कैशलेस ट्रांजेक्शन अपनाकर अन्य राज्यों के लिए मिसाल बन रहा यह राज्य
देश कैशलेस इकोनॉमी की तरफ आगे बढ़ा है। कैशलेस ट्रांजेक्शन बढ़े तो सरकार ने भी कैशलेस इकोनॉमी को आगे बढ़ाने के लिए भीम जैसी यूपीआई ऐप विकसित की। लेकिन यह राज्य मिसाल पेश कर रहा है।
नई दिल्ली/रांची, [स्पेशल डेस्क]। पिछले साल 8 नवंबर को केंद्र सरकार ने उस समय चलन में रहे 500 और 1000 रुपये के नोट बंद करके एक नई तरह की पहल की थी। 9 नवंबर से देशभर में नोटबंदी लागू हुई कुछ परेशानियों के बावजूद कालेधन के खिलाफ नोटबंदी एक सफल अभियान साबित हुई। इसी के साथ देश कैशलेस इकोनॉमी की तरफ भी आगे बढ़ा। देशभर में कैशलेस ट्रांजेक्शन बढ़े तो सरकार ने भी कैशलेस इकोनॉमी को आगे बढ़ाने के लिए भीम जैसी यूपीआई ऐप विकसित की। भीम के अलावा पेटीएम, एयरटेल मनी, फ्रीचार्ज, मोबिक्विक जैसे कई अन्य ऐप भी आज कैशलेस इकोनॉमी के मंत्र को आगे बढ़ा रही हैं। इनके अलावा बैंकों के मोबाइल ऐप तो हैं ही। सरकार की इस कैशलेस मुहिम में देश के लोगों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और उसी की मिसाल देखने को मिलती है।
आम लोगों ने कैशलेस ट्रांजेक्शन को हाथों-हाथ लिया
नोटबंदी की पहली सालगिरह पर सरकार और विपक्ष में चल रही जुबानी जंग से इतर झारखंड में इसके सकारात्मक परिणाम दिख रहे हैं। देश के कई अन्य समृद्ध राज्यों से कथित तौर पर पिछड़ा यह राज्य कैशलेस ट्रांजेक्शन की ओर तेजी से आगे बढ़ रहा है। झारखंड का कैशलेस की ओर बढ़ना तमाम समृद्ध राज्यों के लिए सीख भी है। साल भर पहले जहां डिजिटल लेनदेन की बातें झारखंड में सिर्फ हवा में समझी जाती थीं, वह अब मूर्त रूप लेने लगी हैं। सरकारी कामकाज के साथ-साथ आम लोगों ने भी कैशलेस ट्रांजेक्शन को अपना लिया है। आंकड़े भी इसकी पुष्टि कर रहे हैं।
5 हजार से ऊपर का ट्रांजेक्शन कैशलेस
नोटबंदी का एक उद्देश्य बाजार में नकदी के फ्लो को कम करना था, जिसमें झारखंड जैसे राज्य ने काफी हद तक नजीर पेश की है। राज्य सरकार ने कैशलेस झारखंड के सपने को साकार करने की शुरुआत स्वयं से की है। राज्य सरकार में पांच हजार रुपये से ऊपर के सभी ट्रांजेक्शन अब कैशलेस हो रहे हैं। आम जनता के बीच भी कैशलेस ट्रांजेक्शन 25 फीसद तक बढ़ा है।
यह आंकड़े देशभर के हैं।
डेबिट-क्रेडिट कार्ड से खरीददारी 25 फीसद बढ़ी
राज्यस्तरीय बैंकर्स कमेटी (एसएलबीसी) के आंकड़े बताते हैं कि राज्य में 1.36 करोड़ डेबिट कार्ड और 10 लाख क्रेडिट कार्ड जारी किए गए हैं। नोटबंदी से पूर्व इसका स्पष्ट आंकड़ा कितना था, यह तो बैंक अधिकारी बता नहीं पा रहे हैं, लेकिन यह दावा अवश्य कर रहे हैं कि डेबिट और क्रेडिट कार्ड से खरीद में 25 फीसद की वृद्धि पिछले महज एक साल में दर्ज की गई है। हर परिवार डेबिट कार्ड का उपयोग कर रहा है।
झारखंड में कैशलेस ट्रांजेक्शन तीन गुना बढ़ा
झारखंड में 18 लाख लोग नेट बैंकिंग से जुड़े हैं। व्यापार में डिजिटल ट्रांजेक्शन में खासी वृद्धि हुई है। राज्य के वित्त सचिव सत्येंद्र सिंह कहते हैं कि नोटबंदी से पूर्व 6300 ई-पॉश मशीन चलन में थीं। इनकी संख्या अब बढ़कर 23 हजार हो गई है। सीधे शब्दों में समझें तो खरीददारी में कैशलेस ट्रांजेक्शन साढ़े तीन गुना से अधिक बढ़ा है।
केंद्र सरकार की ओर से कैशलेस ट्रांजेक्शन को बढ़ावा दिए जाने के बाद देश के कई गांवों और इलाकों ने खुद को पूरी तरह से कैशलेस इकोनॉमी होने का दावा किया था। लेकिन जब इन गांवों या इलाकों की गहनता से जांच की गई तो कई दावे झूठे साबित हुए। शायद यही कारण है कि झारखंड में स्थानीय प्रशासन, सरकार और जनता भी ऐसे दावे करने से बच रहे हैं।
कैशलेस प्रखंड से अब भी हैं दूर
डिजिटल ट्रांजेक्शन में खासा सुधार के बावजूद सरकार की कैशलेस प्रखंड की घोषणा एक साल बाद भी पूरी तरह से मूर्त रूप नहीं ले सकी है। गत दिसंबर में पहले कैशलेस ब्लॉक नगड़ी को बनाने की घोषणा की गई थी, इसके अलावा हर जिले से दो से तीन गांवों को कैशलेस करना था, लेकिन व्यावहारिक दिक्कतों के कारण दावे हकीकत में तब्दीकल नहीं हो सके। वित्त सचिव सत्येंद्र सिंह कहते हैं कि इस दिशा में सरकारी अमला प्रयासरत है।
उनका कहना है कि हर जिले में ई-मर्चेंट मैनेजर और हर ब्लॉक में ई-ब्लॉक मैनेजर बनाए गए हैं। इनका काम आम लोगों और व्यापारियों को कैशलेस ट्रांजेक्शन के लिए प्रेरित करना है। आम लोगों को डेबिट और क्रेडिट कार्ड के साथ-साथ नेट बैंकिंग की जानकारी देना और व्यापारिक प्रतिष्ठानों को ई-पॉश मशीन के साथ-साथ डिजिटल ट्रांजेक्शन के लिए प्रेरित करने की दिशा में इन्हें लगाया गया है। शीघ्र ही इसका परिणाम सामने आएगा।
- साथ में रांची से आनंद मिश्र