तीन महीने में चौथी बार घुसपैठ, कहीं चीन की ये एक बड़ी साजिश तो नहीं
उत्तराखंड के चमोली जिले के बाराहोती में चीन के 2 हेलिकॉप्टर घुसने के बाद हड़कंप मच गया।
नई दिल्ली, [स्पेशल डेस्क]। जब भी चीन के साथ भारत के रिश्तों की बात आती है तो हिंदी-चीनी भाई भाई का नारा लगाने वाले चीन को हमेशा से ही शक की निगाहों से देखा जाता है। इसकी वजह है 1962 का वह युद्ध जिसमें चीन ने भारत को भारी क्षति पहुंचाई थी। ऐसे में पिछले तीन महीने के अंदर चौथी बार जब चीन ने भारत के हवाई क्षेत्र का उल्लंघन किया है तो फिर यह सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर चीन की मंशा क्या है? वह ऐसा करके अपने पड़ोसी देशों के साथ क्या जताना चाहता है?
तीन महीने में चौथी बार घुसपैठ
उत्तराखंड के चमोली जिले के बाराहोती में शनिवार (3 जून 2017) को चीन के 2 हेलिकॉप्टर घुसने के बाद हड़कंप मच गया था। चमोली का यह इलाका भारत-चीन बॉर्डर के पास स्थित है। हालांकि, भारत ने कहा है कि इस गंभीर मामले को चीन के सामने उठाकर वे उसका विरोध करेंगे। पिछले 3 महीने में चीनी सेना की भारतीय सीमा में घुसपैठ की यह चौथी घटना है। अधिकारियों के मुताबिक, दोनों हेलीकॉप्टर करीब 5 मिनट भारतीय सीमा में रहे। ऐसा माना जा रहा है कि उन्होंने भारतीय इलाकों की फोटोग्राफी भी की है। ऐसे में हो सकता है कि वे निगरानी करने आए हों।
साढ़े चार किलोमीटर अंदर आए चीनी हेलीकॉप्टर
इंडियन एयरफोर्स अफसर के मुताबिक, बाराहोती में चीन के हेलीकॉप्टर घुसने के मामले की जांच चल रही है। दोनों हेलिकॉप्टरों की पहचान चीन के झीबा सीरीज के अटैक चॉपर के रूप में हुई है। इससे पहले चीन के हेलिकॉप्टर्स भारतीय सीमा में साढ़े चार किमी तक अंदर गए थे। चीन का दावा था कि वे अपने ही इलाके में थे।
चीन ने हवाई क्षेत्र के उल्लंघन पर किया बचाव
हालांकि, चीन ने चमौली जिले के बाराहोती इलाके में अपने हेलीकॉप्टर की घुसपैठ का बचाव किया है। चीन ने इस इलाके को विवादित करार देते हुए उसे अपनी सीमा का पूर्वी भाग बताया है। चीन के मुताबिक, उनकी सेना वहां आसपास के क्षेत्र में नियमित तौर पर पेट्रोलिंग करती रहती है। भारतीय हवाई क्षेत्र में हुए उल्लंघन के बारे में पूछे गए सवालों के जवाब में चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने यह बातें कही।
क्यों अहम है बाराहोती?
