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नतीजा गुजरात के राज्यसभा चुनाव का, अटका है क्यों आकर दिल्ली में

गुजरात में राज्यसभा के दिलचस्प चुनाव में अहमद पटेल की सीट फंसती हुई नजर आ रही है।

By Lalit RaiEdited By: Published: Mon, 07 Aug 2017 12:46 PM (IST)Updated: Tue, 08 Aug 2017 08:35 PM (IST)
नतीजा गुजरात के राज्यसभा चुनाव का, अटका है क्यों आकर दिल्ली में
नतीजा गुजरात के राज्यसभा चुनाव का, अटका है क्यों आकर दिल्ली में

नई दिल्ली [स्पेशल डेस्क]। उपराष्ट्रपति चुनाव के बाद गुजरात में होने वाला राज्यसभा चुनाव राजनीतिक हलचल का केंद्र बन गया है। राज्यसभा की तीन सीटों के लिए 176 विधायक अपने मत का इस्तेमाल कर चुके हैं। इस चुनाव में खास तौर से भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और सोनिया गांधी के राजनीतिक सचिव अहमद पटेल का राजनीतिक कौशल दांव पर लगा है। इस दिलचस्प लड़ाई में भाजपा की झोली में दो सीटें साफ साफ जाती नजर आ रही है। लेकिन तीसरी सीट के लिए ये लड़ाई सिर्फ सीट की लड़ाई नहीं है, बल्कि कांग्रेस और भाजपा के लिए सम्मान की लड़ाई बन चुकी है। विधायकों के मतदान के तुरंत बाद गुजरात कांग्रेस के प्रभारी अशोक गहलोत ने स्वीकार किया कि 44 कांग्रेस विधायकों में से एक विधायक ने क्रॉस वोटिंग की है। हालांकि इससे पहले शंकर सिंह वाघेला ने कहा था कि 44 कांग्रेस विधायकों में कम से कम तीन या चार विधायक भाजपा के पक्ष में क्रॉस वोटिंग करेंगे।

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 दोस्ती पर भारी पड़ा रिश्ता

शंकर सिंह वाघेला ने मतदान के तुरंत बाद कहा कि उन्होंने अहमद पटेल को मत नहीं दिया है। उन्हें उम्मीद है कि कांग्रेस के 44 विधायकों में तीन से चार विधायक और टूटेंगे। वाघेला ने कहा कि अहमद पटेल को वोट न देने का अफसोेस है, राजनीतिक समीकरणों के मुताबिक अहमद पटेल चुनाव हार जाएंगे। वो कांग्रेस के नेताओं को पहले से समझा रहे थे कि गुजरात की जमीनी हकीकत से आप दूर क्यों भाग रहे हैं। अहमद पटेल पर निशाना साधते हुए वाघेला ने कहा कि उनकी वजह से कांग्रेस टूट गई। गुजरात में कमजोर कांग्रेस के लिए सीधे तौर पर अहमद पटेल जिम्मेदार हैं। 

कांग्रेस छोड़ बीजेपी ज्वाइन करने वाले बलवंत सिंह राजपूत शंकर सिंह वाघेला के रिश्ते में समधी हैं, जबकि अहमद पटेल पिछले 25 सालों से शंकरसिंह वाघेला के दोस्त रहे हैं।  वाघेला पर अपने समधी को जिताने के साथ-साथ अपने बेटे का भी राजनीतिक भविष्य ताख पर है। हालांकि कांग्रेस से अब तक जिन 6 विधायकों ने इस्तीफा दिया है, उसके पीछे लोग शंकर सिंह वाघेला को जिम्मेदार मानते हैं। 

कांग्रेस की प्रतिष्ठा दांव पर

कांग्रेस को अपने विधायकों को रोकने के लिए बेंगलुरु ले जाना पड़ा वहीं अब एनसीपी भी आंखें दिखा रही है। दूसरी तरफ नोटा का बटन भी उसे परेशान कर रहा है। राज्यसभा का चुनाव दोनों प्रमुख दलों के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गया है। भाजपा से अमित शाह और केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी की जीत तय मानी जा रही है। लेकिन भाजपा अपने अतिरिक्त 33 मतों के बूते बलवंतसिंह राजपूत को चुनाव जिताने में जुटी है। 

