किसानों को फसल बीमा भुगतान में देरी पर बीमा कंपनियों को देना होगा 12 फीसद ब्याज
फसल बीमा योजना के तहत सरकार ने किसानों को मुआवजा देने की प्रक्रिया को काफी आसान बनाया है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। किसानों को तय समय से फसल बीमा भुगतान देने में अगर बीमा कंपनियां देरी करेंगी तो उन्हें किसानों को 12 फीसद ब्याज के साथ भुगतान करना होगा। देरी अगर राज्य सरकार की तरफ से होती है तो ब्याज का भुगतान राज्य सरकार को करना होगा। इस बात की घोषणा केंद्रीय कृषि व किसान कल्याण मंत्री राधा मोहन सिंह ने लोकसभा में की।
सदन में एक प्रश्न के जवाब में कृषि मंत्री ने कहा कि फसल बीमा योजना के तहत सरकार ने किसानों को मुआवजा देने की प्रक्रिया को काफी आसान बनाया है। किसानों को फसल बीमा योजना के तहत मुआवजा मिलने में देरी न हो इसके लिए अब सरकार ने खास प्रयास शुरू किये हैं। अगर बीमा कंपनियां किसानों के दावे का भुगतान दो महीने की समय सीमा में नहीं करती हैं तो उन्हें किसानों को 12 फीसद की दर से मुआवजे की राशि पर ब्याज भी अदा करना होगा। सिंह ने कहा कि किसानों को फसल के प्रत्येक स्तर पर बीमा कवर देने का फैसला हुआ है। इसमें फसल की कटाई के बाद के जोखिमों को भी शामिल किया गया है।
कृषि मंत्री ने कहा कि राजग सरकार के आने से पूर्व जितनी मौसम आधारित फसल बीमा योजनाएं चल रही थीं, नई स्कीम में उन सभी की कमियों को दूर किया गया है। इन योजनाओं में प्रीमियम की राशि बहुत ज्यादा होने के कारण और फसल बीमा राशि के भुगतान की प्रक्रिया बहुत लंबी होने की वजह से किसानों को यथोचित लाभ नहीं मिल पाता था।
मौजूदा सरकार की प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में किसानों के लिए न्यूनतम बीमा का प्रावधान किया गया है। कृषि मंत्री ने कहा कि देश में 10 करोड़ किसानों ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत बीमा कवर लिया है। इनमें से अब तक पांच करोड़ अस्सी लाख किसान बीमा योजना का लाभ ले चुके हैं। सिंह ने बताया कि छह करोड़ रुपये के किसानों के प्रीमियम के बदले हमने 26 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा फसल बीमा राशि का भुगतान किया है।