अफगान संकट के समय जिया को साथ लाना चाहती थीं इंदिरा
सीआइए की रिपोर्ट के अनुसार, 1979 में अफगानिस्तान में रूसी आक्रमण के अगले साल इंदिरा गांधी की सत्ता में वापसी हुई थी।
नई दिल्ली, प्रेट्र। अफगानिस्तान में रूस के आक्रमण से चिंतित प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी एक क्षेत्रीय मुहिम शुरू करना चाहती थीं। इस मुहिम में पाकिस्तान को साथ लेने के इरादे से उन्होंने तत्कालीन राष्ट्रपति जिया-उल-हक को भी इसके लिए राजी करने का प्रयास किया था। अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआइए की एक रिपोर्ट से इस बात की जानकारी मिली है। इस गोपनीय रिपोर्ट को पिछले सप्ताह सार्वजनिक किया गया है।
सीआइए की रिपोर्ट के अनुसार, 1979 में अफगानिस्तान में रूसी आक्रमण के अगले साल इंदिरा गांधी की सत्ता में वापसी हुई थी। इसके बाद उन्होंने जिया के सामने रूसी आक्रमण के खिलाफ भारत की क्षेत्रीय मुहिम में शामिल होने का प्रस्ताव रखा था। हालांकि, पाकिस्तान ने अमेरिकी अधिकारियों के सामने भारत के प्रस्ताव को आधिपत्यवादी करार दिया। इसके बदले इस्लामाबाद ने अफगान चुनौती का सामना करने के लिए हथियार आपूर्ति के अमेरिकी प्रस्ताव को स्वीकार करना अपने लिए बेहतर समझा।
अमेरिकी खुफिया एजेंसी का मानना था कि अमेरिका-पाक सैनिक गठजोड़ की आशंका से भारत परेशान था। भारत को लगता था कि इससे अमेरिका को हिंद महासागर में अपना पैर फैलाने का एक मौका मिल जाएगा, जहां उस वक्त उसका आधिपत्य था।