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EXCLUSIVE: मकसद से भटक रहे पंजाब के युवा, कॉलेज बन रहे गैंगस्टरों की नर्सरी

पंजाब में भविष्य संवारने वाले कॉलेज और विश्वविद्यालयों में गैंगस्टरों की पौध खड़ी हो रही है। चलिए जानते हैं वे कौन-कौन से नाम हैं जो कॉलेजों से निकलकर गुनाह की गलियों में भटक गए।

By Digpal SinghEdited By: Published: Sat, 04 Nov 2017 04:36 PM (IST)Updated: Sat, 04 Nov 2017 06:26 PM (IST)
EXCLUSIVE: मकसद से भटक रहे पंजाब के युवा, कॉलेज बन रहे गैंगस्टरों की नर्सरी
EXCLUSIVE: मकसद से भटक रहे पंजाब के युवा, कॉलेज बन रहे गैंगस्टरों की नर्सरी

मनोज त्रिपाठी, चंडीगढ़। पंजाब के तमाम विश्वविद्यालय और कॉलेज कैंपस गैंगस्टरों की नर्सरी में तब्दील होते जा रहे हैं। कॉलेजों से निकलने वाले यही गैंगस्टर पुलिस के लिए सिरदर्द साबित हो रहे हैं। एक समय पंजाब उग्रवाद की गिरफ्त में था और आज भी उस दौर को काले दौर के तौर पर याद किया जाता है। लेकिन पिछले कुछ सालों से कैंपस से निकले तमाम गैंगस्टरों ने उसी तरह से पुलिस की नाक में दम किया हुआ है। कैंपस से निकलने वाले गैंगस्टर ड्रग्स से लेकर हथियारों तक की सप्लाई में लिप्त पाए जाते रहे हैं। हाई सिक्योरिटी नाभा जेल ब्रेक कांड से लेकर पंजाब में होने वाले दर्जनों बड़े आपराधिक मामलों को कैंपस से निकले गैंगस्टर अंजाम दे रहे हैं। भविष्य संवारने वाले कॉलेज और विश्वविद्यालयों में किस तरह से गैंगस्टरों की पौध खड़ी हो रही है इस तथ्य को खंगालते हैं। चलिए जानते हैं वे कौन-कौन से नाम हैं जो कॉलेजों से निकलकर गुनाह की गलियों में भटक गए।

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कैंपसों से चल रहे 35 से ज्यादा कुख्यात गैंग

जेलों में बंद गैंगस्टरों को असलहे व ड्रग्स की सप्लाई से लेकर उनके इशारे पर बड़े-बड़े कांडों को अंजाम देकर आसानी से कैंपस में पनाह लेने वाले 35 से ज्यादा कुख्यात गैंगों में सैकड़ों की संख्या में शामिल छात्र पुलिस के निशाने पर हैं। बीते दिनों जेल में असलहे व ड्रग्स की सप्लाई के मामले में पटियाला यूनिवर्सिटी के दो छात्र नेताओं की गिरफ्तारी हुई। इसके बाद एक बार फिर यूनिवर्सिटी और गैंगस्टर जैसे परस्पर विरोधी शब्द एक साथ लिए जाने लगे हैं और एक बार फिर से पुलिस के कान खड़े हो गए हैं। 

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गैंगस्टरों में रोल मॉडल ढूंढ रहे छात्र

आतंक के उस काले दौर में गुमराह हो चुके सैकड़ों युवाओं के चलते पंजाब में छात्र संघों के चुनावों पर रोक लगा दी गई थी। उसके 20 साल बाद कैंपसों में छात्र संघों के चुनावों का सिलसिला नए सिरे से शुरू हो पाया था। लेकिन एक दशक में ही छात्र संघों के चुनावों में गैंगस्टरों की दखल बढ़ने लगी और समय के साथ 1990 व 2000 के दशक से हुई शुरुआत ने आज कैंपसों को गैंगस्टरों की नर्सरी बना दिया है। सोशल मीडिया पर लगातार बढ़ रहे फालोअर्स ने कई गैंगों को नई दिशा दी है। फैशन व विदेशी चकाचौंध से लबरेज विभिन्न गैंगों में आज सैकड़ों की संख्या में छात्रों ने सदस्यता ले ली है। गुनाह की गलियों की चकाचौंध ने छात्रों के सपनों में सेंध लगा दी है। नशीले पदार्थों से लेकर असलहों की सप्लाई व जेल तक में इनकी पहुंच हो चुकी है।

कभी सुक्खा तो कभी विक्की गौंडर

जेलों से संचालित हो रहे ड्रग्स के कारोबार में शामिल हो चुके सैकड़ों छात्रों की मदद से गैंगस्टर अपने समर्थकों की संख्या बढ़ाने से लेकर हत्याकांडों तक को अंजाम देने के लिए उनका इस्तेमाल खुलकर कर रहे हैं। पिछले एक दशक में सुक्खा कहलवां से लेकर विक्की गौंडर जैसे गैंगस्टर कुख्यात रहे। दुखद बात यह है कि बहुत से युवा उन्हें रोल मॉडल मानकर उनकी तरफ आकर्षित हो रहे हैं। यही वजह है कि राज्य के तमाम कैंपसों में छात्र संघों के चुनाव में गैंगस्टरों का दखल लगातार बढ़ता जा रहा है।

एक था गांधी...

