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भारत में अब खाने वालों से ज्यादा हुए कमाने वाले, 37 साल तक बनी रहेगी ये स्थिति

अन्य देशों का उदाहरण बताता है कि किसी भी देश में जब कामकाजी लोगों की आबादी निर्भर लोगों की आबादी से ज्यादा होती है तो विकास दर नई ऊंचाईयों को छूता है।

By Amit SinghEdited By: Published: Mon, 22 Jul 2019 02:26 PM (IST)Updated: Mon, 22 Jul 2019 02:37 PM (IST)
भारत में अब खाने वालों से ज्यादा हुए कमाने वाले, 37 साल तक बनी रहेगी ये स्थिति
भारत में अब खाने वालों से ज्यादा हुए कमाने वाले, 37 साल तक बनी रहेगी ये स्थिति

नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। भारत, पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा युवा आबादी वाला देश है और अब ये आत्मनिर्भर लोगों का भी देश बन गया है। ऐसा पहली बार हुआ है कि भारत का निर्भरता अनुपात कम हो गया है। आसान भाषा में समझें तो देश की कुल आबादी में अब खाने वालों से ज्यादा कमाने वाले लोग हैं। अगले 37 साल तक देश में अब यही स्थिति बनी रहेगी। उम्मीद जताई जा रही है कि इस दौरान में देश में विकास का चक्र सबसे तेजी से घूमेगा।

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यूनाइटेड नेशन पॉप्यूलेशन फंड (UNFPA) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2018 से भारत में जनसंख्या स्थिति में बहुत बड़ा परिवर्तन आया है। ये परिवर्तन भारत में विकास की गति को तेजी देने वाला है। आंकड़े बताते हैं कि पिछले वर्ष से भारत में कामकाजी लोगों की जनसंख्या, उन पर निर्भर लोगों से कम हो गई है। कामकाजी लोगों में 15 से 64 वर्ष के लोगों को शामिल किया गया है। 14 वर्ष या उससे कम और 65 वर्ष या उससे ज्यादा आयु के लोगों को निर्भर माना गया है, जिनकी संख्या कम हुई है।

अध्ययन में पता चला है कि भारत में वर्ष 2055 तक, यानि अगले 37 साल तक यही स्थिति बनी रहेगी। मतलब आत्मनिर्भरता के इस चरण की अभी तो शुरूआत ही हुई है। अध्ययन में कहा गया है कि भारत की इस कार्यशक्ति का लाभ एशिया के अन्य देशों जैसे जापान, चीन, दक्षिण कोरिया आदि को भी मिलेगा। वैज्ञानिकों के अनुसार जनसंख्या स्थिति में हुए इस परिवर्तन की वजह जन्मदर में आयी गिरावट और जीवन प्रत्याशा में वृद्धि की स्थिरता है।

जापान ने सबसे पहले इस स्थिति का सामना किया

जनसंख्या स्थिति में इस तरह के परिवर्तन का सबसे पहला सामना जापान ने किया था। जापान में वर्ष 1964 से 2004 के बीच ऐसी ही स्थिति रही थी। जापान के इस चरण के शुरूआती 10 वर्षों का अध्ययन करने पर पता चलता है कि जनसंख्या स्थिति में ये परिवर्तन विकास के लिए कितनी मददगार साबित होती है। इसमें से पांच वर्ष तक जापान में विकास दर दहाई के अंकों में रही थी। इसके अलावा दो वर्ष तक विकास दर 8 फीसद, एक वर्ष विकास दर 6 फीसद से थोड़ी कम और मात्र दो वर्ष ही विकास दर पांच फीसद से नीचे गई थी।

चीन भी गुजर चुका है इस स्थिति से

चीन भी वर्ष 1978 से 1994 के बीच इस चरण से गुजर चुका है। इनमें से आठ वर्ष चीन में भी विकास दर दहाई के अंक में थी। 1994 के बाद के 18 वर्षों में केवल दो बार ही ऐसा हुआ है, जब चीन का विकास दर आठ फीसद से ऊपर नहीं गया था। अन्य देशों में भी जब-जब निर्भरता अनुपात कम हुआ है, विकास दर ने लंबी छलांग लगाई है। इसे देखते हुए माना जा रहा है कि वर्ष 2055 तक भारत में विकास की रफ्तार सबसे तेज हो सकती है।

प्रणव मुखर्जी ने भी दिए थे संकेत

वर्ष 2011 की जनगणना में देश की 121 करोड़ की आबादी का 56.9% हिस्सा कामकाजी लोगों का था। मतलब, जिनकी आयु 15 से 59 साल थी। 60 साल या इससे ऊपर की आबादी का अनुपात 7.5% था और बाकी 35.6% बच्चे थे, जिनकी उम्र 15 साल से कम थी। तत्कालीन वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने तब कहा था कि अगले तीस सालों में देश में दूसरों पर निर्भर रहने वालों का अनुपात तेजी से घटेगा। 20 वर्षों में कामकाजी आबादी तेजी से बढ़ेगी तो बचत दर भी तेजी से बढ़ेगी।


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