वित्तीय संकट के बावजूद भारत का वसुधैव कुटुंबकम, 64 देशों को 30 अरब डॉलर की सहायता
सरकार के फैसले के मुताबिक 30.66 अरब डॉलर में से 15.90 अरब डॉलर एशिया के देशों के लिए हैं। बाकी अफ्रीका और लैटिन अमेरिका के विकासशील और पिछड़े देशों के लिए है।
नई दिल्ली, राजीव कुमार। वैश्विक कोरोना महामारी की वजह से भारत खुद वित्तीय संकट में है। लेकिन भारत दूसरे देश खासकर पिछड़े देशों की मदद से पीछे नहीं हटा है। भारत ने कोरोना काल में भी वसुधैव कुटुंबकम के तहत विकासशील एवं पिछड़े देशों के साथ विकास के अनुभव एवं अपनी तकनीक जानकारी को साझा कर रहा है। वहीं, उनकी वित्तीय मदद को भी जारी रखने फैसला किया है। इस फैसले के तहत भारत 64 देशों को दिए जा रहे 30.66 अरब डॉलर की सहायता को जारी रखेगा। भारत ने इन देशों को वित्तीय मदद के लिए 300 लाइन ऑफ क्रेडिट (एलओसी) जारी कर रखा है।
भारत इंडियन डेवलपमेंट एंड इकोनॉमिक असिस्टेंट स्कीम (आइडियाज) के तहत एक्सिम बैंक के माध्यम से इन देशों को मात्र 1.5 फीसद दर पर 15-20 साल के लिए कर्ज देता है। वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामले विभाग (डीईए) के तहत चल रही इस स्कीम को इस माह में आगे जारी रखने का फैसला किया गया। भारत इन देशों को मुख्य रूप से बुनियादी सुविधा के विकास के लिए सहायता देता है। खासकर उन परियोजनाओं पर ज्यादा फोकस किया जाता है जो कहीं न कहीं भारत से जुड़ रही हो।
सरकार के फैसले के मुताबिक, 30.66 अरब डॉलर में से 15.90 अरब डॉलर एशिया के देशों के लिए हैं। बाकी अफ्रीका और लैटिन अमेरिका के विकासशील और पिछड़े देशों के लिए है। एशिया मे खर्च होने वाले पैसों में अधिक हिस्सेदारी भारत के पड़ोसी देश बांग्लादेश, म्यंमार, मालदीव, नेपाल, श्रीलंका, मॉरिशस और सेशेल्स की है। बांग्लादेश को भारत ने रेल, बिजली, एयरपोर्ट जैसी बुनियादी सुविधाओं से जुड़ी 31 परियोजनाओं के लिए वित्तीय मदद की मंजूरी दी है। इनमें से कई परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं। नेपाल की 43, श्रीलंका की 19 तो म्यंमार की 4 परियोजनाओं के लिए भारत सहायता दे रहा है।
आइडिया की ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोना के दौरान भारत ने 90 से अधिक देशों को मेडिकल सहायता देने का काम किया। इसके अलावा भारत ने कुवैत और मालदीव जैसे देशों को रैपिड रिस्पांस टीम के जरिए तकनीक सहायता मुहैया कराई। आइडियाज के तहत भारत एशिया के देशों के अलावा लैटिन अमेरिका और अफ्रीका के देशों को मदद कर रहा है। सूचना एवं कंप्यूटर तकनीक की मदद दर्जनों देशों को दी जा रही है।
पड़ोसी देशों में कई मंदिर-मस्जिद की मरम्मत के लिए भी सहायता
आइडियाज की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत सरकार की सहायता से दूसरे देशों में मौजूद 50 से अधिक हेरिटेज परियोजनाओं को फिर से जीवित करने का काम किया गया। इनमें म्यंमार का आनंदा मंदिर, श्रीलंका के थीरूकेथीस्वरम मंदिर, कंबोडिया के प्रीह विहार मंदिर, वियतनाम का माइ सन ग्रुप ऑफ टेंपल्स, लाओस का वात फू शिवा टेंपल शामिल हैं। वहीं, अफगानिस्तान की ब्लू मस्जिद व मालदीव की मस्जिद की मरम्मत के लिए भारत सरकार की तरफ से मदद दी गई। बांग्लादेश के मणिपुरी सांस्कृतिक कांप्लेक्स के पुनरुत्थान का काम भी भारत की मदद से किया गया।