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इंदौर की जनता ने प्रदेश के साथ देश में भी अपने जज्बे का लोहा मनवाया

लगातार व्यवहार में आने के कारण अब सफाई न केवल शहरवासियों की आदत बन गई है बल्कि त्योहार और संस्कार भी बन चुकी है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Thu, 07 Mar 2019 09:32 AM (IST)Updated: Thu, 07 Mar 2019 09:32 AM (IST)
इंदौर की जनता ने प्रदेश के साथ देश में भी अपने जज्बे का लोहा मनवाया
इंदौर की जनता ने प्रदेश के साथ देश में भी अपने जज्बे का लोहा मनवाया

इंदौर, नईदुनिया प्रतिनिधि। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जून-2018 में इंदौर को दूसरी बार देश का सबसे स्वच्छ शहर का पुरस्कार देते हुए कहा था कि यह इंदौर की जनता का ही पराक्रम है जो उन्होंने अपने शहर को लगातार दो बार स्वच्छ शहरों के सर्वोच्च शिखर पर बैठाया है। यही वजह है कि पुरस्कार देने मुझे खुद इंदौर आना पड़ा। यह बात सीधे तौर पर इंदौर की जनता के जज्बे से जुड़ी थी जिसका लोहा न केवल प्रदेश, देश बल्कि विदेश में भी माना गया। आज इंदौर ने सफाई में जो नए आयाम स्थापित किए हैं, वैसे प्रयोग कहीं नहीं किए गए। लगातार व्यवहार में आने के कारण अब सफाई न केवल शहरवासियों की आदत बन गई है बल्कि त्योहार और संस्कार भी बन चुकी है।

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शहर की जनता यह सुनकर खुश होती है जब स्वच्छता सर्वे संपन्न करने वाले केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय के अफसर खुद यह बात कहते हैं कि इंदौर जैसा कोई नहीं..। यहां नई-नई बातें सीखने को मिलती हैं। देश का सबसे साफ-सुथरा शहर बनने के लिए इंदौर ने 2015-2016 में ही कदम बढ़ा दिए थे। तब वार्ड 71 और 42 में डोर टू डोर कचरा कलेक्शन सिस्टम की शुरुआत की गई थी। तब दोनों वार्डों में घरों से कचरा लेने के लिए साइकिल रिक्शा का इस्तेमाल किया जाता था लेकिन नगर निगम को जल्द ही समझ आ गया कि साइकिल रिक्शा से कचरा लेकर इधर-उधर घूमना न केवल समय खपाने वाला है बल्कि रिक्शा में सीमित क्षमता में कचरा ले जाया जा सकता है।

विषय विशेषज्ञों के सुझाव पर नगर निगम ने घर-घर कचरा लेने के लिए टिपर खरीदे और यह प्रयोग बेहद कारगर साबित हुआ। पहले टिपर में गीला-सूखा कचरा एक साथ लिया जाता था लेकिन 2017 में नगर निगम ने टिपर में दो अलग-अलग बॉक्स बनाकर कचरा अलग-अलग लेने की शुरुआत की। पहले तो लोगों को यह प्रयोग समझ नहीं आया लेकिन लगातार आग्रह-दबाव के बाद लोगों की आदत बदली और 2017 खत्म होने से पहले हर घर-दुकान से सौ प्रतिशत गीला-सूखा कचरा अलग-अलग लिया जाने लगा। पहले चरण में जिन-जिन वार्डों में निगम डोर टू डोर कचरा कलेक्शन सिस्टम लागू कर चुका था, उन क्षेत्रों से निगम ने कचरा पेटियां हटाना शुरू कर दिया था।

इस तरह सीढ़ी-दर-सीढ़ी चढ़कर मंजिल तक पहुंचा शहर

  • जनवरी, 2015- वार्ड 71 और 42 में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में बिन फ्री सिटी इनिशिएटिव को पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लागू किया गया।
  • मार्च, 2015 तक इसका विस्तार दो से बढ़ाकर 10 वार्ड में किया गया।
  • मार्च, 2016 से नगर निगम ने बिन फ्री इनिशिएटिव को पूरे शहर में लागू करते हुए तमाम जगहों से कचरा पेटियां हटा लीं।
  • अक्टूबर, 2016 में डोर टू डोर कलेक्शन हर वार्ड में लागू किया गया।
  • दिसंबर, 2016 में इंदौर पूरी तरह बिन फ्री सिटी बन गया जहां कहीं भी कोई कचरा पेटी नहीं थी।
  • 2017 में शहर में सभी मुख्य बाजारों और महत्वपूर्ण सड़कों में रात्रिकालीन सफाई की शुरुआत की गई।
  • 2017 में ही शहर में निगम ने स्पॉट फाइन की कार्रवाई शुरू की जो अपनी तरह का पहला प्रयोग था। इसके तहत खुले में शौच, पेशाब करने के अलावा कचरा फेंकने, थूकने, अमानक पॉलीथिन रखने और पालतू कुत्तों को सड़क पर शौच कराने पर सौ रुपए से लेकर लाखों रुपए तक का जुर्माना किया गया।
  • 2017 में बड़ी सड़कों की सफाई मैकेनाइज्ड मशीनों से की जाने लगी। इसी तरह डिवाइडर, फुटपाथ और प्रतिमाएं धोने के लिए जेट वॉशिंग मशीन का उपयोग भी होने लगा।
  • फरवरी, 2018 में शहर के व्यावसायिक क्षेत्रों में 3000 से ज्यादा लिटरबिन लगाए गए।
  • नगर निगम ने रियायती दरों पर शहर में तीन लाख डस्टबिन लोगों को बेचे।
  • घरों से कचरा लाकर उसे ट्रेंचिंग ग्राउंड में भेजने के लिए 12 ट्रांसफर स्टेशन बनाए गए। इन स्टेशन पर छोटी गाड़ियां घरों से कचरा लाती हैं जिन्हें कैप्सूल में भरकर डंपिंग ग्राउंड भेजा जाता है।

