जागरण इफेक्ट: माइक्रोहाइड्रो टरबाइन प्रोजेक्ट पर छत्तीसगढ़ सरकार आई आगे
जर्मनी का जगमगाता ऑफर ठुकराकर, बस्तर को रोशन करने पहुंचा है युवा वैज्ञानिक, दैनिक जागरण और सहयोगी प्रकाशन नई दुनिया में मामला सामने आने के बाद हरकत में आई छत्तीसगढ़ सरकार
जगदलपुर (नईदुनिया)। जर्मन सरकार द्वारा दिया करोड़ों का ऑफर ठुकरा अपने देश के अंधियारे गांवों को रोशन करने की चाहत में छत्तीसगढ़ के बस्तर पहुंचे युवा वैज्ञानिक पुनीत सिंह की प्रेरक कहानी ‘जागरण विशेष’ के रूप में 28 मार्च को दैनिक जागरण और सहयोगी अखबार नई दुनिया में प्रमुखता से प्रकाशित हुई थी। खबर के प्रकाशित होने पर छत्तीसगढ़ सरकार तुरंत हरकत में आई और इस पर संज्ञान लेते हुए पुनीत के प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने की बात कही है।
लग गए छह माह
युवा वैज्ञानिक पुनीत सिंह बस्तर के माचकोट वन परिक्षेत्र स्थित कावापाल गांव में पिछले छह माह से डटे हुए हैं। अपने साथ वे डेढ़ करोड़ रुपये लागत की जर्मन मेड माइक्रोहाइड्रो टरबाइन मशीन भी ले गए हैं, जो उनके जर्मनी में किए गए शोध और अटूट देशप्रेम से प्रभावित हो जर्मन सरकार ने उन्हें भेंट स्वरूप भेजी थी।
घने जंगलों के बीच मौजूद बस्तर के इस अंधियारे गांव के दो सौ घरों को युवा वैज्ञानिक पुनीत सिंह रोशन करना चाहते हैं। वे अपनी माइक्रोहाइड्रो टरबाइन मशीन को गांव के किनारे बहते छोटे से जंगली नाले में स्थापित करना चाहते हैं ताकि टरबाइन से बनने वाली बिजली से गांव का अंधेरा दूर हो सके। यह टरबाइन कम प्रवाह वाले जलस्नोत से भी पर्याप्त बिजली बना सकती है। राज्य सरकार से उन्हें इस काम में मदद की दरकार है, लेकिन इस पर ध्यान नहीं दिया गया।
छह माह से जंगल में पड़ी है मशीन
बेंगलुरु में जन्में पुनीत ने दिल्ली आइआइटी से पढ़ाई पूरी करने के बाद जर्मनी में पीएचडी करने के दौरान इस माइक्रोहाइड्रो टरबाइन का सफलतम मॉडल विकसित किया था। इससे प्रभावित हो जर्मन सरकार ने उन्हें जर्मनी में ही रोकना चाहा, मुंहमांगा वेतन देने की पेशकश की, लेकिन उन्होंने इसे यह कहकर ठुकरा दिया कि मैंने यह शोध अपने देश के अंधियारे गांवों को रोशन करने की प्रेरणा लेकर लेकर पूरा किया है। और वे भारत लौट आए।
दैनिक जागरण, नई दुनिया को दिया धन्यवाद
युवा वैज्ञानिक पुनीत सिंह ने दैनिक जागरण और नईदुनिया को धन्यवाद दिया है। छत्तीसगढ़ सरकार से आश्वासन मिलने के बाद उन्होंने कहा, मैंने अपने स्तर पर काफी प्रयास किया लेकिन कामयाबी नहीं मिली मगर दैनिक जागरण और नई दुनिया ने मेरी पहल को देश के सामने रखा, जिससे पूरी उम्मीद है कि इस काम में कामयाबी मिलेगी। उन्होंने कहा कि देश के अंधियारे गांवों को रोशन करना मकसद है।
खबर का हुआ असर
बुधवार को दैनिक जागरण और छत्तीसगढ़ से प्रकाशित होने वाले सहयोगी अखबार नई दुनिया में पुनीत की कहानी सामने आने के बाद में अब राज्य सरकार हरकत में आई है। उसने पुनीत के प्रोजेक्ट की सराहना करते हुए मदद का भरोसा दिया है। छत्तीसगढ़ सरकार के वन मंत्री महेश गागड़ा ने बुधवार को इसकी घोषणा की। उन्होंने बताया कि इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट पर आने वाले शेष खर्च की व्यवस्था सरकार के स्तर पर करने की पूरी कोशिश की जाएगी।
इतना ही नहीं, मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह भी इस युवा वैज्ञानिक से दो अप्रैल को मुलाकात कर प्रोजेक्ट पर बात करेंगे। छत्तीसगढ़ सरकार की पहल के बाद उम्मीद जताई जा रही है कि युवा वैज्ञानिक पुनीत सिंह अपने मकसद में कामयाब होंगे और गांवों को सस्ती बिजली मिलेगी।
पुनीत सिंह के माइक्रोहाइड्रो टरबाइन प्रोजेक्ट से बस्तर में बिजली विस्तार के क्षेत्र में काफी मदद मिलेगी। इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट पर आने वाले शेष खर्च की व्यवस्था सरकार के स्तर पर करने की पूरी कोशिश की जाएगी।
-महेश गागड़ा, वन मंत्री, छत्तीसगढ़ सरकार