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स्कूल न खुलने की वजह से क्या बच्चों की शिक्षा हो रही है प्रभावित? Koo App पर जरूर साझा करें अपने विचार

COVID-19 का प्रभाव हर जगह था जिसके परिणामस्वरूप स्कूल और अन्य शैक्षणिक संस्थान बंद हो गए थे और अब भी कई जगह बंद हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या स्कूलों को खोलने के बारे में एक संतुलित तर्कपूर्ण दृष्टिकोण को ध्यान में रखा जाना चाहिए?

By TilakrajEdited By: Published: Mon, 13 Dec 2021 10:47 AM (IST)Updated: Mon, 13 Dec 2021 10:47 AM (IST)
स्कूल न खुलने के मामले की गंभीरता को हर किसी को समझना चाहिए

COVID-19 महामारी ने दुनिया भर में करोड़ों लोगों का जीवन प्रभावित किया है। लोगों के स्वास्थ्य, व्यापार और नौकरियों पर इसका सबसे ज्यादा असर देखने को मिला है। लेकिन एक और चीज पर इसका काफी असर दिखाई दिया है, जिसके बारे में कम चर्चा की जाती है, और वो है बच्चों की शिक्षा। COVID-19 का प्रभाव हर जगह था, जिसके परिणामस्वरूप स्कूल और अन्य शैक्षणिक संस्थान बंद हो गए थे और अब भी कई जगह बंद हैं। इस दौरान बच्चों की शिक्षा के साथ-साथ उनका शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य भी प्रभावित हुआ है।

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उधर, बच्चों के माता-पिता इस बात को लेकर काफी चिंतित हैं कि कब तक महामारी की वजह से उनके बच्चों का विकास प्रभावित होगा। हालांकि, ऑनलाइन पढ़ाई चल रही है, लेकिन अभिभावकों का मानना है कि स्कूल में जो माहौल बच्चों को मिलता है, वह घर पर हीं नहीं मिल पाता है। इसके अलावा कई छात्र ऐसे भी हैं, जो रोजाना ऑनलाइन क्लास लेने में सक्षम नहीं हैं या उनके पास संसाधन नहीं हैं। कई छात्र ऑनलाइन कक्षाओं के लिए आवश्यक गैजेट पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। उधर, अब तक ब्लैकबोर्ड, चाक, किताबों के जरिए छात्रों को कॉन्सेप्ट समझाने वाले शिक्षकों के लिए भी डिजिटल क्लासेज नई थीं। लेकिन अच्छी बात यह है कि वे इन नए तरीकों को अपना रहे हैं। ऑनलाइन क्लास या डिजिटल शिक्षा पर आपकी क्या राय है? Koo App पर अपने विचार जरूर साझा करें।

जैसा कि हम जानते हैं, व्यक्तिगत रूप से स्कूल का वातावरण बच्चों को मानसिक और शारीरिक विकास में मदद करता है और इतने लंबे समय तक स्कूल बंद रहने के कारण, कई बच्चे सामाजिक तौर-तरीके भूलते जा रहे हैं, जो उन्हें अन्य बच्चों और शिक्षकों से स्कूल में जाने पर मिलता है। स्कूल न खुलने की वजह से उनके स्किल में जो निखार चाहिए, वह उन्हें नहीं मिल पा रहा है, जिससे उनका विकास प्रभावित होगा। इसका सबसे ज्यादा असर उन गरीब और ग्रामीण क्षेत्र से आने वाले छात्रों पर देखने को मिल रहा है, जिनके घर में शिक्षा का माहौल नहीं है।

स्कूल न खुलने के मामले की गंभीरता को हर किसी को समझना चाहिए। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या स्कूलों को खोलने के बारे में एक संतुलित तर्कपूर्ण दृष्टिकोण को ध्यान में रखा जाना चाहिए? उदाहरण के लिए- सभी छात्रों, शिक्षकों और संबद्ध कर्मचारियों के लिए टीकाकरण कार्यक्रम होना चाहिए, वैकल्पिक दिनों में कक्षाएं आयोजित की जानी चाहिए, बच्चे जब स्कूल आएं तब थर्मल स्क्रीनिंग और RT-PCR टेस्ट की सुविधा होनी चाहिए। वहीं, दूसरे पहलूओं पर विचार करें तो माता-पिता को जल्दबाजी में कोई निर्णय लेने के बजाय कुछ समय और इंतजार करना चाहिए और स्थिति पूरी तरह से सुधरने के बाद बच्चों को स्कूल भेजने पर विचार करना चाहिए।

स्कूल न खुलने और प्रभावित हो रही बच्चे की शिक्षा के संबंध में आपकी क्या राय है? आपके अनुसार स्कूल खोलने के लिए किस तरह की नीतियां अपनाई जानी चाहिए? शिक्षा में डिजिटल टेक्नोलॉजी की क्या भूमिका है? इस दौर में छात्र और शिक्षक के बीच गुणवत्तापूर्ण संबंध को कैसे बढ़ाया जाए आदि जैसे गंभीर मुद्दों पर अपने विचार Koo App पर जरूर साझा करें। बता दें कि Koo App भारत की आवाज बन चुका है। इस स्वदेशी ऐप पर लोग ट्रेडिंग मुद्दों पर अपने विचार जरूर जाहिर करते हैं। विभिन्न मुद्दों पर आप भी इस ऐप पर अपने विचार दें।

आज कोरोना और बच्चों की शिक्षा से जुड़ी खबरों से खुद को अपडेट रखना बहुत ही जरूरी है, इसलिए Koo App पर Dainik Jagran को फॉलो करना न भूलें।

लेखक- शक्ति सिंह

Note - यह आर्टिकल ब्रांड डेस्‍क द्वारा लिखा गया है।


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