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स्वच्छता रैंकिंग में अव्वल इस शहर में अब जैविक कचरे से बनी गैस से दौड़ेंगी बस

देश में पहली बार लोक परिवहन की 63 बसों में होगा मीथेन गैस का उपयोग, चेन्नई और कोलकाता में फिलहाल इक्का दुक्का बसों में हो रहा है मीथेन गैस का इस्तेमाल

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Thu, 17 May 2018 10:52 AM (IST)Updated: Thu, 17 May 2018 11:21 AM (IST)
स्वच्छता रैंकिंग में अव्वल इस शहर में अब जैविक कचरे से बनी गैस से दौड़ेंगी बस

इंदौर [उदय प्रताप सिंह]। स्वच्छता रैंकिंग में लगातार दो बार अव्वल रह चुका मध्यप्रदेश का इंदौर शहर अब एक और कीर्तिमान अपने नाम करने जा रहा है। शहर से एकत्र होने वाले जैविक कचरे से मीथेन गैस बना कर इसका इस्तेमाल सिटी बसों में ईंधन के रूप में किया जाएगा। लोक परिवहन में इस तरह की व्यवस्था लागू करने वाला इंदौर देश का पहला शहर बन जाएगा।

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शहर में दौड़ने वाले ऑटो रिक्शा और लोक परिवहन के अन्य वाहनों में जैविक कचरे से तैयार मीथेन गैस का ईंधन के तौर पर ट्रायल किया जा रहा है। सोमवार (21 मई) से सिटी बसों में सीएनजी के स्थान पर मीथेन का प्रयोग किया जाएगा। शुरू में 20 बसों से संचालन शुरू किया जाएगा और जल्द ही सीएनजी से चलने वाली 63 सिटी बसों में इसे लागू किया जाएगा।

जैविक कचरे से मीथेन गैस बनाने के लिए शहर में एक हजार किलोग्राम क्षमता का प्लांट लगाया गया है। इस प्लांट के संचालन का जिम्मा र्मंहद्रा एंड र्मंहद्रा कंपनी को सौंपा गया है। दो और प्लांट लगाए जा रहे हैं, जिससे रोजाना तीन हजार किलो गैस की आपूर्ति हो सकेगी।

स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत शहर की सबसे बड़ी सब्जी मंडी में 10 करोड़ रुपये की लागत से बने वेस्ट टू बायो गैस प्लांट से 20 टन जैविक कचरे (फल और सब्जी से निकले) से रोजाना एक हजार किलो गैस तैयार होगी। शहर में प्रतिदिन करीब 600 टन गीले कचरे का उत्पादन हो रहा है। अब तक इस कचरे का इस्तेमाल खाद बनाने के लिए किया जाता रहा है।

सीएनजी के मुकाबले पांच रुपये कम

बायो मीथेन प्लांट में बनने वाली गैस की कीमत सीएनजी के मुकाबले पांच रुपये प्रति किलो कम होगी। फिलहाल सीएनजी 58 रुपये प्रति किलो मिल रही है। शहर में फिलहाल 63 बसें सीएनजी से चलती हैं। इंदौर नगर निगम के सलाहकार अशद वारसी ने बताया कि एक प्लांट पर 20 टन कचरे से एक हजार किलो मीथेन गैस प्रतिदिन तैयार होगी। पंप संचालन के लिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से प्रमाणपत्र मिल चुका है। 15 दिन में पेट्रोलियम एवं एक्सप्लोसिव विभाग से भी अनुमति मिलने की उम्मीद है। इसके बाद कंपनी निर्धारित शुल्क पर वाहनों में गैस की रीफिलिंग कर पाएगी।

देश में अब तक हुए प्रयोग

कोलकाता में गोबर गैस से एक बस चल रही है। यह बस एक अप्रैल 2017 से चलाई जा रही है। इसका किराया भी सबसे कम 17 किलोमीटर पर एक रुपये है। वहीं, चेन्नई की एक टाउनशिप में दो बसें मीथेन गैस से चल रही हैं।

यह पहला मौका होगा जब देश के किसी शहर में लोक परिहवन के सभी वाहन कचरे से बनी बायो गैस से चलेंगी।

-मालिनी गौड़, महापौर इंदौर 


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