आइटीबीपी ने रोटेशन व्यवस्था को ऊंचाई पर तैनात जवानों की सेहत के लिए बताया जरूरी, कही यह बात
ITBP ने सरकार से रोटेशन के आधार पर आंतरिक सुरक्षा में अपने जवानों की तैनाती की व्यवस्था को बरकरार रखने की अपील की है। भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (Indo-Tibetan Border Police ITBP) का कहना है कि इस तरह की तैनाती से जवानों को अवकाश मिल जाता है।
नई दिल्ली, पीटीआइ। भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (Indo-Tibetan Border Police, ITBP) ने सरकार से रोटेशन के आधार पर आंतरिक सुरक्षा में अपने जवानों की तैनाती की व्यवस्था को बरकरार रखने की अपील की है। आइटीबीपी (Indo-Tibetan Border Police, ITBP) का कहना है कि इस तरह की तैनाती से लगातार ऊंची व बर्फीली चोटियों पर डटे जवानों को अवकाश मिल जाता है। यह अवकाश उनके बेहतर स्वास्थ्य की दृष्टि से बहुत जरूरी है।
आइटीबीपी (Indo-Tibetan Border Police, ITBP) के जवान चीन से लगी सीमा पर सुरक्षा की जिम्मेदारी संभालते हैं। सीमाओं पर सुरक्षा मजबूत करने के लक्ष्य के साथ सरकार ने आंतरिक सुरक्षा के मामलों में सीमा सुरक्षा से जुड़े जवानों की तैनाती को धीरे-धीरे कम करने की योजना बनाई है। अभी आइटीबीपी (Indo-Tibetan Border Police, ITBP), सीमा सुरक्षा बल (Border Security Force, BSF) और सशस्त्र सीमा बल ( Sashastra Seema Bal, SSB) के जवानों को चुनाव कराने एवं आंतरिक सुरक्षा से जुड़े अन्य मामलों में तैनात किया जाता है।
सीमा और आंतरिक मोर्चे पर आइटीबीपी (Indo-Tibetan Border Police, ITBP) के जवान 60:40 के अनुपात में तैनात किए जाते हैं। आइटीबीपी ने इस व्यवस्था को बनाए रखने के लिए आंतरिक मामलों पर संसद की स्थायी समिति (Parliamentary Standing Committee) एवं गृह मंत्रालय (Home ministry) के पास अपनी राय भेजी है। एक अधिकारी ने कहा, 'आइटीबीपी (Indo-Tibetan Border Police, ITBP) के जवान बहुत ठंडे इलाकों में तैनात रहते हैं।
अधिकारी ने बताया कि ठंडे इलाकों में ज्यादा दिन तैनात रहने से जवानों को जलवायु संबंधी इस जटिल परिस्थिति के कारण उन्हें स्वास्थ्य से जुड़ी कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। निश्चित अनुपात में आंतरिक मोर्चे पर तैनाती की व्यवस्था से जवानों को रोटेट करने का मौका मिलता है, जो उनके लिए शारीरिक एवं मानसिक रूप से जरूरी है।' आइटीबीपी की ज्यादातर पोस्ट वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर 9,000 से 18,700 फीट की ऊंचाई पर हैं।