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कड़वी दवा का जोरदार असर, अर्थव्यवस्था के बेहतर रहने के मिले संकेत

वर्ष 2018 की शुरुआत में कुछ औद्योगिक क्षेत्रों के आए अनुमान अर्थव्यवस्था के बेहतर रहने के संकेत ही दे रहे हैं।

By Abhishek Pratap SinghEdited By: Published: Mon, 15 Jan 2018 10:12 AM (IST)Updated: Mon, 15 Jan 2018 11:00 AM (IST)
कड़वी दवा का जोरदार असर, अर्थव्यवस्था के बेहतर रहने के मिले संकेत
कड़वी दवा का जोरदार असर, अर्थव्यवस्था के बेहतर रहने के मिले संकेत

नई दिल्ली, [हर्षवर्धन त्रिपाठी]। केंद्रीय सांख्यिकी संस्थान के आंकड़े आने के बाद फिर से चर्चा तेज हो गई है कि क्या सरकार ने नोटबंदी और जीएसटी का फैसला एक साथ लेकर गलती कर दी है। केंद्रीय सांख्यिकी संस्थान के आंकड़े में 2017-18 के लिए जीडीपी 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है। ये आंकड़े सही साबित हुए तो बीते चार सालों में सबसे कम तरक्की की रफ्तार होगी। खेती की तरक्की की रफ्तार में भी काफी कमी की बात केंद्रीय सांख्यिकी आयोग कह रहा है। उसके आंकड़े मतलब सरकार के आंकड़े, लेकिन केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रलय ने केंद्रीय सांख्यिकी आयोग के आंकड़ों से बेहतर आंकड़े खेती में रहने की उम्मीद जताई है। इसके पीछे कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रलय का तर्क है कि 2017 में खरीफ और रबी दोनों सत्रों की उपज काफी अच्छी हुई है और होने की संभावना दिख रही है। रबी सत्र में 5 जनवरी तक 5 करोड़ 86 लाख हेक्टेयर इलाके में बुवाई हो चुकी है, इन वजहों से केंद्रीय सांख्यिकी संगठन के आंकड़ों से बहुत बेहतर खेती रहने की उम्मीद की जा सकती है।

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पहले से पता था कि दिखेगा नोटबंदी और जीएसटी का असर

सवाल है कि सांख्यिकी आयोग के आंकड़े बेहतर अर्थव्यवस्था की तरक्की की रफ्तार हो सकती है क्या? इसे समझने के लिए अर्थव्यवस्था की बेहतरी या बदतरी के संकेत देने वाले आंकड़ों को देख लेते हैं। यह सही है कि नोटबंदी और जीएसटी के एक के बाद एक लागू कर देने से उद्योग, कारोबार पर असर पड़ा और 2017 के ज्यादातर आंकड़ों में यही बात साफ नजर भी आती है, लेकिन इसका अनुमान तो पहले से ही था। अब सवाल यह है कि क्या अभी तक नोटबंदी और जीएसटी का बुरा असर खत्म नहीं हुआ है या फिर अर्थव्यवस्था में बेहतरी के दूसरे लक्षण भी अभी तक नहीं दिख पा रहे हैं। आंकड़ों के लिहाज से साल 2017 बीतते-बीतते अर्थव्यवस्था में बेहतरी के संकेत साफ दिख रहा है। इसकी पुष्टि विश्व बैंक के ताजा अनुमान से भी होती है। विश्व बैंक ने 2018 के लिए भारत की तरक्की की रफ्तार 7.3 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है और अगले दो सालों में यह बढ़कर 7.3 प्रतिशत रहने की बात कही है।

भारत में दिखती है विकास की असाधारण क्षमता

विश्व बैंक के डेवलपमेंट प्रॉसपेक्ट्स ग्रुप के डायरेक्टर अयहान कोसे कहते हैं कि हर हाल में अगले दशक में भारत महत्वपूर्ण विकासशील देशों में बेहतर तरक्की की रफ्तार हासिल करने जा रहा है। कोसे कहते हैं कि बड़ी तस्वीर देखने पर भारत में विकास की असाधारण क्षमता दिखती है। चीन की रफ्तार धीमी हो रही है जबकि भारत तेजी से तरक्की करेगा। विश्व बैंक का अनुमान आने के बाद और भारत में दूसरे मानकों पर अर्थव्यवस्था की रफ्तार बेहतर होनी दिखने के बाद, लग रहा है कि शायद सांख्यिकी आयोग भाजाप सांसद सुब्रमण्यम स्वामी के उस बयान के बाद थोड़ा सतर्क हो गया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि सरकार बेहतर आंकड़ों के लिए दबाव डालती है। क्योंकि अर्थव्यवस्था के ज्यादातर मानकों पर संकेत बेहतर हैं।

