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चीन के दोस्‍त ऐसे या तो प्रतिबंध के शिकार या आतंक फैलाने के लिए बदनाम

चीन ने बीते कुछ वर्षों में उन देशों को अपने काफी करीब किया है जिनसे अमेरिका का छत्‍तीस का आंकड़ा है। इसमें तीन देश बेहद खास हैं।

By Kamal VermaEdited By: Published: Wed, 22 Jul 2020 10:57 AM (IST)Updated: Wed, 22 Jul 2020 11:08 AM (IST)
चीन के दोस्‍त ऐसे या तो प्रतिबंध के शिकार या आतंक फैलाने के लिए बदनाम
चीन के दोस्‍त ऐसे या तो प्रतिबंध के शिकार या आतंक फैलाने के लिए बदनाम

नई दिल्‍ली (ऑनलाइन डेस्‍क)। चीन ने जहां दुनिया के बड़े देशों को अपना दुश्‍मन बना रखा है वहीं उसके करीबी और चहेते दोस्‍तों में वो देश शामिल हैं जो या तो संयुक्‍त राष्‍ट्र द्वारा प्रतिबंधित हैं या उन पर अमेरिका ने किसी वजह से प्रतिबंध लगाया हुआ है और या फिर आतंक फैलाने के नाम पर पूरी दुनिया में बदनाम हैं। प्रतिबंध की ही बात करें तो वर्तमान में चीन पर ही अमेरिका ने कई सारे प्रतिबंध लगाए हुए हैं। बीते कुछ समय में ही चीन और अमेरिका में तनाव इस कदर बढ़ चुका है कि दोनों ही देश एक-दूसरे पर प्रतिबंधों की तलवार चलाने से बाज नहीं आ रहे हैं। आइये तीन ऐसे देशों के बारे में आपको जानकारी देते हैं जो प्रतिबंध या बदनामी झेल रहे हैं और चीन के दोस्‍त कहलाते हैं।

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ईरान

ईरान और अमेरिका के बीच दशकों से टकराव रहा है। ये टकराव ईरान में हुई इस्‍लामिक क्रांति से शुरू हुआ था। इसके बाद से इसमें कई उतार-चढ़ाव आए, लेकिन इनके बावजूद इसमें कोई कमी नहीं आई। बीते एक दशक की बात ईरान ने अपने परमाणु कार्यक्रम को जैसे-जैसे गति देनी शुरू की वैसे-वैसे ही इन दोनों देशों के संबंधों में कड़वाहट बढ़ती ही चली गई। जुलाई 2015 में दोनों देशों के बीच वियना में परमाणु समझौता हुआ, जिसको तत्‍कालीन अमेरिकी राष्‍ट्रपति बराक ओबामा ने बड़ी उपलब्धि करार दिया था। इस पर अमेरिका, फ्रांस, रूस, ब्रिटेन, जर्मनी, चीन के अलावा यूरोपीय संघ की तरफ से भी हस्‍ताक्षर किए गए थे। इसको नाम दिया गया JCOPA (Joint Comprehensive Plan of Action)। 2015 में अमेरिका की सत्‍ता में परिवर्तन हुआ और डोनाल्‍ड ट्रंप राष्‍ट्रपति बने।

ट्रंप ने इस डील को अमेरिका के खिलाफ बताते हुए मई 2018 में इससे हाथ खींच लिए और इस समझौते को रद कर दिया। 2019 में ईरान ने भी इसको खारिज कर दिया और दोबारा अपने परमाणु कार्यक्रम की तरफ चल निकला। अमेरिका ने ईरान पर कई प्रतिबंध लगाए इनमें किसी भी देश से उसके साथ हुए व्‍यापारिक करार भी शामिल थे। इसकी वजह से ईरान से तेल के सबसे बड़े खरीददार चीन और भारत को भी कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ा। हालांकि, भारत ने समय रहते अपने लिए तेल की खरीद के लिए दूसरे देशों से सौदा तय कर लिया। इस बीच अमेरिका और ईरान में तनाव इस कदर बढ़ा कि अमेरिका ने अपने जंगी जहाजों को ईरान की तरफ कूच करने का आदेश दे दिया।

