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जीएसटी के बाद सेवाओं की बढ़़ेगी कीमत लेकिन वस्‍तुओं पर होगी कम

पहले एक ही वस्तु पर तरह-तरह के टैक्स लगते थे, लेकिन अब वस्तुओं और सेवाओं पर देशभर में एक ही प्रकार का कर लगेगा।

By Kamal VermaEdited By: Published: Mon, 03 Jul 2017 01:50 PM (IST)Updated: Mon, 03 Jul 2017 01:50 PM (IST)
जीएसटी के बाद सेवाओं की बढ़़ेगी कीमत लेकिन वस्‍तुओं पर होगी कम
जीएसटी के बाद सेवाओं की बढ़़ेगी कीमत लेकिन वस्‍तुओं पर होगी कम

रवि शंकर

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जीएसटी एक अप्रत्यक्ष कर है। इसका भार अंतिम उपभोक्ता को ही वहन करना पड़ता है। पहले एक ही वस्तु पर तरह-तरह के टैक्स लगते थे, लेकिन अब वस्तुओं और सेवाओं पर देशभर में एक ही प्रकार का कर लगेगा जिससे अधिकतर वस्तुओं की कीमत में कमी आएगी जबकि सेवाओं की लागत बढ़ सकती है। 17 तरह के अलग अलग अप्रत्यक्ष कर और 23 उपकर को जीएसटी में समाहित कर दिया गया है। इससे पूरा देश एकल बाजार के रूप मे परिवर्तित हो जाएगा। चाहे जहां भी, जो भी वस्तु खरीदी जाए उस पर कर एक समान होगा। शराब, पेट्रोल, डीजल, विमान ईंधन, रसोई गैस आदि को फिलहाल जीएसटी से बाहर रखा गया है। पहले की ही तरह इनकी कीमतें हर राज्य में अलग-अलग होंगी।

जीएसटी से आम आदमी को बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है। अब बिना ब्रैंड वाले खाद्य पदार्थो पर कोई कर नहीं लगेगा जबकि रोजमर्रा की अन्य वस्तुओं पर पांच या 12 प्रतिशत कर देना होगा। अन्य वस्तुओं पर 18 और 28 प्रतिशत का कर लगेगा। सोने तथा अन्य महंगी धातुओं पर कर की दर अलग होगी। सोने पर अब दो की जगह तीन प्रतिशत कर लगेगा। जीएसटी की खास बात यह है कि इसके सभी फैसले जीएसटी परिषद ने सर्वसम्मति से लिए जिसमें सभी राज्यों के वित्त मंत्री शामिल हैं। केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली इस परिषद के अध्यक्ष हैं। देश में संघीय व्यवस्था होने के अनुरूप केंद्र और राज्यों केबीच करों के बंटवारे के लिए तीन तरह की कानूनी व्यवस्था की गई है।

जीएसटी लागू हो जाने के बाद उन सभी व्यवसायी, उत्पादक और सेवा प्रदाता को अपना पंजीकरण कराना होगा जिनका वार्षिक कारोबार 20 लाख रुपये से ज्यादा है। केंद्र और राज्यों में तमाम वजहों से जीएसटी पर जमकर राजनीतिक खींच-तानी हुई। इस पर आम सहमति बनाने में एक दशक से अधिक समय लग गया। जीएसटी को लागू करने का श्रेय भारतीय जनता पार्टी को मिला है, जबकि विपक्ष में रहते हुये उसने इसका कड़ा विरोध किया था। कांग्रेस के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार जीएसटी विधेयक पर सहमति नहीं बन पाने के कारण 2010 में इससे लागू नहीं कर पाई थी। मोदी सरकार ने लोकसभा में स्पष्ट बहुमत होने के कारण जीएसटी से जुड़े विधेयक को आसानी से पारित करा लिया था, लेकिन राज्यसभा में इसे पास कराने के लिए उसे कई बदलाव करने पड़े। 1जीएसटी को लागू करने का समारोह भी राजनीति से अछूता नहीं रह सका।

कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, वामदलों सहित कई विपक्षी दलों ने इसमें हिस्सा नहीं लिया। दुनिया के 160 से अधिक देशों में जीएसटी जैसी प्रणाली लागू है जिसके तहत वहाँ के निवासियों को अपने पूरे देश में वस्तुओं की एक समान कीमत देनी होती है। उदारीकरण के बाद यह देश के आर्थिक इतिहास की सबसे बड़ी घटना है। देश की जीडीपी पर जीएसटी का असर निश्चित तौर पर होगा। कहा जा रहा है कि जीएसटी लागू होने के बाद थोड़े समय के लिए महंगाई बढ़ेगी। क्योंकि पूरी दुनिया में जब भी किसी क्षेत्र में समान बिक्री कर लागू किया गया वहां थोड़े समय के लिए महंगाई बढ़ी है। हालांकि कई अर्थशास्त्रियों का मानना है कि जीएसटी लागू होने के बाद पहले 3 साल तक महंगाई बढ़ने के आसार रहते हैं, लेकिन उसके बाद इसमें राहत मिलने की उम्मीद की जाती है।

बहरहाल, जीएसटी का फायदा यह है कि इससे टैक्स का दायरा बढ़ जाएगा। जीएसटी के राजनीतिक परिदृश्य को भी समझने की जरूरत है। क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक और जोखिम से भरा हुआ फैसला लिया है। यह इसलिए क्योंकि देश में 20 महीने बाद होने वाले लोकसभा चुनाव में मोदी दोबारा एक प्रत्याशी के रूप में जनता के बीच खड़े होंगे। और तब वह अपने इसी फैसलों के कारण जनता की हां या न के शिकार होंगे। प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी ने नोटबंदी के बाद से अपने राजनीतिक करियर का यह दूसरा सबसे बड़ा जोखिम लिया है। अगर जीएसटी के चलते लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ा तो बहुत संभव है कि अगले चुनाव में इसका असर देखने को मिले। मगर फैसले को देखते हुए लगता है कि मोदी सरकार को नोटबंदी जैसा विश्वास इस बार भी है। जीएसटी की कामयाबी का असर पार्टी और सरकार दोनों पर पड़ेगा। अगर जीएसटी से देश को उम्मीद के मुताबिक फायदा नहीं हुआ तो इसका असर 2019 के लोकसभा चुनावों पर भी पड़ेगा।

(लेखक टेलीविजन पत्रकार हैं)


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