भारतीय बाजारों ने बीते साल को जबरदस्त तेजी के साथ विदाई दी है। 2017 में भारतीय शेयर बाजार में करीब 29 प्रतिशत की तरक्की देखने क मिली है। सेंसेक्स करीब 28 प्रतिशत बढ़कर 34,000 के ऊपर रहा और निफ्टी भी करीब 29 प्रतिशत बढ़कर 10,500 के ऊपर रहा। बाजार की इस तेजी से कंपनियों को अच्छा फायदा मिला, साथ में निवेशकों की जेब में भी पिछले साल से 51 लाख करोड़ रुपये ज्यादा आए। मगर सिर्फ शेयर बाजार की तेजी से अर्थव्यवस्था की मजबूती या कमजोरी का अनुमान लगाना कहीं से भी सही नहीं होगा। इससे सिर्फ संकेत भर लिया जा सकता है।

अर्थव्यवस्था की मजबूती को समझने के लिए देश के कोर क्षेत्रों की तरक्की के आंकड़े के साथ ग्राहकों की खर्च करने की क्षमता कितनी बढ़ी, यह समझना जरूरी होता है, क्योंकि ग्राहक खर्च तभी करता है जब उसके पास अपनी जरूरतों को पूरा करने के बाद भी बचत हो पाती है।

जमकर खरीदी कार और एसयूवी

बीते साल में लोगों ने जमकर कार और एसयूवी खरीदा है। 2013 के बाद कारों की बिक्री में सबसे ज्यादा बढ़त देखने को मिली है। पहली बार कारों की बिक्री किसी साल में 30 लाख के ऊपर चली गई है। अभी 2017 में कारों की बिक्री के शुरुआती अनुमान बता रहे हैं कि 2017 में लोगों ने 9.2 प्रतिशत ज्यादा कारें खरीदी हैं। 2016 में कुल 29 लाख कारें बिकी थीं जबकि, 2017 में 32 लाख से ज्यादा कारें बिकने का अनुमान लगाया गया है। 2012 में 9.3 प्रतिसत ज्यादा कारें बिकी थीं। इसके बाद 2013 में तो 7.2 फीसद कम कारें बिकीं। 2014 में 0.7 फीसद ज्यादा कारें बिकीं। इसके बाद के सालों- 2015 में 7.8 और 2016 में 7.0 फीसद कारों की बिक्री तेज से बढ़ी और बीते साल 2017 में कारों की बिक्री एक बार फिर करीब 10 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ी। इसमें एक बात और समझने की है कि कारों में ज्यादातर बढ़ोतरी एसयूवी खंड में है।

इसका मतलब 10 लाख रुपये से ऊपर वाली कारें खूब बिकी हैं। कार कंपनियों को 2018 में भी अच्छी तरक्की की उम्मीद है।1साल 2018 की शुरुआत में आए अच्छे आंकड़े सिर्फ कार कंपनियों के नहीं हैं। इससे इतना जरूर अनुमान लगाया जा सकता है कि एक बड़ा मध्यमवर्ग फिर से अपनी जरूरतों से आगे खर्च करने लायक पैसे बचा पा रहा है, लेकिन अर्थव्यवस्था की असली तस्वीर तो कोर क्षेत्र में होने वाली तरक्की के आंकड़ों से ही तय होता है। कोर क्षेत्र के ताजा आंकड़े शानदार आए हैं।

स्टील और सीमेंट उद्योग में दिखी बढ़त

साल 2018 की शुरुआत में आए ताजा आंकड़ों के मुताबिक पिछले 13 महीने में सबसे ज्यादा बढ़त कोर क्षेत्र में नवंबर महीने में देखने को मिली है। स्टील और सीमेंट उद्योग में जबरदस्त बढ़त दिखी, पूरे औद्योगिक वृद्धि के बेहतर होने का संकेत देता है। नवंबर महीने में कोर क्षेत्र-कोयला, सीमेंट, स्टील, उर्रवरक, इलेक्टिसिटी, रिफाइनरी प्रोडक्ट, प्राकृतिक गैस और कच्चा तेल में 6.8 प्रतिशत की तरक्की की रफ्तार दिखी है। अक्टूबर महीने में यह रफ्तार 5 प्रतिशत थी। सिर्फ स्टील और सीमेंट क्षेत्र में तरक्की की रफ्तार देखें तो यह 16.6 प्रतिशत और 17.3 प्रतिशत रही है। इन दोनों क्षेत्रों में उत्पादन नोटबंदी के पहले के स्तर पर पहुंच गया है। इससे औद्योगिक उत्पादन के जबरदस्त होने का अनुमान लगाया जा सकता है।

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं)

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