जानें क्या है गुलबर्ग सोसायटी केस, जिसमें पीएम मोदी को मिली क्लीन चिट
27 फरवरी को साबरमती एक्सप्रेस की बोगी में कारसेवकों को जलाने की घटना के एक दिन बाद पूरे गुजरात में दंगा भड़क गया था।
नई दिल्ली, [स्पेशल डेस्क]। गुजरात हाईकोर्ट ने साल 2002 के गुलबर्ग सोसायटी नरसंहार केस में दिवंगत पूर्व सांसद एहसान जाफरी की पत्नी जाकिया जाफरी की तरफ से दाखिल की गई याचिका को रद्द कर दिया है। हाईकोर्ट ने किसी तरह के बड़े षड्यंत्र की बातों को सिरे से खारिज कर दिया। हालांकि, शिकायतकर्ता के लिए ऊपरी अदालत का दरवाजा खुला रखा गया है।
हाईकोर्ट से पीएम मोदी को मिली राहत
जाकिया जाफरी ने निचली अदालत के फैसले को ऊपरी अदालत (गुजरात हाईकोर्ट) में चुनौती दी थी। निचली अदालत ने विशेष जांच दल की तरफ से 2002 के गोधरा दंगे में तत्कालीन मुख्यमंत्री और अन्य को क्लीन चिट देने को अपने फैसले में भी बरकरार रखा था। जाकिया जाफरी की तरफ से गुलबर्ग सोसायटी केस में दायर याचिका पर सुनवाई जस्टिस सोनिया गोकानी ने तीन जुलाई को पूरी कर ली थी।
क्या थी जाकिया जाफरी की याचिका?
कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी की पत्नी जाकिया जाफरी और तीस्ता सीतलवाड़ की गैर सरकारी संस्था सिटिजन फॉर जस्टिस एंड पीस की तरफ से दंगों के पीछे बड़ी साजिश बतायी गई थी। एसआईटी की तरफ से अपनी रिपोर्ट में तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी को दी गई क्लीन चिट को मजिस्ट्रेट के आदेश में बरकरार रखने के खिलाफ आपराधिक समीक्षा याचिका (क्रिमिनल रिव्यू पेटिशन) दायर की गई थी। इस याचिका में नरेन्द्र मोदी और वरिष्ठ नौकरशाह तथा पुलिसकर्मी समेत अन्य 59 लोगों को दंगा भड़काने के लिए अभियुक्त बनाए जाने की मांग की गई थी। इसके साथ ही, इस याचिका में गुजरात हाईकोर्ट से पूरे मामले की फिर से गहन छानबीन कराने के आदेश दिए जाने की मांग हुई थी।
28 फरवरी 2002 को गुलबर्ग सोसायटी में क्या हुआ था ?
साबरमती एक्सप्रेस की बोगी में कारसेवकों को जलाने की घटना के एक दिन बाद पूरे राज्य में दंगा भड़क गया था। इसके एक दिन बाद 28 फरवरी 2002 को भीड़ ने गुलबर्ग सोसायटी में धावा बोल दिया। इस घटना में कांग्रेस नेता एहसान जाफरी समेत 68 लोगों की मौत हो गई थी।
एसआईटी ने गुजरात हाईकोर्ट को अपनी रिपोर्ट सौंपी और बताया कि उनकी पूरी जांच सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में की गई थी। एसआईटी की रिपोर्ट को सभी की तरफ से मान भी लिया गया था। एसआईटी ने गुजरात हाईकोर्ट को बताया कि निचली अदालत ने सभी पहलुओं से आरोपों की पड़ताल की और ऐसा निष्कर्ष निकाला कि इसमें बड़े षड्यंत्र के दृष्टि से और किसी तरह की जांच की कोई आवश्यकता नहीं है।
2014 में गुजरात हाईकोर्ट में लगाई गयी याचिका
गौरतलब है कि एसआईटी की क्लोजर रिपोर्ट 8 फरवरी 2012 को दाखिल की गई थी, जिसमें मोदी और अन्य को क्लीन चिट दी गई थी। दिसंबर 2013 में मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट कोर्ट ने जाकिया जाफरी की याचिका को रद कर दिया था। जिसके बाद वे साल 2014 में मजिस्ट्रेट कोर्ट के फैसले के खिलाफ गुजरात हाईकोर्ट गई थीं।