जानकार की राय

Jagran.Com से खास बातचीत में वरिष्ठ पत्रकार शिवाजी सरकार ने कहा कि राज्यसभा चुनाव निश्चित तौर पर कांग्रेस के लिए सम्मान की लड़ाई है। अहमद पटेल पिछले 25 साल से कांग्रेस में अहम प्रभाव रखते रहे हैं। वो न केवल राजनैतिक तौर पर कांग्रेस के लिए अहम हैं बल्कि आर्थिक तौर पर कांग्रेस के लिए समय समय पर योगदान देते रहे हैं। गुजरात में राज्यसभा का चुनाव एक सीट तक सीमित नहीं है। आगामी विधानसभा चुनाव पर अहमद पटेल की जीत या हार का असर होगा। अगर कांग्रेस को कामयाबी मिलती है तो पार्टी का संबल ऊंचा होगा। अगर चुनाव में हाथ के हाथ में पराजय आती है तो कांग्रेस को मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा। 

एनसीपी के रुख पर था संशय कायम

एनसीपी के वरिष्ठ नेता प्रफुल्ल पटेल ने कहा है कि 2012 के चुनाव में कांग्रेस ने उनके साथ दगाबाजी की थी। एनसीपी के विधायकों ने कहा कि आलाकमान ने कांग्रेस को वोट करने का फैसला नहीं किया है। लेकिन कांग्रेस उम्मीदवार अहमद पटेल ने सोमवार को ट्वीट कर कहा था कि उन्हें उम्मीद है कि एनसीपी का समर्थन हासिल करने में कामयाब होंगे।

चुनावी मैदान में ये चेहरे 

अमित शाह

अमित शाह किसी परिचय के मोहताज नहीं है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष शाह की अगुवाई में देश के 18 राज्यों में केसरिया झंडा लहरा है। राज्य की राजनीति से हटकर अब वो राष्ट्रीय राजनीति में दस्तक दे चुके हैं। 

स्मृति ईरानी

स्मृति ईरानी केंद्र सरकार में टेक्सटाइल मंत्री हैं, फिलहाल वो सूचना प्रसारण मंत्रालय की कमान संभाल रही हैं।

अहमद पटेल

अहमद पटेल सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार हैं। यूपीए सरकार के दोनों कार्यकाल में सीधे तौर पर बिना किसी जिम्मेदारी निभाते हुए ताकतवर थे। 

 

बलवंत सिंह राजपूत

बलवंत सिंह राजपूत, कांग्रेस को अलविदा कहने वाले कद्दावर नेता शंकर सिंह वाघेला के रिश्तेदार है। इनके चुनावी अखाड़े में उतरने की वजह से चुनाव दिलचस्प हो गया है। 

अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए शिवाजी सरकार ने कहा कि जिस तरह से कांग्रेस के लिए ये सम्मान की लड़ाई बन चुकी है, ठीक वैसे ही अहमद पटेल को रोकने के लिए भाजपा कोशिश करेगी। अगर अहमद पटेल हार जाते हैं तो भाजपा जिस रणनीति के तहत विधानसभा चुनाव में उतरने की कोशिश करेगी उसमें बदलाव नहीं करेगी। लेकिन अहमद पटेल की जीत से भाजपा को अपनी रणनीति बदलनी होगी। इतना ही नहीं गुजरात विधानसभा का चुनाव देश की राजनीति की दिशा को तय करेगा।   

रास चुनाव का ये है गणित

विधानसभा में भाजपा के 121, कांग्रेस के 51, एनसीपी के दो, जेडीयू का एक और एक निर्दलीय विधायक हैं। जीत के लिए किसी उम्मीदवार को 44 मतों की जरूरत होगी। लेकिन, वाघेला और उनके समर्थक विधायक नोटा का इस्तेमाल करते हैं, तो कांग्रेस का खेल बिगड़ सकता है।

भाजपा पर खरीदफरोख्त का आरोप

कांग्रेस ने 8 अगस्त को गुजरात में होने वाले राज्यसभा चुनाव से पहले भाजपा पर अपने विधायकों को लालच और धमकी से तोड़ने की कोशिश करने का आरोप लगाते हुए 44 एमएलए बेंगलुरू भेज दिए थे। जहां इन्हें एक रिजॉर्ट में ठहराया गया था। मंगलवार को होने वाले राज्यसभा चुनाव से पहले अहमद पटेल आज शाम रिजार्ट में सभी विधायकों से मुलाकात करेंगे। इससे पहले अहमद पटेल ने कहा कि वो राज्यसभा चुनाव में अपनी जीत को लेकर पूरी तरह आश्वस्त हैं। सभी विधायक उनके साथ हैं। 

भाजपा की तरफ से केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह तो कांग्रेस की ओर से सोनिया गांधी के सलाहकार अहमद पटेल के उम्मीदवार होने की वजह से इस पर सबकी निगाहें हैं। इन तीनों की ही जीत तय थी लेकिन कांग्रेस के छह विधायकों के पार्टी छोड़ने और भाजपा के एक और उम्मीदवार खड़ा करने से यहां मामला पेचीदा हो गया है।

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