18 ऐसे प्रयोग जिनसे शहर बना नंबर वन

1. 100 प्रतिशत डोर टू डोर कचरा कलेक्शन- देश में सबसे पहले इंदौर ने असंभव समझा जाने वाला काम कर दिखाया। अभी भी देश के कई शहरों में यह सिस्टम लागू नहीं हो पाया। यह भी जनता की भागीदारी से ही संभव हो पाया है।

2. गीले और सूखे कचरे का 100 फीसदी सेग्रिगेशन- इंदौर देश का इकलौता ऐसा शहर है जिसने 2017-18 में घरों से गीला-सूखा कचरा अलग-अलग लेना शुरू किया गया था। इसके अलावा सैनेटरी पैड और डायपर जैसे बायोवेस्ट को लेने के लिए देश में पहली बार निगम की गाड़ियों के पीछे अलग से डिब्बे लगाए गए। इस तरह घरों से तीन तरह का कचरा छांटकर लिया जाने लगा। यह भी जनता की 100 फीसदी भागीदारी से संभव हुआ।

3. ट्रेंचिंग ग्राउंड से पुराने कचरे का खात्मा- ट्रेंचिंग ग्राउंड पर 30-40 साल से 11 लाख टन से ज्यादा पुराना कचरा पहाड़ों की शक्ल में फैला हुआ था। 2017 के अंत से इस कचरे की प्रोसेसिंग वैज्ञानिक तरीके से कर उसे हटाना शुरू किया गया जो अक्टूबर 2018 में पूरा किया गया। इतनी बड़ी मात्रा में कचरा हटाने के काम से इंदौर को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियां मिलीं।

4. थ्री-आर- 2018 में नगर निगम ने सबसे पहले कचरे का थ्री-आर यानी रिड्यूस, रिसाइकिल और रियूज सिद्धांत लागू किया। इसमें निगम ने सबसे पहले शहर में रोजाना पैदा होने वाले 1100-1200 टन कचरे में से 150 टन प्रतिदिन की कमी लाने का लक्ष्य तय किया। इसके साथ ही होम कंपोस्टिंग की शुरुआत भी इंदौर के लोकमान्य नगर से की गई।

5. बिन फ्री सिटी- निगम अफसर यह बात समझ चुके थे जब तक शहर से कचरा पेटियां नहीं हटाई जाएंगी, तब तक शहर को साफ-सुथरा नहीं बनाया जा सकता। 2016 में जब इंदौर ने यह कर दिखाया तो दूसरे शहरों से आने वाले मेहमान यह प्रयोग देखकर चौंक जाते थे क्योंकि ऐसा कोई शहर नहीं था जहां कचरा पेटियां नहीं हों।

6. डिस्पोजल फ्री मार्केट- 2018 में नगर निगम ने डिस्पोजल फ्री मार्केट का प्रयोग शुरू किया। 56 दुकान, सराफा समेत कई प्रमुख बाजारों में खाद्य सामग्रियां स्टील, चीनी मिट्टी के बर्तनों में दी जाने लगी। डिस्पोजल प्लेट, गिलास जैसी वस्तुओं का इस्तेमाल बंद हो गया। इस तरह निगम ने थ्री-आर की दिशा में एक अहम कदम उठाया।

7. ओडी फ्री डबल प्लस वाला पहला शहर- खुले में शौच से मुक्त (ओडी फ्री डबल प्लस) शहरों से आगे बढ़ते हुए 2018 में शहरी विकास मंत्रालय ने शहरों के सामने ओडी फ्री प्लस और ओडी फ्री डबल प्लस की श्रेणियां बनाईं। इंदौर ने इस चुनौती को भी हाथोहाथ लिया और पहले ही प्रयास में ओडी फ्री डबल प्लस का सर्टिफिकेट देश में सबसे पहले हासिल कर लिया।

