शिवसेना के आरोपों में कितना दम, NDA में शामिल होगी NCP?
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार राजनीति के ऐसे दिग्गज खिलाड़ी हैं, जिन्हें किसी पार्टी से परहेज नहीं है। शिवसेना ने भी NCP के राजग में शामिल होने की संभावना जताई थी
सतीश पेडणोकर
क्या नीतीश कुमार की जदयू, तमिलनाडु की अन्नाद्रमुक के बाद महाराष्ट्र की शरद पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) भी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन यानी राजग में शामिल होगी? भारतीय जनता पार्टी और एनसीपी के बारे में अक्सर सनसनीखेज बयान देने वाले शिवसेना नेता सांसद संजय राउत ने हाल ही में दावा किया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राकांपा प्रमुख शरद पवार की बेटी सुप्रिया सूले को अपने मंत्रिमंडल में शामिल करने की पेशकश की थी। संजय राउत के इस दावे को लेकर भारतीय मीडिया में भी काफी चर्चा चलती रही।
बहरहाल, शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ में प्रकाशित एक लेख में राउत ने कहा कि पवार के साथ एक मुलाकात में उन्होंने मीडिया में आई उन खबरों के बारे में पूछा, जिनमें कहा गया था कि पवार मोदी मंत्रिमंडल में शामिल होंगे। राउत ने लिखा, ‘पवार ने मुझसे कहा कि मीडिया में आई खबरों में कोई सच्चाई नहीं है। उन्होंने इस तरह की खबरों को मूर्खता की हद करार दी।’ शिवसेना नेता ने दावा किया कि पवार ने कहा, ‘मेरी पार्टी के बारे में अफवाह फैलाई जा रही है। मोदी ने एक बार मुझसे कहा था कि वह सुप्रिया को अपने मंत्रिमंडल में शामिल करना चाहते हैं। उस बैठक में मौजूद सुप्रिया ने मोदी से कहा कि वह भाजपा में शामिल होने वाली अंतिम व्यक्ति होंगी।’ शिवसेना सांसद ने यह भी कहा कि पवार ने उन्हें बताया कि राकांपा का रुख स्पष्ट है, फिर भी भ्रम पैदा करने के लिए अफवाह फैलाई जा रही है।
वहीं सुप्रिया सुले ने राउत के इस दावे का खंडन किया है। मगर जो पिछले कुछ वर्षों से महाराष्ट्र की राजनीति पर नजर रख रहे हैं, उनका कहना है जो घटनाक्रम बिल्कुल साफ नजर आते हैं उनका भी खंडन करना राजनीतिज्ञों की आदत होती है।
बहरहाल, भारत के सियासी गलियारे में सभी जानते हैं कि शरद पवार और प्रधानमंत्री मोदी के बीच बहुत नजदीकी है। मोदी पवार के गांव बारामती में उनके कार्यक्रमों में जा चुके हैं। यही कारण है कि महाराष्ट्र की राजनीति में ‘पति पत्नी और वो’ का खेल चल रहा है। शिवसेना सरकार की अधिकृत भागीदार है, मगर वह अक्सर सरकार छोड़ने की धमकियां देती रहती हैं, लेकिन भाजपा इन धमकियों से चिंतित नहीं है, क्योंकि उसे पता है कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी उनके साथ है और उसकी सरकार गिरने नहीं देगी। हालांकि शिवसेना की धमकियां जारी रहती हैं, लेकिन वह उस पर अमल नहीं करती। लिहाजा भाजपा भी शिवसेना की धमकियों को कोई तवज्जो नहीं देती है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राकांपा प्रमुख में संबंध इतने घनिष्ठ हैं कि जब भी मंत्रिमंडल के पुनर्गठन की चर्चा होती है तो यह भी अफवाह होती है पवार मंत्रिमंडल में शामिल हो सकते हैं। इसी संदर्भ में राउत ने पवार से सवाल पूछा था। यूं भी पवार चतुर सुजान राजनीतिज्ञ हैं। वह हवा का रुख अच्छी तरह जानते हैं। यूं भी पवार उन राजनीतिज्ञों में से रहे हैं, जो 2014 के चुनाव में नरेंद्र मोदी की जीत के बाद से पसोपेश में रहे हैं कि कांग्रेस के साथ अपना गठबंधन जारी रखें या नहीं।
