आज पहले रक्षा सेटेलाइट का प्रक्षेपण करेगा भारत
नौसेना और नौपरिवहन को समर्पित देश के पहले रक्षा सेटेलाइट को प्रक्षेपित करने की तैयारियां पूर कर ली गई हैं। जीसैट-7 नामक इस सेटेलाइट को गुरुवार देर रात दो बजे फ्रेंच गुयाना के कौरू अंतरिक्ष केंद्र से एरियन-5 वीए 215 के जरिये छोड़ा जाएगा। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के एक अधिकारी के मुताबिक ज
बेंगलूर। नौसेना और नौपरिवहन को समर्पित देश के पहले रक्षा सेटेलाइट को प्रक्षेपित करने की तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। जीसैट-7 नामक इस सेटेलाइट को गुरुवार देर रात दो बजे फ्रेंच गुयाना के कौरू अंतरिक्ष केंद्र से एरियन-5 वीए 215 के जरिये छोड़ा जाएगा।
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भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के एक अधिकारी के मुताबिक जीसैट-7 अत्याधुनिक संचार उपकरणों (फ्रीक्वेंसी बैंड) से लैस है। समुद्री क्षेत्रों के अलावा यह सेटेलाइट भारतीय भू-क्षेत्र की निगरानी में सक्षम है। इसे सुरक्षा के लिहाज से काफी अहम माना जा रहा है। इसरो के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक ने बताया कि मौजूदा समय में इनमारसेट (ग्लोबल मोबाइल सेटेलाइट सेवा प्रदाता) के जरिये जहाजों पर संचार सुविधाएं ली जा रही हैं, लेकिन इस सेटेलाइट से भारत आत्मनिर्भर हो जाएगा। हालांकि, आधिकारिक तौर पर इसरो जीसैट-7 को नौसेना के लिए समर्पित बताने से कतरा रहा है, लेकिन इसके वैज्ञानिक निजी तौर पर इस तथ्य को स्वीकार कर रहे हैं।
जीसैट-7 अल्ट्रा हाई फ्रीक्वेंसी (यूएचएफ) के अलावा एस, सी और कू बैंड पर संचालित होगा। 2625 किग्रा भार वाले इस सेटेलाइट के प्रक्षेपण की लागत 470 करोड़ रुपये है। अत्याधुनिक जीसैट-7 ग्रहण के दौरान लीथियम आयन बैटरी के माध्यम से ऊर्जा ले सकेगा। इसके अलावा इस सेटेलाइट में लगे सौर पैनल (ऐरे) के जरिये 2900 वाट तक ऊर्जा उत्पन्न की जा सकेगी।
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