जानें, फ्रेंच गुयाना से छोड़े जाने वाले भारत के सबसे वजनी जीसैट 11 की प्रमुख बातें
अगर 5,845 किग्रा वजनी यह उपग्रह अंतरिक्ष में सही सलामत स्थापित हो जाता है तो देश के टेलीकॉम सेक्टर खासकर ग्रामीण भारत के लिए यह वरदान साबित होगा।
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। भारत में इंटरनेट की गति बढ़ाने के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र (इसरो) अब तक का खुद से निर्मित सबसे भारी उपग्रह जीसैट-11 अंतरिक्ष में भेजा गया। दक्षिण अमेरिका के फ्रेंच गुयाना स्पेस सेंटर से फ्रांस के एरियन-5 रॉकेट की मदद से इसे लांच किया गया। अगर 5,845 किग्रा वजनी यह उपग्रह अंतरिक्ष में सही सलामत स्थापित हो जाता है तो देश के टेलीकॉम सेक्टर खासकर ग्रामीण भारत के लिए यह वरदान साबित होगा।
यहां किया जाएगा स्थापित
शुरुआत में उपग्रह भू-समतुल्यकालिक स्थानांतरण कक्षा में ले जाया जाएगा और उसके बाद उसे भू-स्थैतिक कक्षा में स्थापित किया जाएगा।
गजब की क्षमता
उच्च क्षमता वाला यह थ्रोपुट संचार उपग्रह हर सेकंड 100 गीगाबाइट से ऊपर की ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी देगा। साथ ही यह देश में उन्नत दूरसंचार और डीटीएच सेवाएं भी प्रदान करेगा। यह देश में पहले से मौजूद इनसैट या जीसैट सेटेलाइट सिस्टम की तुलना में यूजर्स को ज्यादा स्पीड देगा। यह नई पीढ़ी के एप्लीकेशन को प्रदर्शित करने के लिए प्लैटफॉर्म भी उपलब्ध कराएगा।
पहले किया जाना था लांच
इसे 25 मई को लांच किया जाना था। इसके टाले जाने का कारण यह है कि कुछ दिन पहले ही इसरो का बनाया हुआ उपग्रह जीसैट-6ए लांच के बाद अंतरिक्ष में खो गया था, इसरो का उससे संपर्क टूट गया था। जीसैट- 6ए जैसे कुछ पुर्जे जीसैट-11 में भी लगे हैं। ऐसे में इसरो उसको दोबारा टेस्ट करना चाहता था ताकि इसमें कोई कमी न हो और ये फेल ना हो।
दो और उपग्रह किए जाएंगे स्थापित
इसरो के मुताबिक देश में इंटरनेट सेवा को बेहतर बनाने के लिए चार उच्च क्षमता वाले थ्रोपुट उपग्रह अंतरिक्ष में स्थापित किए जाने हैं। जो हर सेकंड 100 गीगाबाइट से ऊपर की ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी देंगे। चार में से दो उपग्रह जीसैट-19 और जीसैट 29 पहले ही लांच हो चुके हैं।