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VIDEO: इसरो ने Cartosat-3 लॉन्च कर रचा एक और इतिहास, सैन्य जासूसी के लिए बेहद अहम

इसरो ने बताया कि कार्टोसैट-3के साथ 13 छोटे अमेरिकी सैटेलाइट को लॉन्च किया गया। इस सैटेलाइट के माध्यम से पृथ्वी की छोटी से छोटी गतिविधियों पर नजर रखी जा सकेगी।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Wed, 27 Nov 2019 07:19 AM (IST)Updated: Wed, 27 Nov 2019 12:42 PM (IST)
VIDEO: इसरो ने Cartosat-3 लॉन्च कर रचा एक और इतिहास, सैन्य जासूसी के लिए बेहद अहम
VIDEO: इसरो ने Cartosat-3 लॉन्च कर रचा एक और इतिहास, सैन्य जासूसी के लिए बेहद अहम

चेन्नई, प्रेट्र। उन्नत श्रेणी के बहुउद्देश्यीय सैटेलाइट कार्टोसैट-3 के साथ भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) 13 छोटे अमेरिकी सैटेलाइट को लॉन्च किया। इस सेटेलाइट के माध्यम से पृथ्वी की छोटी से छोटी गतिविधियों पर नजर रखी जा सकेगी। लॉन्च के 17 मिनट बाद PSLV-C47 ने कार्टोसैट को उसके ऑर्बिट में सफलतापूर्वक प्रक्षेपित कर दिया गया है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने बुधवार को सुबह 9:28 मिनट पर कार्टोसैट-3 को लॉन्च किया।

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इस खास मौके पर इसरो चीफ के. सिवन श्रीहरिकोटा मिशन कंट्रोल कॉम्प्लेक्स में मौजूद रहे। उनके साथ मिशन के इंजीनियर्स और इसरो के बड़े वैज्ञानिक मौजूद थे। कार्टोसैट-3 को भारत की आंख भी कहा जा रहा है, क्योंकि इससे बड़े स्तर पर अंतरिक्ष से पृथ्वी पर मैपिंग की जा सकेगी। 

इसरो के. प्रमुख के सिवन ने कार्टोसैट-3 के सफल प्रक्षेपण पर खुशी जताई है। उन्होंने कहा है कि मुझे खुशी है कि पीएसएलवी-सी 47 ने 13 अन्य उपग्रहों के साथ सफलतापूर्वक कक्षा में स्थापित किया। उन्होंने आगे बताया कि कार्टोसैट-3 उच्चतम रिज़ॉल्यूशन वाला नागरिक उपग्रह है। साथ ही, कहा कि हमारे पास मार्च तक 13 अंतरिक्ष मिशन हैं, जिनमें 6 बड़े वाहन मिशन और 7 सैटेलाइट मिशन शामिल हैं।

इसरो ने बताया कि श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर के दूसरे लॉन्च पैड से आज सुबह 9.28 बजे कार्टोसैट-3 का प्रक्षेपण हुआ। इस श्रृंखला का यह नौवां सैटेलाइट है। एजेंसी ने बताया कि पीएसएलवी-सी 47 मिशन के लॉन्च के लिए 26 घंटे का काउंट डाउन मंगलवार सुबह 7.28 बजे शुरू हुआ था।

पीएसएलवी-सी47 रॉकेट अपने साथ कार्टोसैट-3 और अमेरिका के 13 छोटे व्यावसायिक सैटेलाइट को लेकर उड़ान भरा है। कार्टोसैट-3 का कैमरा इतना ताकतवर है कि वह अंतरिक्ष से जमीन पर एक फीट से भी कम की ऊंचाई तक की स्पष्ट तस्वीरें ले सकता है।

कार्टोसैट-3 का कुल वजन लगभग 1,625 किलोग्राम है। यह सैटेलाइट शहर में नियोजन, ग्रामीण क्षेत्रों में ढांचागत विकास और संसाधनों की मैपिंग, तटवर्ती क्षेत्रों में भू उपयोग इत्यादि कामों में बहुत मददगार होगा।

इसरो व्यावसायिक समझौते के तहत इस सैटेलाइट के साथ 13 अमेरिकी व्यावसायिक नैनो सैटेलाइट को भेजा है। इन अमेरिकी सैटेलाइटों में फ्लॉक-4पी और मेशबेड नामक सेटेलाइट भी शामिल है। फ्लॉक-पी4 पृथ्वी पर नजर रखेगा, जबकि, मेशबेड संचार परीक्षण करेगा।

कार्टोसैट-3 पांच साल तक काम करेगा। जुलाई में मून मिशन चंद्रयान-2 के प्रक्षेपण के बाद इसरो यह पहला सैटेलाइट लॉन्च किया गया।

पीएम मोदी ने इसरो की इस कामयाबी पर दी बधाई

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसरो की इस कामयाबी पर उन्हें बधाई दी है। पीएम मोदी ने ट्वीट करके कहा है कि मैं पूरे दिल से इसरो को बधाई देता हूं। पीएसएलवी-सी 47 के स्वदेशी कार्टोसैट -3 उपग्रह और अमेरिका के एक दर्जन से अधिक नैनो उपग्रहों का सफल प्रक्षेपण किया गया। उन्होंने एक और ट्वीट करके कहा कि उन्नत कार्टोसैट -3 हमारी उच्च संकल्प इमेजिंग क्षमता को बढ़ाएगा। इसरो ने एक बार फिर देश को गौरवान्वित किया है।

वहीं लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने भी कॉर्टोसैट के सफल लॉन्चिंग पर इसरो को बधाई दी। उन्होंने कहा कि मैं पीएसएलवी-सी 47 के स्वदेशी कार्टोसैट -3 उपग्रह और अमेरिका के एक दर्जन से अधिक नैनो उपग्रहों को ले जाने के लिए इसरो को बधाई देता हूं। उन्नत तकनीकी का कॉर्टोसैट -3 हमारी हाई रिज्यूलेशन इमेजिंग क्षमता को बढ़ाएगा।

कार्टोसैट-3 के लॉन्च से पहले तिरुपति गए थे इसरो प्रमुख

देश के इमेजिंग सैटेलाइट कार्टोसैट-3 के लॉन्च से पहले इसरो प्रमुख के. सिवन तिरुमला की पहाड़ियों पर स्थित भगवान वेंकटेश्वर के दरबार में पहुंचे। शिवन ने भगवान वेंकटेश्वर की पूजा अर्चना की।

बाद में संवाददाताओं से बातचीत में सिवन ने कहा कि चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर ठीक तरह से काम कर रहा है और चंद्रमा के बारे में अहम सूचनाएं भेज रहा है। बता दें कि चंद्रयान-2 को सात जुलाई को लॉन्च किया गया था। उसमें लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान भी थे। लैंडर को चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करनी थी, लेकिन आखिरी वक्त में उसका भू कक्षा से संपर्क टूट गया और उसकी हार्ड लैंडिंग हुई थी और दोनों ने काम करना बंद कर दिया।


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