इसी वर्ष जनवरी में अमेरिका ने ईरान के दूसरे सबसे बड़े लीडर मेजर जनरल कासिम सुलेमानी को बगदाद में एक ड्रोन हमले में मार गिराया था। इसके बाद तनाव फिर चरम पर पहुंचा। अमेरिका लगातार ईरान पर प्रतिबंधों को कड़ा करता गया। कुछ ही दिन पहले प्रतिबंधों के बावजूद चीन ने अमेरिका से बदला लेने के लिए और उसकी वैश्विक साख को हानि पहुंचाने के लिए ईरान से रेल मार्ग तैयार करने का एक बड़े समझौते पर साइन किया। ये समझौता ईरान के चाबहार पोर्ट से संबंधित है। इसको विकसित करने में भारत अपना महत्‍वूपूर्ण योगदान दे रहा है।

उत्‍तर कोरिया

वर्ष 1950-53 के बीच हुए कोरियाई युद्ध के बाद से ही उत्‍तर कोरिया और अमेरिका के संबंध काफी तनावपूर्ण रहे हैं। उत्‍तर कोरिया के मौजूदा तानाशाह किम जोंग उन के पिता और दादा का भी अपने देश और दुनिया के प्रति एक समान ही रवैया रहा था। उत्‍तर कोरिया में किम के सत्‍ता संभालने के बाद से ही देश को परमाणु ताकत बनाने और अमेरिका को अपना सबसे बड़ा दुश्‍मन करार दिया गया था। किम ने लगातार इस दिशा में काम किया और लगातार कई मिसाइलों का परीक्षण किया। वर्ष 2017 में तो उत्‍तर कोरिया ने लगभग हर माह ही कम या अधिक दूरी की मिसाइलों का परीक्षण किया था। इसी दौरान उसने परमाणु परीक्षण भी किया, जिसको उसने सफल बताया था।

रॉयटर्स की एक खबर के मुताबिक, मौजूदा तानाशाह किम के ही शासन में सौ से अधिक परीक्षण किए गए हैं। 2018 में अमेरिका और उत्‍तर कोरिया के बीच सिंगापुर सम्‍मेलन हुआ। इसके बाद करीब अब तक तीन बार इन दोनों देशों के बीच वार्ता हुई है, लेकिन इनका कोई नतीजा नहीं निकला। अब उत्‍तर कोरिया ने साफ कर दिया है कि अमेरिका से बातचीत आगे बढ़ाने की उसके पास कोई वजह नहीं है। हाल ही में किम की तरफ अपने परमाणु कार्यक्रम को दोबारा शुरू करने की बात भी कही गई है। उत्‍तर कोरिया पर लगे प्रतिबंधों में भी कोई कमी नहीं आई है। उत्‍तर कोरिया के शासक अपने क्रूर और तानाशाही रवैये के लिए पूरी दुनिया में बदनाम हैं।

पाकिस्‍तान

पाकिस्‍तान पूरी दुनिया में आतंकवाद की फैक्‍ट्री के तौर पर बदनाम है। पाकिस्‍तान में ऐसे कई संगठन और शख्‍स हैं, जिनको अमेरिका और संयुक्‍त राष्‍ट्र ने प्रतिबंधित किया हुआ है। भारत में आतंकियों को सीमा पार करवाकर बड़े पैमाने पर हमले करवाना यहां की सरकार और सेना की रणनीति का हिस्‍सा रहा है। दुनिया के कई राष्‍ट्र पाकिस्‍तान को आतंकवाद फैलाने के लिए जिम्‍मेदार मानता है। यहां से आतंकी प्रशिक्षण लेकर दुनिया के कई देशों में आतंक फैलाते हैं। अलकायदा का चीफ ओसामा बिन लादेन भी पाकिस्‍तान में ही मारा गया था। उसके खिलाफ चलाए गए अमेरिकी ऑपरेशन को यहां के कट्टरपंथी मौलवियों और राजनेताओं ने अंतरराष्‍ट्रीय नियमों का उल्‍लंघन बताया था। तन इतना ही नहीं इस ऑपरेशन में जिसने अमेरिका की मदद की उस डॉक्‍टर के खिलाफ कई आरोप लगाकर पाकिस्‍तान ने आज तक जेल में डाला हुआ है। चीन लंबे समय से पाकिस्‍तान का साथी रहा है। चीन यहां पर अरबों रुपये की लागत से आर्थिक गलियारा भी बना रहा है। इसके लिए चीन ने पाकिस्‍तान को करोड़ों डॉलर का कर्ज भी दे रखा है।

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