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सिर्फ 'नवाज' पर ही क्‍यों रोता है एे 'पाक', तेरे यहां तो और भी किस्‍मत के मारे हैं

नवाज शरीफ पाकिस्‍तान के उन बदकिस्‍मत नेताओं में शामिल हैं जो देश के सर्वोच्‍च पद पर तो तीन बार पहुंचे, लेकिन कभी भी अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सके।

By Kamal VermaEdited By: Published: Sat, 29 Jul 2017 12:15 PM (IST)Updated: Mon, 31 Jul 2017 11:31 AM (IST)
सिर्फ 'नवाज' पर ही क्‍यों रोता है एे 'पाक', तेरे यहां तो और भी किस्‍मत के मारे हैं

नई दिल्‍ली (स्‍पेशल डेस्‍क)। नवाज शरीफ पाकिस्‍तान के उन बदकिस्‍मत नेताओं में शामिल हैं जो देश के सर्वोच्‍च पद पर तो तीन बार पहुंचे, लेकिन कभी भी अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सके। वह पाकिस्‍तान के एकमात्र ऐसे राजनेता भी हैं जो इस पद पर तीन बार आसीन हुए। शरीफ का पीएम बनने का सफर 1990 में शुरू हुअा था। 1 नवंबर 1990 से 18 जुलाई 1993 तक वह देश के 12वें प्रधानमंत्री रहे थे। लेकिन तत्‍कालीन राष्‍ट्रपति ने उनकी सरकार को बर्खास्‍त कर दिया था, जिसके बाद वह सुप्रीम कोर्ट तक गए थे।

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17 फरवरी 1997 को वह 14वें प्रधानमंत्री के तौर पर दोबारा सत्ता में आए, लेकिन तब 12 अक्टूबर 1999 को उनकी सरकार का तत्‍कालीन आर्मी चीफ परवेज मुशर्रफ ने तख्‍ता पलट कर दिया और देश में मार्शल लॉ लागू कर दिया। इस तख्तापलट के बाद पाकिस्तान आतंकवाद निरोधक कोर्ट ने नवाज शरीफ को भ्रष्टाचार के अपराध में दोषी करार दिया था। लेकिन सऊदी अरब की मध्यस्तता से शरीफ को जेल से बचाकर सऊदी अरब के जेद्दा नगर में निर्वासित कर दिया गया। यह वक्‍त ऐसा था, जब माना जा रहा था कि शरीफ का हाल भी जुल्‍फीकार अली भुट्टो की तरह ही होने वाला है। लेकिन यहां पर वह किस्‍मत के धनी निकले और उनका जीवन बच गया।

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अगस्त 23, 2007 में सुप्रीम कोर्ट ने शरीफ को पाकिस्तान वापस आने की इजाजत दी। यहां से उनकी राजनीति की तीसरी कड़ी शुरू हुई। सितंबर 2007 को शरीफ सात वर्षों के निर्वासन के बाद इस्‍लामाबाद लौटे, लेकिन उन्हें एयरपोर्ट पर उतरने ही नहीं दिया गया और वापस जेद्दा दिया गया। लंबी जद्दोजहद के बाद वह पाकिस्‍तान आने में दोबारा सफल हुए। 2007-2013 के दौरान देश में चार प्रधानमंत्री रहे। लेकिन कोई अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सका। इसके बाद चुनाव हुआ 5 जून 2013 को वह तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री बने, लेकिन यहां पर फिर उनकी किस्‍मत बदली और पनामा पेपरलीक्‍स मामले में उन्‍हें कोर्ट ने दोषी ठहराते हुए अयोग्‍य करार दिया, जिसके बाद उन्‍हें अपने पद से इस्‍तीफा देना पड़ा।

कोर्ट ने उन्‍हें संविधान की धारा 62(1)(f) के तहत दोषी ठहराया है। नवाज शरीफ के पूरे राजनीतिक सफर में कई उतार-चढ़ाव आए, लेकिन अब जबकि उन्‍हें अयोग्‍य करार दे दिया गया है तो अभी यह सवाल बरकरार है कि उन्‍हें लाइफ टाइम के लिए अयोग्‍य करार दिया गया है या यूसुफ रजा गिलानी की तरह पांच वर्षों के लिए अयोग्‍य ठहराया गया है। बहरहाल नवाज पाकिस्‍तान के ऐसे पहले प्रधानमंत्री नहीं हैं, जिन्‍होंने अपना कार्यकाल पूरा नहीं किया बल्कि पाकिस्तान के इतिहास में कोई भी प्रधानमंत्री अपना कार्यकाल पूरा कर ही नहीं पाया।

पाक पीएम की सिलसिलेवार फहरिस्‍त

- लियाकत अली खान को 1947 में पाकिस्‍तान का पहला प्रधानमंत्री बनाया गया था। लेकिन 1951 में ही उनकी हत्‍या कर दी गई थी।
- लियाकत अली खान के बाद ख्‍वाजा निजामुद्दीन को 1951 में प्रधानमंत्री बनाया गया, लेकिन 1953 में उनकी सरकार को तत्‍कालीन गवर्नर जनरल मलिक गुलाम मुहम्‍मद ने बर्खास्‍त कर दिया था।

