आइएसआइएस ने पेश किया नया दावा, कश्मीर में बना रहा खिलाफत; बढ़ सकती है सरकार की टेंशन
भारतीय सुरक्षा एजेंसियां पहले से ही हिंसा से प्रभावित कश्मीर राज्य में आइएस के बढ़ते प्रभाव से चिंतित रही है। आइएस के इस दावे को लेकर एजेंसियां बहुत गंभीरता नहीं दिखा रही हैं।
नई दिल्ली [जयप्रकाश रंजन]। मध्य पूर्व से उखड़ने के बाद दुनिया भर में अपनी पैर नए सिरे से जमाने की कोशिश में जुटे खूंखार इस्लामिक संगठन आइएसआइएस ने कश्मीर को लेकर एक नया दावा पेश किया है। आइएसआइएस का दावा है कि उसने कश्मीर को अपना नया अड्डा यानी खिलाफत बनाया है। आइएस का यह दावा तब आया है जब एक दिन पहले ही भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने कश्मीर (शोपियां) में इस आतंकी संगठन से प्रभावित अंतिम आतंकी इशाक अहमद सोफी को मार गिराया है।
भारतीय सुरक्षा एजेंसियां पहले से ही हिंसा से प्रभावित कश्मीर राज्य में आइएस के बढ़ते प्रभाव से चिंतित रही है। लेकिन, आइएस के इस नये दावे को लेकर भारतीय एजेंसियां फिलहाल बहुत गंभीरता नहीं दिखा रही हैं। सुरक्षा एजेंसियों के सूत्रों का कहना है कि श्रीलंका में हिंसा को अंजाम देने के बाद यह संगठन कश्मीर के जरिए अब अंतरराष्ट्रीय मीडिया में स्थान पाने के लिए ऐसे बयान दे रही है।
शनिवार को दोपहर बाद इंटरनेट और सोशल साइट्स पर आइएसआइएस की गतिविधियों परनजर रखने वाले अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों ने कश्मीर को लेकर उसके दावे को सार्वजनिक किया। यह दावा आइएसआइएस की सूचना देने वाली अमाक न्यूज एजेंसी ने दिया है। साथ ही माओता न्यूज एजेंसी और निदा-ए-हक नाम की एक उर्दू एजेंसी ने भी यही सूचना दी है।
इन दोनों को भी आइएस से जुड़ा हुआ बताया जाता है। कुछ विशेषज्ञों ने यह बताया है कि एक अन्य सोशल साइट्स टेलीग्राम में आइएस के चैट समूहों में भी इसकी जानकारी दी गई है। वैसे यह पहला मौका नहीं है जब आइएस की तरफ से कश्मीर में अपनी पैठ बनाने का दावा नहीं किया गया हो। तकरीबन तीन वर्ष पहले ही उसने इस्लामिक एस्टेट इन जम्मू व कश्मीर आइएसजेके) बनाने का दावा किया था।
वर्ष 2017 में जब भारतीय सुरक्षा बलों ने आइएस के तीन आतंकियों को एक साथ मार गिराया था तब उनके पास आइएसजेके के बैनर व कुछ कागजात मिले थे। उसके बाद से ही भारतीय सुरक्षा एजेंसियां कश्मीर में आइएस की धमकी को गंभीरता से लेना शुरु किया।
सुरक्षा एजेंसियों की तरफ से इस बारे में सार्वजनिक तौर पर कुछ नहीं बोला गया है लेकिन एजेंसियों के सूत्रों का कहना है कि इस्लामिक एस्टेट के बचे खुचे नुमाइंदों की मंशा कश्मीर में नए आतंकियों को खड़ा करने की भी हो सकती है। साथ ही वे वैश्विक स्तर पर यह भी दिखाना चाहते हैं कि आइएस अभी पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है। श्री लंका में आइएस से प्रभावित कुछ आतंकियों ने जिस तरह से नरसंहार किया उसका भी फायदा उठाने की कोशिश इसके बचे खुचे आतंकियों ने की है।
सनद रहे कि श्री लंका में 21 अप्रैल, 2019 को किये गये हमले के बाद आइएस के अबु बकर अल बगदादी का वीडियो भी सामने आया था जिसमें उसने इसका श्रेय लिया था। सुरक्षा एजेंसियों की तरफ से आइएस के नये दावे को बहुत गंभीरता से नहीं लिये जाने के बावजूद इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि पिछले कुछ वर्षो से यह संगठन कश्मीर में अपनी पहुंच लगातार बढ़ाने की कोशिश में है।
शुक्रवार को मारे गये शोपियां में मारे गये आतंकी की शव यात्रा में भी आइएस के कई झंडे दिखाई दिए हैं। इसका वीडियो भी सोशल मीडिया पर चल रहा है। यही नहीं श्री लंका नरसंहार की जांच करने वाले वहां के अधिकारियों ने यहां तक दावा किया है कि इसकी साजिश रचने वाला प्रमुख आतंकी ने कश्मीर की यात्रा की थी।
सनद रहे कि वर्ष 2017 में आइएस का अंतिम गढ़ मोशुल (इराक) में गिरा दिया गया था। वहां से आइएस के हजारों आतंकियो को मार गिराया गया था जबकि कुछ आतंकी बाहर भी भागने में सफल रहे थे। उसके बाद से आइएस एक बार तुर्की में और एक बार केंद्रीय अफ्रीका में अपना नया अड्डा बनाने की घोषणा कर चुका है लेकिन वे सब गलत साबित हुए हैं।
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