जयललिता की मौत की होगी जांच, जानें- क्या रुख लेगी तमिलनाडु की राजनीति
अगर तमिलनाडु की राजनीति को देखें तो एआईएडीएमके एनडीए का ही हिस्सा रही है और अपना समर्थन देती रही है।
नई दिल्ली, [स्पेशल डेस्क]। तमिलनाडु की सरकार ने जयललिता की रहस्यमयी मौत से पर्दा उठाने के लिए एक सदस्यीय आयोग बनाने का ऐलान किया है। मुख्यमंत्री के इस आदेश के बाद जयललिता की मौत को लेकर उठ रहे सवालों पर अब जांच की जाएगी। जयललिता की मौत पर सस्पेंस गहराने के बाद लगातार इस रहस्य से पर्दा हटाने के लिए मांग उठ रही थी। मुख्यमंत्री पलानीसामी की तरफ से इस बात की घोषणा करने के बाद तमिलनाडु की राजनीति एक नई करवट लेती हुई दिख रही है। ऐसा माना जा रहा है कि एआईएडीमके के दोनों धड़े पलानीसामी और पन्नीरसेल्वम गुट का जल्द ही विलय हो सकता है।
दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी का ध्यान अब उन राज्यों में है, जहां पार्टी बेहद कमजोर स्थिति में है और उन्हीं राज्यों मे से एक है तमिलनाडु। भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह इसी महीने तमिलनाडु की यात्रा पर जा रहे हैं। जहां उनकी कोशिश पार्टी को धार देने के लिए अगली रणनीति बनाने की होगी। ऐसे में सवाल उठता है कि तमिलनाडु की राजनीति आगे क्या मोड़ लेने वाली है? आइए तमिलनाडु की राजनीति पर गहरी पकड़ रखने वाले राजनीतिक जानकार से इस बारे में विस्तार से समझने की कोशिश करते हैं।
जल्द एआईएडीएमके के दोनों धड़ों का होगा विलय
पार्टी के खिलाफ बगावती रुख अपनाने वाले तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री और जे. जयललिता के बेहद भरोसेमंद पन्नीरसेल्वम जल्द ही अपना विरोध छोड़ सकते हैं। यानि, एआईएडीएमके के दोनों गुटों का विलय जल्द हो सकता है। पन्नीरसेल्वम ने अपना विरोध छोड़ने के लिए जो शर्तें रखी थी, उनमें एक शर्त थी 5 सितंबर 2016 को जयललिता की संदेहास्पद स्थिति में हुई मौत की न्यायिक जांच जिसे मुख्यमंत्री पलानीसामी ने मान लिया।
एआईएडीएमके का विलय हुआ तो किसे फायदा होगा
जाहिर तौर पर ये एक बड़ा सवाल बना हुआ है कि अगर एआईएडीएमके का विलय हुआ तो इसका फायदा किसे मिलेगा? इस सवाल के जवाब में राजनीतिक विश्लेषक और तमिलनाडु की राजनीति में पिछले करीब ढाई दशकों से नज़र रखने वाले आर. राजगोपालन ने Jagran.com से खास बातचीत में बताया कि इसका सीधा फायदा एआईएडीएमके को मिलेगा और एक बार फिर से मजबूत होकर उभरेगी। उसकी वजह है चुनाव आयोग की ओर से चुनाव चिन्ह दो पत्ती का जब्त करना। अगर दोनों धड़ों का विलय हो जाता है तो इससे दो पत्ती का निशान उन्हें वापस मिल जाएगा। ऐसी स्थिति में एआईएडीएमके के करीब 30 फीसदी वोट पार्टी के लिए पूरी तरह से सुरक्षित हो जाएंगे।
भाजपा को एआईएडीएमके के विलय से कितना फायदा
