आइएस के खतरे से अभी महफूज नहीं दुनिया, इन देशों में पैर जमाने की है कोशिश
आइएस से सबसे बड़ा खतरा इराक और सीरिया से भागकर पूरी दुनिया में हजारों की संख्या में फैल गए उसके लड़ाके और उसकी कट्टर विचारधारा है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। इराक और सीरिया के लोगों को भले ही इस्लामिक स्टेट के आतंक से मुक्ति मिल गई है, लेकिन दुनिया पर इसका खतरा अभी खत्म नहीं हुआ है। आइएस अफगानिस्तान और पाकिस्तान के अलावा भारत के कश्मीर में भी पांव जमाने की कोशिश में जुटा है। इसके साथ ही आइएस की विचारधारा से प्रेरित कट्टरपंथियों के 'वुल्फ अटैक' (अकेले आतंकवादी का हमला) से निपटने का तरीका अमेरिका, यूरोप समेत दुनिया के कई देशों को समझ नहीं आ रहा है।
सीरिया और इराक के बाहर अफ्रीकी देशों में आइएस की पैर जमाने की कोशिशें कामयाब नहीं हो पाई है। वहां अब भी अल कायदा का दबदबा कायम है। लेकिन अफगानिस्तान और पाकिस्तान में अल कायदा के कमजोर होने के बाद आइएस को नया मौका मिल गया है। पाकिस्तान के बलूचिस्तान के दुर्गम इलाकों में आइएस के ठिकाना बनाने की खुफिया रिपोर्टे अब आम हो गई है। यही नहीं, गाहे-बगाहे आइएस के आतंकी हमले की खबरें भी आने लगी है। सबसे बड़ी बात यह है कि पाकिस्तान में शरिया कानून लागू करने का सपना देखने वाले आतंकी संगठनों और आइएस के बीच नया गठजोड़ भी सामने आ रहा है।
वहीं अफगानिस्तान में आइएस को वहां के मूल आतंकी संगठन तालिबान से कड़ी टक्कर मिल रही है। तालिबान और अफगानिस्तान के नेतृत्व में नाटो की सैन्य कार्रवाई के बावजूद आइएस वहां बड़े इलाके में पैर जमाने में सफल रहा है। पिछले साल अमेरिका की ओर से गिराया गया सबसे बड़ा बम 'मदर आफ आल बम' भी आइएस आतंकियों के ठिकानों पर ही था। वहीं फिलीपींस में भी सरकार आइएस के फैलते प्रभाव को रोकने के लिए जूझ रही है।
लेकिन आइएस से सबसे बड़ा खतरा इराक और सीरिया से भागकर पूरी दुनिया में हजारों की संख्या में फैल गए उसके लड़ाके और उसकी कट्टर विचारधारा है। यूरोप और अमेरिका आइएस के अकेले आतंकवादी के आतंकी हमलों को झेल चुका है। वहीं भारतीय सुरक्षा एजेंसियां भले ही देश में आइएस के वजूद से इनकार करती रही हो, लेकिन कश्मीर में विरोध प्रदर्शनों के दौरान आइएस का झंडा लहराना आम बात हो गई है। यही नहीं, पिछले दिनों अल करार और निदा ए हक नाम के दो आतंकी संगठनों ने वीडियो जारी कर कश्मीर में आजादी की लड़ाई इस्लामिक स्टेट के झंडे के तले लड़ने का आह्वान किया था। इसमें कश्मीर में सक्रिय पाक समर्थित आतंकी गुटों की आलोचना भी की गई थी।