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ITI की प्लेसमेंट दर 0.1 से भी कम; आईना दिखाती रहीं रिपोर्ट, आंखें मूंदे रहीं सरकारें

आइटीआइ में सुधारों और प्रशिक्षितों को अधिक से अधिक रोजगार दिलाने को लेकर 2016 में भी एक महत्वपूर्ण रिपोर्ट शारदा प्रसाद कमेटी ने दी। इसने कहा था कि एप्रेंटिसशिप ट्रेनिंग को व्यावसायिक शिक्षा में अनिवार्य किया जाना चाहिए।

By Jagran NewsEdited By: Amit SinghPublished: Wed, 08 Feb 2023 06:59 PM (IST)Updated: Wed, 08 Feb 2023 06:59 PM (IST)
ITI की प्लेसमेंट दर 0.1 से भी कम; आईना दिखाती रहीं रिपोर्ट, आंखें मूंदे रहीं सरकारें
आइटीआइ में प्लेसमेंट दर 0.1 से भी कम (फाइल फोटो)

जितेंद्र शर्मा, नई दिल्ली: औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों से एक वर्ष में 4,14,247 युवाओं ने प्रशिक्षण लिया और नौकरी सिर्फ 413 को मिली। यह दुर्भाग्यपूर्ण आंकड़ा नेशनल काउंसिल फॉर वोकेशनल ट्रेनिंग (एनसीवीटी) के पोर्टल पर दर्ज है, लेकिन वर्ष का उल्लेख नहीं है। खैर, नीति आयोग यह अध्ययन कर चुका है कि वर्तमान में आइटीआइ की प्लेसमेंट दर 0.1 से भी कम है। संस्थानों की इस हालत के लिए सरकारें ही जिम्मेदार हैं।

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अप्रासंगिक हो गए हैं आइटीआइ के पाठ्यक्रम

वर्ष 2001 से लेकर अब तक तमाम आयोग और समितियां अपनी रिपोर्ट से समितियों को आईना दिखाती रही हैं कि आइटीआइ के पाठ्यक्रम अप्रासंगिक हो गए हैं, संस्थानों में ढांचागत सुधार की भी जरूरत है, लेकिन सरकारें आंखें मूंदे बैठी रहीं और बेरोजगारी बढ़ती गई। नीति आयोग की ताजा रिपोर्ट में उल्लेख है कि योजना आयोग (अब नीति आयोग) ने वर्ष 2001 में रोजगार की संभावनाओं के संबंध में टास्क फोर्स बनाया। उसने देशभर में औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों को मजबूत करने की जरूरत बताई। वर्ष 2002 में योजना आयोग ने व्यावसायिक शिक्षा की सुविधा को विस्तार देने पर जोर दिया। उसी वर्ष राष्ट्रीय श्रम आयोग ने सरकार से आग्रह किया था कि औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों के पुनर्गठन और पाठ्यक्रमों को नए सिरे से बनाने की आवश्यकता है।

शिक्षा में गुणात्मक सुधार की सिफारिश

आयोग ने तत्कालीन और भविष्य में बदलने जा रहे श्रम बाजार की जरूरतों का तर्क भी दिया था। इसी तरह योजना आयोग के कौशल विकास एवं प्रशिक्षण संबंधी कार्य समूह (वर्किंग ग्रुप) ने 2006 में सरकार को रिपोर्ट सौंपी कि पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल पर व्यावसायिक शिक्षा में गुणात्मक सुधार की सिफारिश की। 2010 में योजना आयोग द्वारा तमिलनाडु और महाराष्ट्र के आइटीआइ के संबंध में एक रिपोर्ट दी, उसमें स्पष्ट तौर पर कह दिया था कि औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों और उद्योग जगत के बीच खाई काफी चौड़ी हो चुकी है। वहीं, 2012 में एक रिपोर्ट में इंस्टीट्यूट मैनेजमेंट कमेटी बनाने की सिफारिश की। ऐसी ही अध्ययन रिपोर्ट 2018 में आई, जिसमें आइटीआइ की बेहतर निगरानी और क्षमता विकास का सुझाव दिया गया। साथ ही एप्रेंटिसशिप ट्रेनिंग, इंस्टीट्यूट मैनेजमेंट कमेटी, ट्रेनिंग, काउंसिलिंग एंड प्लेसमेंट सेल बनाने सहित श्रम बाजार की जरूरत के अनुसार प्रशिक्षण देने पर बल दिया।

उद्यमिता मंत्रालय ने किए आइटीआइ में सुधार

आइटीआइ में सुधारों और प्रशिक्षितों को अधिक से अधिक रोजगार दिलाने को लेकर 2016 में भी एक महत्वपूर्ण रिपोर्ट शारदा प्रसाद कमेटी ने दी। इसने कहा था कि एप्रेंटिसशिप ट्रेनिंग को व्यावसायिक शिक्षा में अनिवार्य किया जाए। प्रशिक्षणार्थियों को जरूरत अनुसार कौशल मिले और बेहतर हो कि कोर्स के दौरान का कम से कम एक तिहाई समय औद्योगिक परिसर में ही व्यतीत हो। यह सुझावों का लंबा सिलसिला है जो चलता रहा, लेकिन तत्कालीन सरकारों की ओर से औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों के सुधार पर ध्यान ही नहीं दिया गया। हालांकि, अब वर्तमान मोदी सरकार में जरूर कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय ने आइटीआइ में सुधार और नई विधाओं में कौशल विकास की ओर कदम बढ़ाया है।

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