आर. राजगोपालन का मानना है कि एआईएडीएमके के दोनों धड़ों का विलय होने से जाहिर है जहां राज्य में सत्ताधारी दल और मजबूत होगा तो वहीं इसका सीधा फायदा भारतीय जनता पार्टी को भी आनेवाले 2019 के लोकसभा चुनाव में मिलेगा। उन्होंने बताया कि चूंकि एआईएडीएमके के पचास सांसदों का राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव में एनडीए उम्मीदवार को सीधा समर्थन इस बात की बानगी भर है कि आने वाले दिनों में वह भाजपा के साथ ही रहने वाली है। ऐसे में अगर राज्य में एआईएडीएमके मजबूत होगी तो उसका फायदा भाजपा को भी मिलने वाला है।
तमिलनाडु में भाजपा को होगा कितना फायदा
तमिलनाडु में लोकसभा की कुल 39 सीटें हैं, लेकिन भारतीय जनता पार्टी की स्थिति वहां पर कभी भी अच्छी नहीं रही है। हालांकि, ऐसा पहली बार हुआ जब अटल बिहारी वाजपेयी के समय छोटे सहयोगी दलों के साथ लड़ने के बाद उन्हें पांच लोकसभा की सीटें मिली थीं। वैसे वहां पर भाजपा को एक या दो ही सीटें अब तक मिलती आयी है। लेकिन, राजगोपालन का कहना है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा वहां पर शानदार प्रदर्शन करेगी। उसकी अपनी कुछ वजहें हैं।
तमिलनाडु में कांग्रेस के वोटर्स का बदलेगा रुख
पहला तो ये कि तमिलनाडु में अब नेतृत्व करने वाला नेता नहीं है। इसके चलते वोटर खिसक कर भाजपा की ओर रुख कर सकते हैं। तो वहीं दूसरी तरफ वो मतदाता जो अगड़ी जाति के थे और कांग्रेस के पारंपरिक वोटर्स थे वे भी आनेवाले चुनाव में मोदी को पसंद कर भाजपा के पक्ष में वोट देंगे। इसके अलावा जो अपने आपको राष्ट्रभक्त मानते हैं उनका भी झुकाव मोदी सरकार की ओर रहेगा। ऐसे में भाजपा यहां अपने दम पर कम से कम तीन या चार सीटें जीत सकती है।
मोदी के नाम पर तमिलनाडु में 5% मतदाता ज्यादा खिचेंगे
राजगोपालन का कहना है कि तमिलनाडु में रजनीकांत के नाम पर 10 प्रतिशत लोग वोट देंगे, जबकि भाजपा को 10 प्रतिशत और अन्य छोटी पार्टियों के पक्ष में 55 प्रतिशत मतदाता का रुख रहने वाला है। उनका कहना है कि मोदी के नाम पर भाजपा को तमिलनाडु में आने वाले चुनाव में पांच प्रतिशत वोट ज्यादा मिलने वाला है और ये भाजपा को वहां पर मजबूत बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम होगा। इसके अलावा, छोटी पार्टियां जो भाजपा के साथ वहां मिलकर लड़ेंगी, रजनीकांत के समर्थन से भी भाजपा को मदद मिलेगी।
डीएमके के लिए क्यों बढ़ेंगी मुश्किलें
राजगोपालन की मानें तो एआईएडीएमके के दोनों धड़ों के एक होने के बाद जहां डीएमके राज्य में कमजोर पड़ जाएगी तो वहीं दूसरी तरफ करुणानिधि के बाद पार्टी की स्थिति काफी बदतर होने वाली है। उनका कहना है कि करूणानिधि के बाद डीएमके में फूट पड़ना तय है। लिहाजा, इन सभी समीकरणों में कही न कहीं एआईएडीएमके को फायदा मिलता हुआ दिख रहा है। उनका कहना है कि अगर तमिलनाडु की राजनीति को देखें तो एआईएडीएमके एनडीए का ही हिस्सा रही है और अपना समर्थन देती रही है। ऐसे में आज जो कुछ भी तमिलनाडु में हो रहा है वह सब अनायास नहीं है, बल्कि कही न कहीं उसमें केन्द्र के दखल से इनकार नहीं किया सकता है।
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