खबर का असर: मजदूर दंपती की बीमार बेटी के इलाज की जगी उम्मीद
दैनिक जागरण व सहयोगी प्रकाशन नईदुनिया में 25 सितंबर को भारती की खबर के प्रकाशन के बाद मध्यप्रदेश सरकार एक्शन में आई। स्वास्थ्य अमला कुंभकर्णी नींद से जाग गया।
इंदौर [नईदुनिया]। इलाज के अभाव में हर पल मौत से लड़ रही मजदूर मां- बाप की डेढ़ माह की बच्ची भारती के इलाज की आस जग गई है। राष्ट्रीय बाल सुरक्षा कार्यक्रम के तहत बच्ची का पूरा इलाज कराया जाएगा। दैनिक जागरण व सहयोगी प्रकाशन नईदुनिया में 25 सितंबर को भारती की खबर के प्रकाशन के बाद मध्यप्रदेश सरकार एक्शन में आई। स्वास्थ्य अमला कुंभकर्णी नींद से जाग गया। बुधवार को भारती की मेडिकल रिपोर्ट तैयार कर इसे मुंबई के सुपरस्पेशलिटी अस्पताल को भेजा गया।
इंदौर, मध्यप्रदेश के महू ब्लॉक के सूरतीपुरा गांव में मजदूरी करने वाले पूजा और महरा सिंह की बिटिया जन्म से ही कमर में ट्यूमर से पीड़ित थी। आंख और पैर में भी समस्या थी। इंदौर के मशहूर एमवाय अस्पताल ने उसे यह कहकर घर भेज दिया था कि बचने की संभावना नहीं है। गरीब मां-बाप बच्ची की जान बचाने की गुहार करते जिला अस्पताल के चक्कर काट रहे थे। मंगलवार को देश भर में खबर के प्रकाशित होने के बाद बुधवार को अस्पताल पहुंचने पर उन्हें न तो निजी अस्पताल जाने की सलाह दी गई और न ही नई तारीख।
स्वास्थ्य विभाग ने तत्परता बरती और भारती की मेडिकल रिपोर्ट तैयार कर मुंबई के नारायणा सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के एसएसआरपी सेंटर भेजी। यह तत्परता पहले भी दिखाई जा सकती थी। बच्ची का वजन बढ़ाने के लिए महिला एवं बाल विकास को जिम्मा सौंप दिया गया है।
मां के पास रखो, मुश्किल है बचना
इससे पहले भारती के पिता ने मदरा सिंह ने बताया कि इंदौर के एमवाय अस्पताल ने बच्ची को दिनभर रखा, लेकिन ऑपरेशन या इलाज के बारे में कुछ नहीं कहा। डॉक्टरों ने दूसरे दिन यह कहकर छुट्टी कर दी कि बच्ची को मां के पास रखो, इसका बचना बहुत मुश्किल है। अस्पताल के दस्तावेज के मुताबिक पांच अगस्त को बच्ची को भर्ती किया और 6 अगस्त को डिस्चार्ज कार्ड बना दिया गया। सूरतीपुरा की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता वर्षा मकवाना ने कहा कि मैं खुद बच्ची और उसके माता-पिता को साथ लेकर स्वास्थ्य विभाग गई थी। वहां से बच्ची को देखकर जिला अस्पताल भेजा। अस्पताल से 25-26 तारीख तक आने का बोला था। कागज तो कुछ नहीं दिए। बच्ची का फिलहाल कोई इलाज नहीं चल रहा है।
26 तारीख का इंतजार
बच्ची के पिता मदरा सिंह के मुताबिक उन्हें करीब 15 दिन पहले जिला अस्पताल में बोला गया था कि 26 को आकर एक बार बात कर लेना, इसका प्राइवेट अस्पताल में ऑपरेशन करवा देंगे। वे एक प्राइवेट अस्पताल में भी गए। वहां से कहा गया कि जब उनके खाते में सरकार की ओर से पैसे आएंगे, तब ऑपरेशन होगा। मदरा को जिला अस्पताल ने इसके लिए कोई कागज-पर्ची नहीं दी। अब पिता को 26 तारीख का इंतजार है कि शायद उस दिन बेटी के भविष्य का फैसला हो जाए।
राष्ट्रीय बाल सुरक्षा कार्यक्रम के तहत बच्ची का पूरा इलाज कराया जाएगा। मेडिकल रिपोर्ट तैयार कर मुंबई भेज दी गई है। उसका वजन कम है, साढ़े चार किलो से ज्यादा होने के बाद ऑपरेशन संभव हो पाएगा। वजन के लिए लिए महिला एवं बाल विकास विभाग को जिम्मा सौंप दिया गया है।
-रवींद्र शर्मा, प्रभारी, राष्ट्रीय बाल सुरक्षा कार्यक्रम