पंजाब में युवा गैंगस्टरों के रोल माडल बने रुपिंदर गांधी व जसविंदर राकी ने कैंपस राजनीति में क्राइम का तड़का लगाकर अपनी अलग जगह बनाई थी। खन्ना व लुधियाना के कैंपस से शुरू होकर रूपिंदर गांधी के समर्थकों ने कैंपस में गांधी फैन क्लब बनाकर छात्र राजनीति को नई दिशा दी थी। देखते ही देखते पंजाब यूनिवर्सिटी व उससे संबंधित कॉलेजों के छात्र संघ चुनावों में गांधी ग्रुप अपने उम्मीदवार खड़ा करने लगा और थोड़े ही समय में पंजाब के हजारों युवाओं का रोल माडल बन गया।

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पिता ने नाम दिया गांधी व बन गया गैंगस्टर

महात्मा गांधी के जन्मदिन यानि दो अक्टूबर को पैदा होने वाले रूपिंदर के नाम के आगे उसके पिता ने गांधी जोड़ दिया, लेकिन रुपिंदर की गांधीगिरी गैंगगिरी नें बदल गई। रुपिंदर कभी राष्ट्रीय स्तर का फुटबाल खिलाड़ी था। लेकिन कैंपस से लेकर निजी जिंदगी की छोटी-छोटी लड़ाईयों के चलते वह कब गैंगस्टर बन गया, कोई समझ ही नहीं पाया। रुपिंदर की 12 साल पहले हत्या हो चुकी है, लेकिन आज भी गांव से लेकर जानने वाले तक कई लोग उसे रोल माडल के रूप में ही देखते हैं। यही नहीं इसी साल विदेश से नौकरी छोड़कर आए रुपिंदर के भाई मनमिंदर सिंह मिंडी की भी हत्या कर दी गई।

जसविंदर राकी की भी हुई हत्या

यही हाल चंडीगढ़ की कैंपस राजनीति से निकलकर विधानसभा चुनाव तक लड़ने वाले जसविंदर राकी का भी रहा। मुख्तार अंसारी को अपना रोल मॉडल मानने वाले राकी ने 1990 से 2000 के बीच युवाओं के दम पर अलग मुकाम बना लिया था और विधानसभा चुनाव भी लड़ा। पूर्व कैबिनेट मंत्री सुरजीत ज्याणी से 1600 वोटों से हारने वाले राकी की हत्या भी दो साल पहले हिमाचल में कर दी गई थी। इसके बाद कैंपस से निकले गैंगस्टरों की लिस्ट में लगातार इजाफा होता जा रहा है।

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जब गोल्ड मेडल खिलाड़ी ने तोड़ डाली नाभा जेल

मौजूदा समय में तमाम युवाओं के लिए आकर्षण का केंद्र बने टॉप गैंगस्टरों में नाभा जेल ब्रेक का किंग पिन हरजिंदर सिंह उर्फ विक्की गौंडर कभी राष्ट्रीय स्तर का डिस्कस थ्रो खिलाड़ी था। देश के लिए तीन गोल्ड व 2 सिल्वर मेडल जीतने वाले विक्की ने 2007 में गैंग बनाया और आज वह 20 से ज्यादा मामलों में मोस्ट वांटेंड गैंगस्टर है। फेसबुक पर उसके हजारों फालोअर्स हैं। गौंडर के गैंग में एक दर्जन से ज्यादा सदस्य विभिन्न कॉलेजों व यूनिवर्सिटी से संबंधित हैं।

एक और राष्ट्रीय स्तर का खिलाड़ी बना गैंगस्टर

मोस्ट वांटेड गैंगस्टरों में फिरोजपुर का जयपाल भी राष्ट्रीय स्तर का हैमर थ्रो खिलाड़ी रहा है। पुलिस मुलाजिम का बेटा जयपाल आज 17 से ज्यादा मामलों में मोस्ट वांटेड है। पंजाब यूनिवर्सिटी सहित कई कॉलेजों में जयपाल के तमाम समर्थक हैं। पुलिस तीन साल से जयपाल की तलाश कर रही है। इसी तरह लारेंस विश्वनोई नाम का युवक भी 2010-11 में चंडीगढ़ के डीएवी कालेज में छात्र संघ का प्रधान रहा था। उसके बाद लारेंस ने अपना गैंग बनाया और आज उसके गैंग ने पुलिस की नाक में दम किया हुआ है। छात्र नेता से गैंगस्टर बने लारेंस के गैंग पर दर्जनों लूटपाट, हत्याएं, अपहरण जैसे संगीन आपराधिक मामले दर्ज दर्ज हैं।

गीतों और फिल्मों में गैंगस्टर हो रहे महिमामंडित

गैंगस्टरों की तरफ युवाओं को आकर्षित करने के पीछे पंजाबी गीतों व फिल्मों के योगदान को भी नकारा नहीं जा सकता है। 'यार गैंगस्टर..', 'सुरमे मरदे नई', 'जहां तो अमर हो जांदे ने..', पैना चौक विच पंगा' जैसे गीतों ने गैंगस्टरों की निजी जिंदगी को गीतों के रूप में पिरो कर उन्हें युवाओं का रोल बनाने की भरपूर कोशिश की है। जिन लोगों को रुपिंदर गांधी के बारे में पता नहीं भी था उनको भी इस गैंगस्टर पर बनी फिल्म उसका मुरीद बना रही है।

गैग और गैंगस्टरों पर है पुलिस की पैनी नजर

डीजीपी सुरेश अरोड़ा कहते हैं कि छात्र राजनीति में शुरू से लड़ाई-झगड़े होते रहे हैं, लेकिन छात्र राजनीति गैंगस्टरों को जन्म दे रही है यह चिंता का विषय है। उनका कहना है कि पुलिस ने सभी गैंगों की लिस्ट तैयार कर ली है। किस-किस गैंग में कितने युवा सक्रिय सदस्य हैं, इसकी भी जानकारी पुलिस के पास है।

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