमा पर जाने वाले एस्ट्रोनॉट रह सकते हैं। इससे वे खतरनाक विकिरण और तापमान में बदलाव से बच सकते हैं। जापान के एइएइएनइ लूनर ऑर्बिटर से मिले आंकड़ों के अनुसार यह गुफा 3.5 अरब साल पहले भूगर्भ के अंदर हुई हलचल की वजह से बनी होगी। इस गुफा की लंबाई 50 किमी और चौड़ाई 100 मीटर है।
20 साल बाद खामोश हुआ कैसिनी
शनि और उसके रहस्यमय वलयों व चंद्रमाओं की अहम जानकारी जुटाने वाले अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के खोजी यान कैसिनी ने 15 सितंबर को अपना सफर खत्म किया। वह 11 लाख 30 हजार किमी. प्रति घंटे की तेज रफ्तार के साथ शनि के वायुमंडल में प्रविष्ट हुआ और चंद सेंकेडों में जलकर नष्ट हो गया।
भारतीय वैज्ञानिकों ने खोजी नई गैलेक्सी सरस्वती
भारत में वैज्ञानिकों के एक दल ने आकाशगंगाओं का एक बड़ा समूह खोजने का दावा किया, जिसे सुपरक्लस्टर भी कहा जाता है। यह गैलेक्सी पृथ्वी से 400 करोड़ प्रकाश वर्ष दूर बताई जा रही है। इस गैलेक्सी को वैज्ञानिकों ने सरस्वती नाम दिया।
इसरो ने रचा बड़ा इतिहास
इस वर्ष भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने इतिहास रच दिया। इसरो ने मेगा मिशन के तहत पीएसएलवी के जरिए एक साथ 104 सेटेलाइट सफल तरीके से लांच कर विश्व रिकॉर्ड बनाया। अभी तक यह रिकार्ड रूस के नाम था, जो साल 2014 में 37 सेटेलाइट एक साथ भेजने में कामयाब रहा था।
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