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18 हजार भारतीयों पर इराक संकट की आंच

इराक में युद्ध हालात के बीच करीब 18 हजार भारतीय वहां फंसे हुए हैं। ये भारतीय वहां अलग-अलग सेक्टरों में काम कर रहे हैं। भारत की चिंता ये है कि किस तरह से इन्हें ताजातरीन इराक के भीषण हालात से बचाया जा सके।

By Edited By: Published: Tue, 17 Jun 2014 05:57 PM (IST)Updated: Wed, 18 Jun 2014 07:02 AM (IST)
18 हजार भारतीयों पर इराक संकट की आंच

नई दिल्ली। इराक में युद्ध हालात के बीच करीब 18 हजार भारतीय वहां फंसे हुए हैं। ये भारतीय वहां अलग-अलग सेक्टरों में काम कर रहे हैं। भारत की चिंता ये है कि किस तरह से इन्हें ताजातरीन इराक के भीषण हालात से बचाया जा सके।

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सबसे ज्यादा भारतीय इराक में तेल और स्वास्थ्य के क्षेत्र में कार्यरत हैं। वहीं कंस्ट्रक्शन सेक्टर में भी बड़े पैमाने पर भारतीय कंपनियों का वहां पैसा लगा है और भारत से गए हजारों श्रमिक इनसे जुड़े हुए हैं। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, इराक में 16,000 भारतीय कर्मचारी कार्यरत हैं, जबकि गैर आधिकारिक दावों में यह संख्या 18,000 से कहीं ज्यादा है।

मोसुल, तिकरित और विद्रोहियों के चंगुल में आ चुके इलाकों में सैकड़ों नर्से हैं, जिसमें 46 नर्से केवल तिकरित के एक अस्पताल में कार्यरत हैं। बगदाद में भारतीय राजदूत अजय कुमार ने कहा, ' हम भारतीय कर्मियों के संपर्क में हैं और उन्हें हर जरूरी मदद का भरोसा दिया गया है।' प्रभावित क्षेत्र से बचकर बाहर आने में सफल रहे कामगारों का कहना है कि हालात उम्मीद से ज्यादा बदतर हैं। इराक के स्थानीय लोग भी मानते हैं कि सद्दाम हुसैन तानाशाह होने के बाद भी देश को जोड़कर रखने में सक्षम थे।

मोसुल की एक तेल कंपनी में काम करने वाला एक भारतीय कर्मचारी किसी तरह अपना जान बचाकर बगदाद पहुंच सका। उसका कहना है, वह भूलकर भी इराक वापस नहीं आना चाहेगा। उम्मीद नहीं के बराबर है कि इराक में कभी शांति स्थापित हो पाएगी।

भारत के सामने दूसरा बड़ा खतरा यह भी है कि अगर आइएसआइएस के विद्रोही इराक से मलीकी सरकार को पदच्युत करने में सफल रहे तो यह अल कायदा समर्थित समूहों के लिए एक प्रेरणास्रोत बन जाएगा। विदेश मंत्रालय का कहना है कि मोसुल और तिकरित के हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में फंसे नागरिकों की सुरक्षा के लिए इराकी प्राधिकरण के साथ मिलकर आगे बढ़ने की संभावनाओं पर काम हो रहा है।

मंत्रालय ने तिकरित में फंसी नर्सो को भी जरूरी मदद दिलाने का भरोसा दिया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सैयद अकबरुद्दीन ने कहा कि हमने इंटरनेशनल रेड क्रिसेंट से संपर्क कर वहां नर्सो की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए कहा है। उन्होंने कहा कि विदेश मंत्री सुषमा स्वराज स्वयं स्थिति पर नजर रख रही हैं। बगदाद में भारतीय दूतावास ने भारतीय कामगारों के लिए 24 घंटे कार्यरत हेल्पलाइन भी शुरू की है।

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