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एसईजेड में निजी ट्रस्टों के निवेश को मिल सकती है मंजूरी, कैबिनेट में पेश हो सकता है प्रस्ताव

वर्तमान में देश में 373 एसईजेड हैं जिनमें से 230 में कामकाज हो रहा है। इनमें करीब 20 लाख लोगों को रोजगार मिला हुआ है।

By Ravindra Pratap SingEdited By: Published: Fri, 08 Feb 2019 09:37 PM (IST)Updated: Fri, 08 Feb 2019 09:37 PM (IST)
एसईजेड में निजी ट्रस्टों के निवेश को मिल सकती है मंजूरी, कैबिनेट में पेश हो सकता है प्रस्ताव

नितिन प्रधान, नई दिल्ली। देश में विशेष निर्यात जोन (एसईजेड) के विकास की रफ्तार बढ़ाने को सरकार इनमें निवेश के नियमों को और उदार बनाने जा रही है। इस दिशा में निजी ट्रस्टों को एसईजेड में निवेश की इजाजत मिल सकती है। वित्त मंत्रालय इस आशय का प्रस्ताव जल्दी ही कैबिनेट की मंजूरी के लिए पेश किया जा सकता है।

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सरकार देश के निर्यात वृद्धि में एसईजेड की भूमिका को अहम मान रही है। इसलिए सरकार का पूरा जोर देश में एसईजेड के विकास को रफ्तार देने पर है। लेकिन इस क्षेत्र में निवेश एक बड़ी बाधा बनी हुई है। निजी क्षेत्र लगातार एसईजेड में निवेश के नए विकल्प खोजने का आग्रह कर रहा था।

सूत्रों के मुताबिक निवेश के वैकल्पिक स्त्रोत के तौर पर निजी ट्रस्ट को काफी अहम माना जा रहा है। वित्त मंत्रालय भी इस पक्ष में है कि एसईजेड में निवेश के लिए निजी ट्रस्टों को इजाजत दे दी जाए। इस मसले पर राय लेने के लिए वित्त मंत्रालय ने एक प्रस्ताव कानून मंत्रालय को भेजा था। सूत्र बताते हैं कि कानून मंत्रालय ने वित्त मंत्रालय के इस प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी है। मंत्रालय के मुताबिक निजी ट्रस्टों को देश के एसईजेड सेक्टर में निवेश की अनुमति दी जा सकती है।

सूत्र बताते हैं कि इस आशय के कैबिनेट नोट को भी कानून मंत्रालय ने स्वीकृति दे दी है। अब वित्त मंत्रालय इस प्रस्ताव को कैबिनेट की मंजूरी के लिए भेजेगा। माना जा रहा है कि आम चुनाव की घोषणा होने से पहले कैबिनेट इस प्रस्ताव को मंजूरी दे सकती है।

वर्तमान में देश में 373 एसईजेड हैं जिनमें से 230 में कामकाज हो रहा है। इनमें करीब 20 लाख लोगों को रोजगार मिला हुआ है। सबसे ज्यादा 239 एसईजेड पांच राज्यों तेलंगाना, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में हैं। मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में एसईजेड से निर्यात की हिस्सेदारी बीते चार साल में आठ लाख करोड़ रुपये की रही है।

सरकार ने भारत फोर्ज के चेयरमैन बाबा कल्याणी के नेतृत्व में एक समूह का गठन किया था जिसे एसईजेड के लिए नई नीति के लिए सुझाव देने थे। इस समूह ने पिछले साल अपनी रिपोर्ट दी थी और उसमें निवेश के वैकल्पिक स्त्रोत तलाशने का सुझाव दिया था।


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