हरित दिल्ली के नाम पर करोड़ों का फंड, फिर स्वच्छ हवा को क्यों तरसती है राजधानी
शीला दीक्षित सरकार ने वाहन उत्सर्जन के चलते हो रहे वायु प्रदूषण पर काबू पाने के उद्देश्य से डीजल की बिक्री पर सेस लगाने की घोषणा की थी।
नई दिल्ली, [स्पेशल डेस्क]। वायु प्रदूषण से मुकाबले के लिए अथॉरिटीज की तरफ से करीब 15 सौ करोड़ रूपये से ज्यादा की राशि जमा की गई। लेकिन, उसका अधिकांश हिस्सा यूं ही बचा हुआ है जबकि दूसरी तरफ दिल्ली ख़तरनाक हवा की चुनौतियों से जूझ रही है।
करोड़ों का फंड फिर भी तरसती दिल्ली
जमा हुए फंड में से 10 नवंबर तक 1003 करोड़ रुपये एन्वायरमेंट कंपनसेशन चार्ज (ईसीसी) यानि पर्यावरण क्षतिपूर्ति शुल्क के लिए वसूला गया। यह ईसीसी साल 2015 में सुप्रीम कोर्ट की तरफ के आदेश के बाद दिल्ली के अंदर प्रवेश कर रहे ट्रकों से लिया जा रहा है। जबकि, बाकी का हिस्सा दिल्ली में साल 2008 से बिक रहे प्रति लीटर पेट्रोल की बिक्री पर सेस लगाकर जमा किया गया है।
2000 सीसी से ज्यादा क्षमता वाली गाड़ियों पर सेस
पिछले साल अगस्त में सुप्रीम के इस निर्देश के बाद कि 2000सीसी या उससे ज्यादा की क्षमता वाले इंजन गाड़ियों की बिक्री पर एक प्रतिशत का सेस लगाया जाए, केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने 62 करोड़ रुपये इकट्ठा किया है। सेंटर फॉर साइंस एंव एन्वायरमेंट (सीएसई) के साथ काम कर रहे रिसर्चर उस्मान नसीम का कहना है कि हर शुक्रवार को दक्षिणी दिल्ली नगर निगम (एसडीएमसी) की ओर से इकट्ठा किए गए ईसीसी फंड शहर से परिवहन विभाग को सौंप दिया जाता है।
शीला सरकार ने लगाया था डीजल पर सेस
साल 2007 के दिसंबर में शीला दीक्षित सरकार ने वाहन उत्सर्जन के चलते हो रहे वायु प्रदूषण पर काबू पाने के उद्देश्य से डीजल की बिक्री पर सेस लगाने की घोषणा की थी। प्रदूषण के नाम पर जमा की गई इस राशि को एयर एंबुलेंस फंड के नाम से जाना जाता है और इसका रखरखाव दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड करता है। नसीम की मानें तो पिछले कुछ वर्षों में यह फंड बढ़कर काफी बड़ा हो चुका है और अब करीब 500 करोड़ रुपये से भी ज्यादा की यह राशि हो चुकी है।
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, जब दिल्ली सरकार के परिवहन विभाग के अधिकारियों से संपर्क किया गया तो उन्होंने बताया कि सिर्फ कल (यानि मंगलवार को) इस बारे में एक फैसला लिया गया है कि इलैक्ट्रिक बसों की खरीद पर सब्सिडी दी जाए।
अधिकारी ने कहा- हम फंड का इस्तेमाल इलैक्ट्रिक बसों के ऊपर करेंगे। उसकी वजह ये है कि इलैक्ट्रिक बसें काफी महंगी आ रही हैं और पहले चरण में उस पर सब्सिडी दिए जाने की जरुरत है। हालांकि, उसको चलाने में ज्यादा खर्च नहीं आएगा। वैसे अभी इस बात की पुष्टि नहीं हो पायी है कि कितनी इलैक्ट्रिक बसें खरीदने की योजना बना रही है या फिर उसके लिए कितनी रकम की आवश्यकता है।
इसके अलावा, ईसीसी फंड से करीब 120 करोड़ रुपये रेडिये फ्रीक्वेंसी आइडेन्टिफिकेशन डिवाइस के ऊपर खर्च किया जाएगा ताकि ट्रकों से से लेवी शुक्ल और इसीसी की रकम की वसूली सही तरीके से हो पाए।
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