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इस साल नक्सलियों की कब्रगाह बना छत्तीसगढ़, लाल आतंक से जल्द मिलेगी मुक्ति

नक्सली जब-तब मुखबिरी के शक में ग्रामीणों की हत्या करने से बाज नहीं आ रहे लेकिन, सुरक्षा बलों पर उनके हमलों की धार कुंद पड़ गई है।

By BabitaEdited By: Published: Thu, 07 Dec 2017 01:21 PM (IST)Updated: Thu, 07 Dec 2017 01:42 PM (IST)
इस साल नक्सलियों की कब्रगाह बना छत्तीसगढ़, लाल आतंक से जल्द मिलेगी मुक्ति
इस साल नक्सलियों की कब्रगाह बना छत्तीसगढ़, लाल आतंक से जल्द मिलेगी मुक्ति

रायपुर [अवनीन्द्र कमल]। मुख्यमंत्री रमन सिंह कह चुके हैं कि (2022) तक छत्तीसगढ़ से नक्सलवाद का पूरी तरह से खात्मा कर दिया जाएगा। राज्य के गृहमंत्री रामसेवक पैकरा ने भी हाल ही में ऐसा ही बयान दिया है। यह आकस्मिकनहीं बल्कि पिछले कुछ समय से पुलिस के आला अधिकारियों ने ठोस रणनीति पर काम शुरू किया है। इसी गरज से आपरेशन प्रहार-2 की शुरुआत की गई है। इसकी सफलता से सरकार आश्वस्त है। यही नहीं, पड़ोसी राज्यों की पुलिस से अब तालमेल पहले से ज्यादा बेहतर हुआ है। यह और बात है कि नक्सली जब-तब मुखबिरी के शक में ग्रामीणों की हत्या करने से बाज नहीं आ रहे लेकिन, सुरक्षा बलों पर उनके हमलों की धार कुंद पड़ गई है। और नतीजा ये हुआ है कि अब पुख्ता इनपुट पर फोर्स नक्सलियों को मार गिराती है। 

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शव ले जाने में कामयाब भी हो जाते हैं नक्सली 

छत्तीसगढ़ पुलिस और अर्धसैनिक बलों की ठोस रणनीति रंग लाई है। इस साल में अब तक 71 नक्सलियों को अलग-अलग मुठभेड़ों में फोर्स ने मार गिराया है। आंकड़ों पर नजर डालें तो देश केनौ नक्सल प्रभावित राज्यों में यह आंकड़ा सबसे ज्यादा है। पिछले साल भी छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित इलाकों में 133 नक्सली मारे गए थे। वैसे यह आंकड़ा और हो सकता है। दरअसल, पुलिस जितने शव बरामद करती है, केवल उतने का ही रिकार्ड तैयार होता है। सच्चाई यह है कि कई बार नक्सली साथियों का शव लेकर चले जाते हैं। ऐसे में उनकी संख्या शामिल नहीं की जाती। गढ़चिरौली की आज की मुठभेड़ में भी ऐसा ही माना जा रहा है। शव सात बरामद हुए हैं, जबकि कुछ और नक्सलियों की मारे जाने की आशंका है। 

बदली रणनीति के साथ घेराबंदी 

पुलिस अफसरों के अनुसार नक्सल मोर्चे पर तैनात राज्य पुलिस, अद्र्ध सैनिक बल और केंद्रीय सुरक्षाबलों के बीच तालमेल पहले से ज्यादा बेहतर हुआ है। इतना ही नहीं नक्सल प्रभावित राज्यों के बीच सूचनाओं का अदान-प्रदान भी तेजी से बढ़ा है। इसके लिए अफसर नियमित बैठकें करते हैं। खुफिया इकाई की मदद ली जाती है। बदली हुई रणनीति का असर है कि नक्सलियों के पांव उखडऩे लगे हैं। 

नक्सली भी मान चुके हैं सबसे ज्यादा नुकसान यहीं 

नक्सली भी यह स्वीकार कर चुके हैं कि उन्हें सबसे ज्यादा नुकसान छत्तीसगढ़ में हुआ है। हाल ही में उनकी तरफ से लिखित बयान आ चुका है। इसमें नक्सलियों ने अपने 140 साथियों के मारे जाने की बात स्वीकार की थी। इसमें 98 नक्सली छत्तीसगढ़ के अलग-अलग इलाकों में मारे गए थे। 

 

खुफिया सूचना पर घेराबंदी 

पुलिस सूत्रों के अनुसार पिछले एक साल से पुलिस ने ऑपरेशन का अपना पूरा तरीका बदल दिया है। अब केवल पुख्ता सूचना के आधार पर ही नक्सलियों की घेराबंदी की जाती है। अफसरों के अनुसार पिछले कुछ समय में पुलिस ने नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में अपना खुफिया नेटवर्क और मजबूत किया है। आधुनिक तकनीक और संसाधनों की भी मदद से आपरेशन में कामयाबी मिल रही है। 

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