दूसरी तरफ उनके मोदी के साथ रिश्ते इतने नजदीकी हैं कि वे उनके चलते राज्य की राजनीति में भाजपा को राजनीतिक फायदा पहुंचाते हैं। यूं भी पावर उन राजनीतिज्ञों में से रहे हैं जो सियासी मतभेदों के बावजूद कांग्रेस के अलावा अन्य राजनीतिक पार्टियों के साथ भी काम करते रहे हैं। राजनीतिक व्यावहारिकता उनमें इतनी कूट-कूट कर भरी हुई है कि कभी-कभी वह अवसरवादिता जैसी लगती है। 1999 में उन्होंने कांग्रेस में सोनिया गांधी के खिलाफ बगावत की थी। बाद में उसी कांग्रेस के साथ 15 साल सरकार चलाई। तब भी राजग के शासनकाल में प्रमोद महाजन अक्सर कहते थे कि पवार राजग में शामिल होने वाले हैं।
इस तरह पवार सभी राजनीतिक दलों से संबंध बनाकर रखने वाले राजनीतिज्ञों में से रहे हैं। उनके लिए राजग कोई पराया नहीं है। वह केवल सही समय का इंतजार कर रहे हैं। इसी को पवार का पावर गेम कहते हैं। महाराष्ट्र में पवार की पिछले कुछ वर्षों की राजनीति को देखकर लोगों को लगता है कि राकांपा का राजग में शामिल होना कुछ वक्त की बात है। इस बार नरेंद्र मोदी मंत्रिमंडल विस्तार भाजपा तक ही सीमित रखा है। अगली बार सहयोगी पार्टियों के लिए विस्तार किया जा सकता है।
महाराष्ट्र का मामला और व्यापक है। वहां यह है कि क्या राकांपा राज्य सरकार में भी शामिल होगी, जहां शिवसेना पहले से भागीदार है। वह हमेशा राकांपा के शामिल होने को लेकर आशंकित रहती है। राउत ने कहा, ‘राकांपा के ऐसे वरिष्ठ नेता भी हैं जो महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के संपर्क में हैं, शिवसेना के लिए चिंता का कोई कारण नहीं है, चाहे राकांपा फडणवीस मंत्रिमंडल में शामिल होना चाहे या मुख्यमंत्री उसके नेताओं के साथ गुप्त बैठकें करें।
दरअसल राज्य मंत्रिमंडल में राकांपा को शामिल करने को लेकर भाजपा को समस्या होगी। नरेंद्र मोदी चुनाव अभियान के दौरान एनसीपी को नेचुरल पार्टी ऑफ करप्शन कह चुके हैं। यह कुछ हद तक सही भी है। राकांपा के कई मंत्रियों पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं। भुजबल तो पहले ही जेल की हवा खा रहे हैं। तटकरे पर हाल ही में मामले दर्ज किए गए हैं। अभी पवार के भतीजे पर मामला दायर होना बाकी है। यदि उनको सरकार में शामिल किया गया तो महाराष्ट्र में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार की छवि प्रभावित होगी। ऐसे में राकांपा के केंद्र सरकार में शामिल होने से दिक्कत नहीं है। शायद यही वजह है कि शिवसेना की अटकलबाजी एक कयासबाजी ही बनकर रह गई और राकांपा न महाराष्ट्र और न केंद्र की मोदी सरकार में शामिल हो सकी।
(लेखक राजनीतिक विश्लेषक हैं)