8. आधुनिक कचरा ट्रांसफर स्टेशन- इंदौर ने घरों-बाजारों से कचरा लेकर उसे ट्रेंचिंग ग्राउंड तक पहुंचाने के लिए आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करते हुए शहर में 12 जगह आधुनिक कचरा ट्रांसफर स्टेशन स्थापित किए। वहां घरों से कचरा लाकर मशीनों से सीधे ट्रेंचिंग ग्राउंड भेजा जाता है। इतनी आधुनिक व्यवस्था देश के किसी शहर में पहली बार की गई।

9. बायो सीएनजी का उत्पादन- चोइथराम सब्जी मंडी में निगम ने 2018 में देश का पहला बायो सीएनजी प्लांट स्थापित किया। वहां सब्जी मंडी से निकलने वाली सब्जी-फलों से बायो सीएनजी बनाई जाती है जिसका उपयोग सिटी बस चलाने में होता है। यह प्रयोग भी देश में पहली बार किया गया।

10. शहर का सौंदर्यीकरण- स्वच्छ सर्वे 2018 में शहरों को दिखने लायक सौंदर्यीकरण करने के निर्देश दिए गए। इसके तहत शहर के फ्लाई ओवर, रेल ओवरब्रिज, सरकारी दीवारों, फुटपाथ, चौराहों पर खूबसूरत पेंटिंग बनाई गईं और आकर्षक म्यूरल्स रखे गए। इसके अलावा फुटपाथ, पुलों के नीचे और सड़क किनारे उपलब्ध जगह पर ग्रीन बेल्ट का विकास किया गया जिससे सड़कों की सुंदरता काफी बढ़ी।

11. स्लम ब्यूटीफिकेशन- सौंदर्यीकरण को केवल प्रमुख चौराहों और सड़कों तक सीमित नहीं रखा गया बल्कि बस्तियों में कई काम किए गए। वहां बगीचा निर्माण, पौधारोपण, पेंटिंग आदि की गई ताकि सफाई और सुंदरता, दोनों नजर आए।

12. मशीनों से शहर की सफाई- नगर निगम ने 2017 से शहर की मुख्य सड़कों की सफाई का काम मशीनों से किया। रात में सड़कें खाली होने पर सड़कों के डिवाइडर और फुटपाथ के पास अच्छे से सफाई हो सकती है। डिवाइडर के आसपास सफाई के लिए बड़ी मशीनों का उपयोग किया गया जिससे शहर में उड़ने वाली धूल पर काफी हद तक नियंत्रण हो गया।

13. नालों और जलाशयों की सफाई- नगर निगम ने नालों और जलाशयों की सफाई का काम लगातार किया जिससे वहां जमी गाद, कीचड़ और गंदगी धीरे-धीरे हटने लगी। लोग सड़कों पर बने पुलों से नालों में कचरा नहीं फेंक सकें, इसके लिए दोनों तरफ जालियां लगाई गईं।

14. होम कंपोस्टिंग- प्रदेश में पहली बार किसी शहर में होम कंपोस्टिंग सिस्टम इंदौर में लागू हुआ। लोकमान्य नगर के कुछ घरों में यह काम पहले से हो रहा था लेकिन निगम ने इसका विस्तार किया और शहर के 26 हजार से ज्यादा घरों में होम कंपोस्टिंग यूनिट लगाई।

15. सीएंडडी प्लांट की स्थापना- शहर से रोज निकलने वाले सैकड़ों टन मलबे के निपटान के लिए निगम ने कंस्ट्रक्शन एंड डेमोलिशन (सीएंडडी) वेस्ट प्लांट लगाया जहां शहरभर का मलबा लाकर उससे पेवर ब्लॉक और ईंट आदि बनाए जाने लगे। प्लांट की क्षमता 100 टन प्रतिदिन की है।

16. जीरो वेस्ट इवेंट- नगर निगम ने अभिनव प्रयोग करते हुए तीन बड़े आयोजनों को 'जीरो वेस्ट इवेंट" बनाया। इनमें आईपीएल मैच, सैयदना की वाअज और मराठी समाज के जत्रा आयोजन को न केवल डिस्पोजल फ्री इवेंट बनाया गया बल्कि वहां पैदा हुए गीले कचरे का निस्तारण कर मौके पर ही खाद बनाई गई।

17. प्लास्टिक से डीजल बनाना- ट्रेंचिंग ग्राउंड पर निगम ने 2018 में प्लास्टिक से डीजल बनाने का प्लांट पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू किया है। वहां आठ से 10 टन प्लास्टिक से 2500 लीटर से ज्यादा डीजल बनाया जा रहा है जो आम डीजल से सस्ता और गुणवत्तापूर्ण है।

18. इंदौर 311 एप- नागरिक समस्याओं को तकनीक से जोड़ते हुए निगम ने 2017 में 'इंदौर 311 एप" लॉन्च किया जिस पर लोग संबंधित समस्या का फोटो और अन्य जानकारियां देकर 24 घंटे में सफाई, गंदगी, चोक ड्रेनेज और बिजली संबंधी समस्याएं दूर करवा सकते हैं।


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