दुनिया के 40 देश इंदौर की तर्ज पर करेंगे सफाई, जानिए- क्या है प्लान
जो घोषणा-पत्र जारी किया है, 2030 तक उसके पालन पर समय-समय पर चर्चा होगी और यह 'इंदौर डिक्लेरेशन' के नाम से जाना जाएगा।
इंदौर (नईदुनिया)। संयुक्त राष्ट्र (यूनाइटेड नेशंस) की आठवीं 'रीजनल 3 आर फोरम इन एशिया एंड द पेसिफिक' कॉन्फ्रेंस के तीसरे दिन बुधवार को महत्वाकांक्षी 'इंदौर घोषणा पत्र' जारी किया गया। लंबी बहस के बाद 11 संकल्पों को अंतिम रूप दिया गया। बुधवार तक 17 देश और भारत के 16 शहर घोषणा-पत्र पर हस्ताक्षर कर चुके थे। सबसे पहले इंदौर की महापौर ने हस्ताक्षर किए। इस पर कुल 120 महापौरों के हस्ताक्षर होंगे।
यूनाइटेड नेशंस के प्रतिनिधि सीआरसी मोहंती ने बताया कि 120 महापौरों और देशों के प्रतिनिधियों की सहमति से ड्राफ्ट बनाया गया, जिसे तैयार करने में सभी ने अपनी तरफ से सहयोग किया। जो घोषणा-पत्र जारी किया है, 2030 तक उसके पालन पर समय-समय पर चर्चा होगी और यह 'इंदौर डिक्लेरेशन' के नाम से जाना जाएगा।इंदौर की महापौर मालिनी गौड़ ने कहा कि हम सब मिलकर थ्री-आर (कचरे को रिड्यूस, रिसाइकिल और रियूज करना) के सिद्धांतों की तरफ काम करेंगे।
बुधवार तक इन देशों और शहरों ने किए हस्ताक्षर देश-
अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, कंबोडिया, इंडोनेशिया, नेपाल, श्रीलंका, फिलीपींस, लाओ पीडीआर, साउथ ऑस्ट्रेलिया, रूस, सिंगापुर, वियतनाम, म्यांमार, थाईलैंड, मंगोलिया, मालदीव। भारत के शहर- इंदौर, भावनगर, ग्वालियर, धनबाद, गंगटोक, गोरखपुर, गुवाहाटी, ग्वालियर, मुरादाबाद, मुरैना, नागपुर, रायपुर, रतलाम, रीवा, शिमला, उज्जैन। (शेष शहर-देश बुधवार को घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर कर सकेंगे।)
-दुनिया के 40 देश इंदौर की तर्ज पर करेंगे सफाई
-घोषणा-पत्र पर होंगे 120 महापौरों ने हस्ताक्षर
-देश के कई शहर भी अपनाएंगे इंदौरी मॉडल
बड़ी उपलब्धि- साउथ ऑस्ट्रेलिया, रूस, जापान, अमेरिका देंगे इंदौर को अनुदान
इंदौर की साफ-सफाई से प्रभावित होकर चार देशों (साउथ ऑस्ट्रेलिया, रूस, जापान और अमेरिका) ने शहर के वेस्ट मैनेजमेंट सिस्टम को अपग्रेड करने के लिए अनुदान देने की पेशकश की है। इन देशों के प्रतिनिधियों ने महापौर और नगर निगम अफसरों से इस संबंध में अपनी मंशा जताई। हालांकि अभी यह तय नहीं कि हुआ कि कितना अनुदान दिया जाएगा। दुनिया के सात शहरों को इस तरह के अनुदान दिए जाना हैं, जिनमें भारत से इंदौर को इसलिए चुना गया है क्योंकि यह देश का सबसे साफ-सुथरा शहर है। साउथ ऑस्ट्रेलिया और जापान ने इंदौर को थ्री-आर क्षेत्र में तकनीकी सहयोग देने की बात भी कही है।
क्या खास है इन देशों के पास
जापान- वेस्ट टू एनर्जी और सूखे कचरे को अलग-अलग करने के लिए बेहतरीन तकनीक। मशीनें और तकनीक ज्यादा दक्ष और अच्छी गुणवत्ता वाली हैं।
अमेरिका-वेस्ट-टू-एनर्जी के क्षेत्र में महारत है। तकनीक और मशीनें कई देशों में इस्तेमाल हो रही हैं।
रूस- वेस्ट सेग्रिगेशन की बेजोड़ मशीनें। भारत के लिहाज से रूसी तकनीक और मशीनें इसलिए फायदे का सौदा हैं क्योंकि वह अन्य देशों की तुलना में काफी सस्ती तो हैं ही, साथ ही गुणवत्ता वाली हैं।
हालांकि इंदौर नगर निगम का मानना है कि वह किसी तरह की मशीनें और तकनीक नहीं खरीदेगा, बल्कि संबधित देशों को प्रोत्साहित करेगा कि इंदौर से जुड़ने की इच्छुक कंपनियां अपने उत्पादों, मशीनों और तकनीकों का प्रदर्शन इंदौर में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में करें। इससे देश के दूसरे शहर उन्हें देख-समझ सकेंगे। इससे इंदौर को बगैर कोई राशि खर्च किए विश्वस्तरीय तकनीक मिलेगी।