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- निजामुद्दीन के बाद प्रधानमंत्री पद पर मुहम्‍मद अली बोगरा को बिठाया गया, लेकिन गवर्नर जनरल मलिक गुलाम मुहम्‍मद ने उन्‍हें भी 1954 में बर्खास्‍त कर दिया। इसके बाद देश में चुनाव करवाए गए, जिसमें मुस्लिम लीग को करारी हार मिली, लेकिन बोगरा दोबारा पीएम बनने में कामयाब रहे। लेकिन यह कामयाबी उनकी ज्‍यादा लंबी नहीं रही और 1955 में उनकी सरकार को इसकंदर मिर्जा ने  बर्खास्‍त कर दिया।

- 12 अगस्‍त 1955 को देश की बागडोर चौधरी मुहम्‍मद अली के हाथों में आई। अली का देश के संविधान निर्माण में बड़ा योगदान था, लेकिन उन्‍होंने भी 12 सितंबर 1956 को अपने पद से इस्‍तीफा दे दिया। उनके इस्‍तीफा देने की वजह राष्‍ट्रपति से तकरार थी।
- अली के पद से हटने के तुरंत बाद ही हुसैन  शाहिद सौहरावार्डी को पीएम बना दिया गया। वह पहले ऐसे पीएम थे जो मुस्लिम लीग से नहीं थे। लेकिन 17 अक्‍टूबर 1957 को उनकी सरकार को बर्खास्‍त कर दिया गया। इसकी वजह भी राष्‍ट्रपति से उनका टकराव था।

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- सौहरावार्डी के पद से हटते ही देश की कमान इब्राहिम इस्‍माइल चौंदरीगार को सौंप दी गई। उन्‍हें देश की कमान सौंपने वालों में खुद राष्‍ट्रपति इसकंदर मिर्जा ही थे। लेकिन बदकिस्‍मती से वह केवल दो माह ही देश के पीएम रहे। 16 दिसंबर 1957 को उन्‍होंने भी पद से इस्‍तीफा दे दिया।
- चौंदरीगार के हटते ही फिरोज खान नून को देश का प्रधानमंत्री बनाया गया। वह देश के सातवें प्रधानमंत्री बने। लेकिन साल 1958 में लगाए गए मार्शल लॉ में उनकी सरकार को बर्खास्‍त कर दिया गया।


- 1958 में तत्‍कालीन जनरल अयूब खान ने सत्ता की सारी ताकतें अपने हाथों में ले लीं। इस दौरान देश में कोई प्रधानमंत्री नहीं था। इतना ही नहीं 1962 में अयूब खान ने देश में नया संविधान तक लागू कर दिया था। 1969 में संविधान को निरस्‍त करते हुए राष्‍ट्रप‍ति अयूब खान ने अपने पद से इस्‍तीफा दे दिया और देश में एक बार फिर से जनरल याहिया खान के नेतृत्‍व में मार्शल लॉ लगा दिया गया। याहिया खान ने अपने कार्यकाल के अंतिम दिनों में नूरूल अमीन को 7 दिसंबर 1971 को प्रधानमंत्री नियुक्‍त किया। वह इस पद पर 20 दिसंबर 1971 तक रहे। इसके बाद राष्‍ट्रपति जुल्‍फीकार अली भुट्टो ने उन्‍हें उपराष्‍ट्रपति बना दिया। 1973 तक पाकिस्‍तान में कोई पीएम नहीं था
- 14 अगस्‍त 1973 को जुल्‍फीकार अली भुट्टो ने राष्‍ट्रपति के पद से इस्‍तीफा दिया और प्रधानमंत्री बन बैठे। लेकिन
इसके बाद 5 जुलाई 1977 में तत्‍कालीन जनरल जिया उल हक ने उनकी सरकार का तख्‍तापलट कर दिया और उन्‍हें जेल में डालकर देश की सत्ता अपने हाथों में ले ली।
- 24 मार्च 1985 को देश के दसवें प्रधानमंत्री के तौर पर मुहम्‍मद खान जुनेजो सत्ता पर काबिज हुए। वह निर्दलीय उम्‍मीदवार के तौर पर जीत कर आए थे, लेकिन बाद में वह मुस्‍लीम लीग में शामिल हो गए। 29 मई 1988 को उन्‍हें राष्‍ट्रपति ने बर्खास्‍त कर दिया।


