चीन के अड्डे के पास भारत-फ्रांस करेंगे सैन्य अभ्यास, नौ सैनिक साझेदारी को मिलेगा नया विस्तार
भारत और फ्रांस धीरे धीरे नौ सेना सहयोग को ठोस आकार दे रहे हैं। दोनो देशों ने अपनी सालाना नौ सैनिक अभ्यास वरूण का सबसे अहम चरण अफ्रीकी देश जिबुती के पास आयोजित करने जा रहे हैं।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। ठीक एक वर्ष पहले राष्ट्रपति मैनुएल मैक्रां और पीएम नरेंद्र मोदी के बीच यह सहमति बनी थी कि भारत और फ्रांस नौ सैनिक साझेदारी को नया विस्तार देंगे और इस साझेदारी को हिंद-प्रशांत क्षेत्र में ज्यादा प्रगाढ़ बनाने की कोशिश होगी। इस वर्ष दोनों देशों ने अपनी सालाना नौ सैनिक अभ्यास 'वरूण' का सबसे अहम चरण अफ्रीकी देश जिबुती के पास आयोजित करने जा रहे हैं। दोनोंं देशों के इस अभ्यास पर इसलिए भी सभी की नजर है कि यहां से चीन का नया सैन्य अड्डा बहुत करीब है। जिबुती फ्रांस का उपनिवेश रहा है और वहां उसका भी सैन्य अड्डा है। फ्रांस पहले ही कई बार यह इच्छा जता चुका है कि वह भारत को आने वाले दिनों में अपना सबसे करीबी नौ सैनिक साझेदार के तौर पर देखना चाहता है।
मोदी और मैक्रा के बीच वार्ता में हिंद महासागर में संयुक्त रणनीति बनाने को लेकर भी सहमति बनी थी। जिबूती के पास सैन्य अभ्यास आयोजित कर दोनों देश यह दिखा रहे हैं कि वह इस घोषणा को लेकर गंभीर है। पिछले वर्ष भारत और फ्रांस की नौ सेनाओं के बीच वरुण सैन्य अभ्यास हिंद महासागर के रियूनियन द्वीप के पास हुआ था। असलियत में यहां के कई द्वीप अभी भी फ्रांस के अधीन हैं और इससे उसका रणनीतिक हित जुड़ा हुआ है। इस क्षेत्र में फ्रांस के छह लाख नागरिक भी रहते हैं।
भारत की तरह फ्रांस भी हिंद महासागर में चीन के बढ़ते कदम को लेकर चिंतित है। सूत्रों के मुताबिक इस अभ्यास में संयुक्त नौ सेना अभ्यास दो चरणों में आयोजित होगा। पहला चरण अभी 01 मई से 10 मई तक गोवा में चल रहा है जबकि दूसरा चरण जिबूती में होगा। इस सैन्य अभ्यास में फ्रांस के युद्धक विमान राफेल और भारत की मिग श्रेणी के युद्धक विमान भी हिस्सा लेंगे। चूंकि सैन्य अभ्यास में दोनों देशों की प्रमुख विमान वाहक पोत भी हिस्सा ले रहे हैं इसलिए यह संभव हो रहा है। भारत की तरफ से आइएनएस विक्रामदित्य और फ्रांस का विमान वाहक पोत चार्ल्स डु गोल हिस्सा ले रहे हैं।
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