मेक्सिको जैसा भूकंप आया तो तबाह हो जाएगी हमारी दिल्ली
दिल्ली में रहने वाले टॉउन प्लानर सुधीर वोरा के अनुसार 6 रिक्टर स्केल का भूकंप भारत को 70 फीसद तबाह कर सकता है। दिल्ली में 80 लाख लोग मारे जा सकते हैं।
नई दिल्ली, [स्पेशल डेस्क]। साल 1985 में मेक्सिको में जबरदस्त भूकंप आया था। रिक्टर स्केल पर 8 तीव्रता के इस भूकंप में कम से कम 5 हजार लोगों की जान चली गई थी, जबकि गैर-आधिकारिक आंकड़ों में यह संख्या 45 हजार तक जाती है। मंगलवार को उस विनाशक भूंकप की 32वीं बरसी थी। लोग उस भूकंप की वजह से काल के गाल में समा गए अपने परिजनों को याद कर रहे थे, लेकिन उन्हें क्या पता था कि प्रकृति वही मंजर एक बार फिर दोहराने जा रही है। 7.1 एक तीव्रता के शक्तिशाली भूकंप ने एक बार फिर 200 से ज्यादा लोगों की जान ले ली। अमेरिकी भूगर्भ सर्वेक्षण के अनुसार इस भूकंप में भी मरने वालों की संख्या 1000 के पार पहुंच सकती है। ज्ञात हो कि 1985 के बाद मेक्सिकों में आया यह सबसे बड़ा भूकंप है।
मेक्सिको के भूकंप (1985 और 2017) से हम भारतीयों और खासकर दिल्ली जैसे शहरों में रहने वाले लोगों व सरकार को क्या सीख लेनी चाहिए। यहां हम बता दें कि हम मेक्सिको सिटी की तुलना दिल्ली से सिर्फ इसलिए नहीं कर रहे हैं कि दोनों ही अपने-अपने देशों की राजधानियां हैं। बल्कि यह तुलना इसलिए भी कर रहे हैं कि यह दोनों शहर काफी कुछ एक जैसे भी हैं।
ऐसी समानताएं हैं दोनों शहरों में
दिल्ली और मेक्सिको सिटी दोनों ही शहरों का नाम दुनिया के बड़े शहरों में शुमार है। मेक्सिको सिटी जहां 1485 स्क्वायर किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैला हुआ है, वहीं दिल्ली का क्षेत्रफल 1484 स्क्वायर किमी है।
दिल्ली में दोगुनी जनसंख्या
दिल्ली और मेक्सिको सिटी दोनों का क्षेत्रफल जहां एक जैसा है। वहीं दोनों की जनसंख्या में जमीन आसमान का अंतर है। मेक्सिको सिटी की जनसंख्या (2015 में) 89 लाख से कुछ ज्यादा थी। जबकि 2011 की जनगणना के अनुसार दिल्ली की जनसंख्या एक करोड़ 67 लाख से ज्यादा थी जो 2016 तक आते-आते 1 करोड़ 90 लाख के आसपास पहुंच गई। यानी उतनी ही जगह पर दिल्ली में दोगुने से ज्यादा लोग रहते हैं।
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लंदन से ज्यादा जनसंख्या घनत्व दिल्ली का
जनसंख्या घनत्व की बात करें तो मेक्सिको में जहां प्रति एक वर्ग किलोमीटर में 6000 लोग रहते हैं, वहीं दिल्ली में इतने ही क्षेत्रफल में 11,312 लोग निवास करते हैं। दुनिया के अन्य बड़े शहरों में से एक लंदन से तुलना की जाए तो लंदन का क्षेत्रफल 1572 स्क्वायर किमी है और 2016 तक जनसंख्या 87 लाख से कुछ ऊपर थी और यहां जनसंख्या घनत्व भी 5590 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी है। इस लिहाज से देखें तो दिल्ली में प्रति वर्ग किमी में काफी अधिक जनसंख्या रहती है।
दिल्ली के 80 फीसद लोग मारे जाएंगे
दिल्ली में रहने वाले टॉउन प्लानर सुधीर वोरा ने साल 2015 में नेपाल भूकंप के बाद कहा था कि 6 रिक्टर स्केल का भूकंप भारत को 70 फीसद तबाह कर सकता है। उन्होंने आगे कहा, 'अगर इस तीव्रता का भूकंप दिल्ली में आता है तो मुझे लगता है दिल्ली की 80 लाख जनसंख्या का सफाया हो जाएगा।'
क्यों है दिल्ली को ज्यादा खतरा
दिल्ली के बेतरतीब और बिना किसी प्लानिंग के विकास ने इसे एक जिंदा बम जैसा बना दिया है। राज्यों और केंद्र सरकार की अलग-अलग एजेंसियों ने रिस्क को लेकर एक अध्ययन किया है। इस अध्ययन के अनुसार दिल्ली के अलग-अलग हिस्सों की मिट्टी अलग है। यमुना पार का (पूर्वी) इलाका रेतीली जमीन पर बसा है और यह हाईराइज बिल्डिंगों के लिए मुफीद नहीं है। जबकि मध्य दिल्ली के रिज इलाके को काफी हद तक सुरक्षित माना जाता है।
श्मशान बन जाएगी दिल्ली
दिल्ली सरकार ने अपनी वेबसाइट http://delhi.gov.in पर अनऑथराइज कॉलोनियों की एक लिस्ट अपलोड की हुई है। वेबसाइट के अनुसार दिल्ली में करीब 895 अनधिकृत कॉलोनियां हैं। वेबसाइट पर इन कॉलोनियों के नाम के साथ ही उनका मैप भी दिया गया है। जैसा कि सभी जानते हैं, इन अनधिकृत कॉलोनियों में न तो मैप पास होते हैं और न ही लोग ऐसा करने की कोशिश ही करते हैं। ज्यादातर निर्माण भी बेतरतीब और बिना पिलर के होता है। यहां कि ज्यादातर बिल्डिंगें इंटों पर खड़ी हैं और यही बात चिंता का विषय है। जानकार मानते हैं कि 6 रिक्टर स्केल का भूकंप भी दिल्ली को श्मशान में बदल सकता है।
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दिल्ली ही नहीं पूरा देश खतरे में
साल 2015 में आई एक रिपोर्ट में भारत के एक मशहूर भूकंप जानकार और एनडीएमए के सदस्य डॉ. हर्ष गुप्ता ने बताया था कि भारत के 344 शहर और नगर भूकंप के लिहाज से हाई रिस्क जोन-5 में रहते हैं। उन्होंने बताया था कि अगर 9 रिक्टर स्केल का कोई भूकंप आ जाए तो यह हिरोशिमा पर गिरे 27 हजार बमों के बराबर होगा। यही नहीं, इसके बाद सालों तक ऑफ्टर शॉक भी आते रहेंगे।
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