पसीने की बूंद-बूंद से बनेगी बिजली, लाइट जाने की समस्या हो जाएगी बीते जमाने की बात
अमेरिका स्थित बिंघहैमटन यूनिवर्सिटी की एक रिसर्च टीम ने कपड़े पर आधारित बैक्टीरिया से चार्ज होने वाली खास बायो बैटरी विकसित की है।
नई दिल्ली, [नेशनल डेस्क]। एक तरफ वैज्ञानिक ऐसे स्मार्ट कपड़े विकसित करने में लगे हैं जो आपके मोबाइल फोन, आईपैड आदि को चार्ज कर सकें, तो दूसरी तरफ वैज्ञानिक उन स्मार्ट कपड़ों को चार्ज करने के लिए नित्य नए तरीके तलाश रहे हैं। इसी कड़ी में अमेरिकी वैज्ञानिकों ने एक ऐसी तकनीक ईजाद की है, जिसके जरिए जीवाणुओं से ऊर्जा ली जा सकेगी। वैज्ञानिकों के मुताबिक, आपके शरीर के गति करने और पसीने से ये बैटरी ऊर्जा उत्पन्न करेगी, जिससे स्मार्ट कपड़े चार्ज हो सकेंगे।
भविष्य में पहने जा सकने वाले विद्युत उपकरण जुड़ेंगे
अमेरिका स्थित बिंघहैमटन यूनिवर्सिटी की एक रिसर्च टीम ने कपड़े पर आधारित बैक्टीरिया से चार्ज होने वाली खास बायो बैटरी विकसित की है। इस बैटरी को भविष्य में पहने जा सकने वाले विद्युत उपकरण जैसे मोबाइल फोन, आईपैड आदि से जोड़ा जा सकेगा।
इस तरह करती है काम
बिंघहैमटन यूनिवर्सिटी के इलेक्ट्रिकल एंड कंप्यूटर साइंस विभाग के सहायक प्रोफेसर सिओके चोई के नेतृत्व में एक टीम ने कपड़े पर यह बायो बैटरी बनाई है जो कपड़े पर आधारित माइक्रोबियल फ्यूल सेल के बराबर अधिकतम ऊर्जा पैदा कर सकती है। इसके साथ ही कपड़े के बार-बार खींचे और मोड़े जाने के बाद भी ये बायो बैटरी लगातार बिजली पैदा करने की क्षमता रखती है। यानी आपके चलने-फिरने पर इसमें स्वत: ऊर्जा उत्पन्न हो जाएगी।
इस तरह आया विचार
चोई के मुताबिक, रीयल टाइम इंफार्मेशन कलेक्शन के लिए लचीले और खिंचावदार विद्युत उपकरणों की जरूरत है, जिन्हें कई तरह के प्लेटफॉर्म पर इस्तेमाल किया जा सके। हमने सतत, नवीनीकरण और ईकोफ्रेंडली क्षमताओं के कारण इस तरह की बायो बैटरी बनाने पर विचार किया, क्योंकि यह काफी जरूरी ऊर्जा तकनीक है।
इसलिए हो सकती है लाभकारी
परंपरागत बैटरी और जीवाणु आधारित फ्यूल सेल की तुलना में माइक्रोबियल फ्यूल सेल पहने जा सकने वाले इलेक्ट्रॉनिक्स के लिए सबसे अच्छे ऊर्जा स्रोत हो सकते हैं, क्योंकि ऐसे सेल लंबे समय तक बायॉकैटलिस्ट के तौर पर ऊर्जा प्रदान कर सकते हैं। ऐसे सेल्स के लिए मानव शरीर से निकलने वाला पसीना ईंधन का काम कर सकता है, क्योंकि उसमें ऊर्जा पैदा करने के लिए जरूरी बैक्टीरिया मिल सकते हैं।
ये सिर्फ एक शुरुआत है
शोधकर्ताओं के मुताबिक, तेजी से विकास की ओर अग्रसर दुनिया के लिए ये सिर्फ एक शुरुआत है। इस पर और अध्ययन कर इसे बेहतर करने का प्रयास किया जा रहा है। उम्मीद है कि जल्द ये तकनीक पूरी दुनिया को उनके दैनिक काम आसानी से करने में मददगार साबित होगी।