जब एक शख्स ने कहा राष्ट्रपति नहीं बनाने पर दिल्ली में आ जाएगा भूकंप
राष्ट्रपति चुनाव में दावेदारी करने वाले शख्स ने कहा कि अगर वो राष्ट्रपति नहीं बना तो अनर्थ हो जाएगा। लेकिन उसका नामांकन खारिज हो गया।
नई दिल्ली [स्पेशल डेस्क] । भारतीय लोकतंत्र की खूबसूरती है कि एक अदना सा शख्स भी राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री बनने के सपने देख सकता है, यही नहीं सूझबूझ के साथ उस पद को हासिल कर सकता है। आमतौर पर जिस तरह से आम चुनावों में दिलचस्प उदाहरण सामने आते हैं, कुछ वैसे ही इस दफा भी राष्ट्रपति चुनाव में नामांकन करने के दौरान देखने को मिला। राष्ट्रपति पद की दावेदारी करने वाले एक उम्मीदवार ने खुद को भगवान करार दिया। यही नहीं उसने कहा कि अगर वो राष्ट्रपति नहीं बन पाया तो देश में अनर्थ हो जाएगा।
देवी दयाल के प्रस्तावकों में मार्टिन लुथर किंग
हरियाणा में पानीपत के रहने वाले देवी दयाल अग्रवाल के प्रस्तावकों की संख्या में किसी तरह की कमी नहीं थी। ये बात दीगर थी कि उनके प्रस्तावकों में कोई सांसद या विधायक नहीं था। देवी दयाल के प्रस्तावकों में दुनिया की महान हस्तियों में से कुछ खास चेहरे मार्टिन लुथर किंग, अब्राहम लिंकन और आइंस्टीन शामिल थे। लेकिन 93 उम्मीदवारों की दावेदारी खारिज होने के बाद चुनावी लड़ाई अब सिर्फ दो उम्मीदवार रामनाथ कोविंद और मीरा कुमार में सिमट गई है।
'सांसदों की नहीं है जरूरत'
अब आप को बताते हैं कि पानीपत के रहने वाले देवी दयाल अग्रवाल खुद की तारीफ किस अंदाज में करते हैं। वो कहतें हैं कि प्रस्तावक के लिए उन्हें 50 सांसद या विधायक की जरूरत नहीं है। वो खुद को भगवान मानते हैं, साथ ही ये भी कहते हैं कि उनमें संपूर्ण शक्तियां समाहित हैं। रामनाथ कोविंद या मीरा कुमार को किसी भी सूरत में राष्ट्रपति नहीं बनना चाहिए। क्या राष्ट्रपति के दोनों उम्मीदवार जादू जानते हैं।
'दिल्ली में आ जाएगा बड़ा भूकंप'
देवी दयाल ने अपने नामांकन पेपर पर लिखा था कि अगर उनकी अपील पर ध्यान नहीं दिया गया तो दिल्ली में एक बड़ा भूकंप आएगा। वो दुनिया के सबसे बड़े वैज्ञानिक होने के नाते राष्ट्रपति बनने का सबसे बड़े हकदार हैं। लेकिन नामांकन रद होने के बाद वो संसद में एक अधिकारी पर भड़क उठे। उन्होंने कहा, जाओ अनर्थ होगा, उनके इस बयान के बाद जोरों की बारिश होने लगी। यही नहीं देवीदयाल ने नामांकन पेपर में खुद को 24 बार भगवान लिखा था।
95 लोगों ने की थी दावेदारी
राष्ट्रपति पद के लिए कुल 95 लोगों ने दावेदारी की थी। लेकिन अलग-अलग वजहों से 93 लोगों का पर्चा खारिज हो गया। उम्मीदवारी खारिज होने वालों में से 35 लोगों ने इलेक्टोरल रोल की प्रमाणित प्रति नहीं जमा की थी। इसके अलावा दूसरे लोगों की उम्मीदवारी प्रस्तावकों और समर्थन करने वालों की कमी की वजह से खारिज हो गई। कुछ उम्मीदवार नामांकन के दौरान 15 हजार की जमानत राशि जमा करने में नाकाम रहे।
राष्ट्रपति चुनाव से जुड़ी दिलचस्प जानकारी
नामांकन करने वालों में 37 वर्ष के हाजी से लेकर 78 वर्ष के रिटायर्ड शख्स था। नामांकन के एक सेट में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टाटा, बिरला से लेकर इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ हेयरकटिंग शामिल थे। मध्य प्रदेश के शिवपुरी के रहने वाले शांति लाल जैन ने 60 प्रस्तावकों और 60 समर्थकों का नाम दिया था। लेकिन कोई भी नाम वैध नहीं थे। इसी तरह से बेंगलुरु के रहने वाले एक शख्स का कहना था कि राष्ट्रपति पद पुरुषों के लिए आरक्षित कर देना चाहिए। एक और उम्मीदवार ने 1971 की जनसंख्या पर आधारित इलेक्टोरल कॉलेज का विरोध किया। दूसरे उम्मीदवारों ने 50 प्रस्तावकों और समर्थकों की संख्या पर ऐतराज जताया था। हरियाणा के एक उम्मीदवार ने चुनाव आयोग से संशोधन की मांग की थी।
प्रस्तावकों-समर्थकों की संख्या 1977 में हुई तय
1977 में राष्ट्रपति पद की दावेदारी करने वालों के लिए 50 प्रस्तावकों और 50 समर्थकों की संख्या तय की गई थी। इस व्यवस्था को अपनाए जाने से पहले ज्यादा संख्या में लोग नामांकन प्रक्रिया में शामिल होते थे। लेकिन 1977 के बाद कुछ ही मौके आए जब नामांकन परीक्षण के अंतिम दौर तक दो से ज्यादा उम्मीदवार चुनावी मैदान में रह गए। 1987 में आर वेंकटरमन और और वी आर कृष्ण अय्यर के बाद मिथिलेश कुमार तीसरे उम्मीदवार थे। मिथिलेश को 2,223 मत हासिल हुए थे। 1992 में शंकर दयाल शर्मा और जी जी स्वेल के बीच चुनावी संग्राम में राम जेठमलानी और काका जोगिंदर सिंह ऊर्फ धरतीपकड़ भी शामिल थे। राम जेठमलानी को 2,704 मत और धरतीपकड़ को 1,135 मत हासिल हुए।
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