दरअसल, बाराहोती वह इलाका है जो उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड से मिलता है। 1958 में चीन और भारत ने बाराहोती के 80 किलोमीटर इलाके को विवादित घोषित किया था और कहा था कि यहां फौज नहीं भेजी जाएगी। 1962 के चीन वॉर में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) इस इलाके में नहीं घुसी थी। तब लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश पर चीन का फोकस था। जंग के बाद आईटीबीपी जवानों ने इलाके में पेट्रोलिंग शुरू कर दी थी।
1962 के बाद बाराहोती में कई बार हुई हलचल
भारत और चीन का सीमा विवाद जिस तरह से नार्थ ईस्ट में है, उसी तरह बाराहोती पर भी है। नार्थ ईस्ट में 1962 में युद्ध भी हुआ। 1962 में बाराहोती में दोनों तरफ से फोर्स आमने-सामने आयी पर लड़ाई नहीं हुई। वहां पर दोनों देशों की सीमा चौकी है और वहां चीन समय-समय पर ऐसी हरकत करता है। भारत हमेशा की तरह अपने प्रशासनिक अधिकारियों की यहां विजिट कराता है और चीन भी। अब तक चीन यहां पर 1962 के बाद से सैकड़ों बार हलचल करता आया है। उत्तराखंड में 367 किलोमीटर के करीब सरहद चीन से लगी हुई है।
चीन के सामने सरकार करे विरोध- विवेक काटजू
दरअसल, चीन की तरफ से तीन में चौथी बार घुसपैठ को लेकर जब Jagran.com की स्पेशल डेस्क ने भारत के पूर्व राजनयिक विवेक काटजू से बात की तो उनका मानना था कि यह चीन का दुस्साहस भरा कदम तो है लेकिन फिलहाल भारत को उत्तेजित होने की बजाय शांति से कदम उठाना चाहिए और चीन के सामने अपना विरोध जताना चाहिए।
बार-बार चीन की घुसपैठ का क्या है मक़सद?
भारतीय सीमा में चीन हेलीकॉप्टर की बार-बार हो रही घुसपैठ को रक्षा विशेषज्ञ और पूर्व मेजर जनरल जीडी बख्शी एक साजिश के तौर पर देख रहे हैं। Jagran.com की स्पेशल डेस्क से बात करते हुए जीडी बख्शी ने कहा कि यह पाकिस्तान और चीन की मिलीजुली बड़ी साजिश का एक छोटा सा हिस्सा हो सकता है। उन्होंने बताया कि चीन चाहता है कि भारत और पाकिस्तान की लड़ाई में कहीं उसके करोड़ रूपये के प्रोजेक्ट चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) की बर्बादी ना हो जाए। यही वजह है कि जम्मू कश्मीर सीमा पर पाकिस्तान के साथ तनाव चरम पर देखते हुए चीन लगातार भारत को उकसाने की कोशिश कर रहा है। ताकि, अगर भारत की तरफ पाकिस्तान पर किसी तरह की कार्रवाई होती है तो चीन भारत के खिलाफ खड़ा हो सके।
क्या जम्मू कश्मीर से ध्यान अलग खींचने की कोशिश
दरअसल, रिटायर्ड मेजर जनरल जी.डी. बख्शी की मानें तो चीन के हेलीकॉप्टर की बार-बार घुसपैठ का एक और बड़ा कारण ये भी हो सकता है कि पाकिस्तान और चीन की तरफ से भारत और दुनिया का ध्यान जम्मू कश्मीर से भटकाने की कोशिश हो। उन्होंने बताया कि आज काफी तादाद में पाकिस्तान से लगती हुई सीमा पर भारतीय फौज लगी हुई है। ऐसे में वहां से फौज का ध्यान हटाने के लिए चीन ऐसी साजिशें रच रहा हो।
दो साल पहले भी चीनी सैनिकों ने की थी घुसपैठ
गौरतलब है कि इस सीमा क्षेत्र में चीनी घुसपैठ के कई मामले पहले भी सामने आए है। दो साल पहले भारतीय सीमा में चीनी हेलीकॉप्टर के घुसने का मामला भी प्रकाश में आया था। चीनी सैनिकों ने सीमा के भीतर कैंप करने की घटना भी सामने आ चुकी है। पिछले साल चीनी सैनिकों ने बाराहोती क्षेत्र में भारतीय चरवाहों के खाद्यान्न को नष्ट कर बाराहोती को अपनी सीमा में बताया था। जबकि, लद्दाख के चुमार सेक्टर में साल 2014 के सितंबर में चीन के सैनिकों ने चुमार इलाके में घुसपैठ की थी। चीन की पीएलए (पीपल्स लिबरेशन आर्मी) के करीब 350 जवान सीमा के अंदर आ गए थे।