- 2 दिसंबर 1988 को देश में पहली बार कोई महिला प्रधानमंत्री बनी। इनका नाम था बेनेजीर भुट्टो। वह जुल्‍फीकार अली भुट्टो की बेटी थी। भुट्टो 6 अगस्‍त 1990 तक देश की प्रधानमंत्री रहीं।
- 6 अगस्‍त 1990 को गुलाम मुस्‍तफा जतोई को केयरटेकर पीएम नियुक्‍त किया गया जो तीन माह तक देश के पीएम रहे।
- 6 नवंबर 1990 को नवाज शरीफ ने 12वें प्रधानमंत्री के तौर पर देश की सत्ता संभाली। लेकिन 18 अप्रैल 1993 को उनकी सरकार को राष्‍ट्रपति गुलाम इशाक खान ने बर्खास्‍त कर दिया।
- 18 अप्रैल 1993 को बलाख शेर मजारी को राष्‍ट्रपति खान ने बतौर केयरटेकर पीएम नियुक्‍त किया। लेकिन नवाज के सुप्रीम कोर्ट जाने और वहां से जीत मिलने पर दोबारा वह सत्ता में लौट आए।
- 26 मई 1993 को प्रधानमंत्री के तौर पर नवाज  दोबारा सत्ता में आए और इस बार वह महज तीन माह तक ही सरकार चला सके। इसके बाद शरीफ को राष्‍ट्रपति से टकराव के चलते इस्‍तीफा देना पड़ा।
- शरीफ के इस्‍तीफे के बाद मोइनुद्दीन अहमद कुरैशी को 18 जुलाई 1993 को देश का केयरटेकर पीएम नियुक्‍त किया गया। वह 19 अक्‍टूबर 1993 तक देश के पीएम रहे।

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- इसी बीच 6 अक्‍टूबर को देश में चुनाव हुए जिसके बाद बेनेजीर भुट्टो दोबारा देश की सत्ता पर काबिज हुईं। अपने कार्यकाल के दौरान उन्‍हें तख्‍तापलट की साजिश से भी दो चार होना पड़ा। इन सभी से बचने के बाद भी 5 नवंबर 1996 को तत्‍कालीन राष्‍ट्रपति फारुख लिघारी ने उनकी सरकार को बर्खास्‍त कर दिया।
- 5 नवंबर 1996 को मलिक मिराज खालिदी को देश का नया प्रधानमंत्री नियुक्‍त किया गया जो 17 फरवरी 1997 तक देश के केयरटेकर पीएम रहे।


- 3 फरवरी 1997 को देश में दोबारा चुनाव हुए और 17 फरवरी 1997 को नवाज शरीफ सत्ता में वापस लौट आए। लेकिन 12 अक्‍टूबर 1997 को तत्‍कालीन जनरल परवेज मुशर्रफ ने उनकी सरकार का तख्‍ता पलट कर देश में मार्शल लॉ लगा दिया। नवाज पर मामला चलाकर दोषी ठहराया गया, लेकिन बाद में उन्‍हें निर्वासित कर जेद्दा भेज दिया गया।
- 21 नवंबर 2002 को देश में जफरुद्दीन खान जमाली को देश का प्रधानमंत्री बनाया गया। लेकिन 26 जून 2004 को उन्‍होंने भी अपने पद से इस्‍तीफा दे दिया।
- जमाली के बाद 30 जून 2004 को सुजात हुसैन को देश का प्रधानमंत्री नियुक्‍त किया गया। वह 20 अगस्‍त 2004 तक इस पद पर रहे और बाद में उन्‍होंने इस्‍तीफा दे दिया।
- 20 अगस्‍त 2004 को शौकत अजीज के हाथों में देश की कमान आई। वह सरकार का कार्यकाल पूरा होने तक करीब तीन वर्षों तक (16 नवंबर 2007) इस पद पर रहे। 
- 16 नवंबर 2007 को देश में एक बार फिर से केयरटेकर प्रधानमंत्री नियुक्‍त किया गया। इनका नाम मुहम्‍मद मियां सुमरो था जो 16 नवंबर 2007 से 25 मार्च 2008 तक पद पर रहे।


- 18 फरवरी 2008 को देश में चुनाव हुए और 25 मार्च 2008 को यूसुफ रजा गिलानी प्रधानमंत्री बने। वह करीब चार वर्ष तक इस पद पर रहे, लेकिन सुप्रीम कोर्ट से अयोग्‍य करार दिए जाने के बाद 19 जून 2012 को उन्‍हें पद छोड़ना पड़ा।
- गिलानी के बाद 22 जून 2012 को राजा परवेज अशरफ को देश का प्रधानमंत्री नियुक्‍त कर दिया गया। वह 25 मार्च 2013 तक इस पद पर रहे।
- 25 मार्च 2013 को मीर हजर खान खोसो को इलेक्‍शन कमिशन ऑफ पाकिस्‍तान ने पीएम बनाया। वह 5 जून 2013 तक देश के पीएम रहे।
- 5 जून 2013 को एक बार फिर से देश की सत्ता पर नवाज शरीफ बतौर प्रधानमंत्री काबिज हुए। लेकिन 28 जुलाई 2017 को उन्‍हें अपने पद से इस्‍तीफा देना पड़ा।

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